चुनाव आयोग पत्थर और बीजेपी मालिक: उद्धव

- शिवसेना यूबीटी नेता की इलेक्शन कमीशन पर तल्ख टिप्पणी
- बोले- लोगों को अस्थिर बनाना ही बीजेपी की नीति
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को पत्थर करार दिया है। शिवसेना-यूबीटी के मुखपत्र सामना को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), चुनाव आयोग, केंद्र सरकार की नीतियों और महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति पर तीखी टिप्पणी की। उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ठाकरे ब्रांड को समाप्त करने की कोशिश हो रही है लेकिन जनता ही उन प्रयासों को निष्फल करेगी। उद्धव ठाकरे ने कहा है कि चुनाव आयोग पत्थर है। उस पत्थर पर सिंदूर लगा देने मात्र से शिवसेना नाम और धनुष-बाण चिह्न किसी और को देने का अधिकार उसे नहीं मिल जाता।
उन्होंने कहा कि देश के लोगों को हमेशा अशांत, अस्थिर और चिंतित बनाए रखना ही भाजपा की नीति है लेकिन लोगों को हमेशा मूर्ख बनाकर नहीं रखा जा सकता। खुद सरसंघचालक ने भी संकेत दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की 75 साल की उम्र पूरी हो रही है। शिवसेना के अस्तित्व पर सवाल को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा वे लोग शिवसेना को खत्म कर ही नहीं सकते। वर्षों बीत गए लेकिन आज भी वे जनता को मुझसे दूर नहीं कर सके। इसलिए आत्मसमर्पण कर मालिकों की पार्टी में विलीन हो जाना ही उनके (शिवसेना) पास आखिरी विकल्प है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर मैं कल चुनाव आयुक्त का नाम बदलकर पत्थर रख दूं, तो चलेगा क्या? इस पत्थर को पक्ष का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अगर हमने कुछ उल्टा व्यवहार किया होता तो बात अलग थी, लेकिन अगर हमने संविधान के अनुसार कोई गलती नहीं की हो तो वे हमारा चिह्न भी नहीं छीन सकते। वोट प्रतिशत वगैरह जो भी है, वह सिर्फ चिह्न तक सीमित है। नाम किसी और को नहीं दे सकते।
ठाकरे ने जन सुरक्षा बिल पर उठाये सवाल
उद्धव ठाकरे ने जन सुरक्षा बिल पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, क्या जन सुरक्षा बिल से महिलाओं पर अत्याचार रुकने वाले हैं? क्या चोरी, हत्या और डकैती रुकने वाली है? क्या समृद्धि आदि महामार्गों पर हो रही लूटमार रुकने वाली है? उस बिल में कट्टर वामपंथी (लेफ्टिस्ट) विचारधारा का जिक्र है। मूल रूप से कट्टर वामपंथी का मतलब क्या है? मूल रूप से वामपंथी विचारधारा और दक्षिणपंथी (राइटिस्ट) विचारधारा का मतलब क्या है?
जाति के नाम पर हो रही राजनीति
महाराष्ट्र में जातिगत राजनीति पर जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा ये लोग और क्या कर ही सकते हैं? लोगों के घरों में आग लगाकर अपनी रोटियां सेंकते हैं। कभी हिंदू-मुस्लिम, मराठी-गैरमराठी तो कभी हिंदुओं के बीच मराठा और गैर-मराठा अलग करना, यही चल रहा है। बालासाहेब कहते थे कि मराठा और गैर-मराठा, ब्राह्मण और गैर-ब्राह्मण, छूत-अछूत, घाटी और कोंकणी, ये सारे भेद मिटाकर लोगों को एक साथ मजबूती से आना चाहिए। अब वही एकता इनके आड़े आ रही है, इसलिए अब वे इनमें तोडफ़ोड़ कर रहे हैं।



