ऑपरेशन सिंदूर’ पर लोकसभा में चर्चा, शशि थरूर की अनुपस्थिति पर कांग्रेस ने दी सफाई

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने खुद थरूर से संपर्क कर उनकी मंशा जाननी चाही थी।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: संसद के मॉनसून सत्र के दौरान आज ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर लोकसभा में अहम चर्चा हो रही है।

इस बीच यह सवाल उठने लगा कि कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद डॉ. शशि थरूर इस बहस में भाग क्यों नहीं ले रहे हैं। अब पार्टी सूत्रों के हवाले से इस पर स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। बताया गया है कि थरूर इस चर्चा में भाग नहीं लेंगे और न ही पहलगाम हमले या ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बोलेंगे।

कांग्रेस पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी मुद्दे पर बोलने के लिए सांसद को पार्टी कार्यालय में पूर्व अनुरोध प्रस्तुत करना होता है। सूत्रों के मुताबिक, थरूर ने इस विषय पर बोलने के लिए कोई अनुरोध नहीं भेजा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने खुद थरूर से संपर्क कर उनकी मंशा जाननी चाही थी। इस पर थरूर ने जवाब दिया कि वे इस चर्चा में नहीं, बल्कि ‘पोर्ट बिल’ पर बोलना चाहते हैं। इस बयान के बाद साफ हो गया है कि शशि थरूर जानबूझकर इस चर्चा से दूर रहेंगे और पार्टी की ओर से कोई भ्रम की स्थिति नहीं है।

कांग्रेस ने अपने लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी कर अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने और सदन की कार्यवाही में “पार्टी के रुख का समर्थन” करने को कहा  है ये ऑपरेशन सिंदूर पर थरूर का रुख पार्टी से अलग है. थरूर को बोलने के लिए कहने का कांग्रेस का कदम ऑपरेशन सिंदूर पर इस तेज तर्रार सांसद को पार्टी लाइन पर लाने की एक योजना दिखाई दी है. इससे पार्टी को यह मैसेज देने का भी मौका मिला कि वह थरूर के खिलाफ नहीं है और उन्हें अवसर देना चाहती है.

सरकार की तारीफ से कांग्रेस थी नाराज
वहीं, संसद के बाहर सोमवार को पत्रकारों की ओर लसे चर्चा में उनकी संभावित भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने दो शब्दों का एक जवाब दिया, “मौनव्रत, मौनव्रत.” उन्होंने न तो विस्तार से बताया और न ही कोई और जवाब दिया. यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राजनीतिक हलकों में एक प्रमुख चर्चा का विषय यह है कि क्या थरूर कांग्रेस चर्चा के दौरान बोलने के लिए उतारेगी. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की थी और सरकार की ओर से विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमंडलों में से एक की अध्यक्षता स्वीकार की थी, जिससे कांग्रेस काफी नाराज थी.

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