उत्तर प्रदेश केप्रशासन में घुसपैठ कर रहा संघ!

  • अब राशन की दुकान सस्पेंड कराने के लिये खत लिखने लगे नागपुर से आरएसएस के बड़े पदाधिकारी!
  • हाईकोर्ट ने सरकार को जमकर फटकारा
  • सर कार्यवाह ने आयुक्त खाद्य व रसद विभाग को दिया सीधा आदेश
  • विपक्ष व आमजनों ने सरकारी काम में हस्तक्षेप को गलत बताया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भाजपा की पूरी पार्टी संघ से संचालित होती है ये कोई छुपी बात नहीं पर भाजपा की सरकारें भी संघ मुख्यालय नागपुर से चलाई जाती हैं इसका आरोप विपक्ष द्वारा लगाया जाता रहा है। पर अब देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में एक ऐसा मामला आया है जिसमें संघ के सरकार्यवाह ने सीधे प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी को एक राशन के दुकान को निलंबित करने का आदेश दे दिया।
लखनऊ में बैठे बड़े अधिकारियों ने अपने मातहतों को आदेश दिया उसके बाद उस दुकानदार के लाइसेंस को एसडीएम ने निलंबित कर दिया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए निलंबन को गैरकानूनी बताया। अब इस मामले को भाजपा सरकार विपक्ष के साथ आम जनों के निशाने पर आ गई हैै। विपक्ष ने कहा है कि अभी तक तो विश्वविद्यालयों के कुलपति व अन्य नियुक्तियों में ही संघ का हस्तक्षेप था अब खाद्य वितरण के सबसे बड़े सिस्टम में भी वह घुस रहा है जो लोकतंत्र व भारत के प्रशासनिक व्यवस्था के लिए खतरे का संकेत है।

आरएसएस कार्यालय नागपुर से खाद्य आपूर्ति विभाग के आयुक्त को पहुंचा आदेश

उपरोक्त शिकायत को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) नामक एक संगठन के पदाधिकारी द्वारा खाद्य आपूर्ति विभाग के आयुक्त को नागपुर, महाराष्ट्र से 5.09.2024 के अपने ईमेल के माध्यम से भेजा गया है और याचिकाकर्ता के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए अनुमोदन किया है, जिसमें उसकी उचित मूल्य की दुकान का लाइसेंस रद्द करना भी शामिल है, इसके बाद, अधिकारियों ने उपरोक्त ईमेल को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही शुरू की।

अजनबी शिकायतकर्ता के आधार पर की गई कार्यवाही

याचिकाकर्ता की उचित मूल्य की दुकान के खिलाफ शुरू की गई पूरी कार्यवाही के पीछे दिनेश कुमार शुक्ला नामक व्यक्ति द्वारा की गई एक अदिनांकित शिकायत थी, दिलचस्प बात यह है कि वह याचिकाकर्ता की उचित मूल्य की दुकान का कार्डधारक नहीं है और शिकायतकर्ता एक अजनबी है जिसकी शिकायत पर याचिकाकर्ता की उचित मूल्य की दुकान के खिलाफ पूरी कार्यवाही शुरू की गई है। यहां यह उल्लेख करना उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता को पता चला है कि उपरोक्त शिकायतकर्ता द्वारा की गई अदिनांकित शिकायत के आधार पर जांच की गई है और ऊपर उल्लिखित सरकारी आदेश में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना याचिकाकर्ता की उचित मूल्य की दुकान का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है।

सरकारी आदेश का भी किया उल्लंघन

याचिकर्ता ने आरोप लगाया कि 30.06.2025 के निलंबन आदेश को पारित करते समय, राज्य सरकार द्वारा जारी सरकारी आदेश 05.08.2019 द्वारा उचित मूल्य की दुकान के खिलाफ शिकायत से निपटने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का अधिकारियों द्वारा अक्षरश: पालन नहीं किया गया है।

दुकानदार ने डाली याचिका

यह रिट याचिका विपक्षी पक्ष संख्या 4/उप-मंडल मजिस्ट्रेट, तहसील- कर्नलगंज द्वारा पारित 30.06.2025 के आक्षेपित निलंबन आदेश के विरुद्ध है, जिसमें याचिकाकर्ता का ग्राम पंचायत- नकहरा, तहसील- कर्नलगंज, जिला- बहराइच स्थित उचित दर की दुकान का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था। याचीकर्ता ने निवेदन किया कि विपक्षीगण का कृत्य कानून की दृष्टि में पूर्णत: अवैध, अन्यायपूर्ण, अनुचित एवं बुरा है तथा न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस माननीय न्यायालय का हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है।संलग्न रिट याचिका में उल्लिखित तथ्यों, कारणों और परिस्थितियों के आधार पर, जो शपथ पत्र द्वारा समर्थित हैं, यह न्यायालय विपक्षी पक्षकार संख्या 4/उप-विभागीय मजिस्ट्रेट द्वारा पारित 30.06.2025 के निलंबन आदेश पर रोक लगाने और न्याय के हित में, याचिकाकर्ता की डीलरशिप को बहाल करते हुए, बिना किसी गैरकानूनी बाधा के उचित मूल्य की दुकान चलाने की अनुमति देने की कृपा करें।

संघ पर पहले भी लगते रहे हैं आरोप

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ आरएसएस पर एक बार फिर आरोपों के घेरे में हैं। यह आरोप कांग्रेस की बयानबाजी नहीं बल्कि पत्र लीक होने के बाद सामने आये हैं। संघ से जुड़े लोगों पर आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। संजय जोशी से लेकर इंद्रेश कुमार और सुरेश सोनी से लेकर प्रमोद मुतालिक तक पर गंभीर आरोप लगे हैं। हालांकि किसी भी व्यक्ति पर कोई ठोस सजा नहीं हुई है लेकिन आरोपों के बाद हुई आंतरिक कार्रवाईयां इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी है कि आरोपों में दम था। संघ का मूल दर्शन हिंदुत्व, स्वदेशी, सरल जीवन, संगठन प्राथमिकता रहा है वही आज की सत्ताकेन्द्रित भाजपा की जीवनशैली और कार्यशैली से सीधे टकरा रही है। स्वदेशी आंदोलन का समर्थन करने वाला संघ आज कॉर्पोरेट पूंजीवाद की पोषक भाजपा सरकार का नैतिक सहायक बना हुआ है। संघ के वरिष्ठ प्रचारक शराब, पैसे और विलासिता से दूर रहते हैं, वहीं कई भाजपा नेताओं की भव्य जीवनशैली, निजी जेट, करोड़ों की संपत्ति और भ्रष्टाचार के आरोप संघ की मूल आत्मा पर सवाल खड़ा करने के लिए काफी हैं। संघ का आधिकारिक स्टैंड है कि वह सरकार के कामकाज में दखल नहीं देता। लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग, प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति में दखल है।

विवादों से भी रहा है नाता

संजय जोशी की पहचान संघ के एक प्रभावशाली व्यक्ति के तौर पर है। वह प्रचारक और भाजपा के संगठन महामंत्री रहे हैं। वे संगठनात्मक कुशलता, निष्ठा और सादगी के लिए जाने जाते थे। लेकिन नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो गए। यह माना जाता है कि मोदी की दिल्ली की राजनीति में चढ़ाई के दौरान संजय जोशी को हटाया गया ताकि संगठन पर उनका पूर्ण नियंत्रण हो सके। जोशी के खिलाफ अश्लील सीडी कांड जिसने मीडिया में खूब हलचल मचाई बाद में फर्जी साबित हुआ। इसके बावजूद उन्हें लंबे समय तक पार्टी और संघ की मुख्यधारा से दूर रखा गया।

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