विमानन सुरक्षा पर फिर उठे सवाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का विमान गलत एयरफील्ड पर उतरा

मई में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद से विमानन सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग चुके हैं। इसके बाद बार-बार ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, जो बताती हैं कि हमारी विमानन व्यवस्था में अब भी कई खामियां मौजूद हैं।
ताज़ा उदाहरण है राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के चार्टर विमान का फलौदी में गलत एयरस्ट्रिप पर उतरना। हालांकि इस घटना में कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन यह तथ्य कि पायलट निर्धारित वायुसेना स्टेशन की बजाय नागरिक एयरस्ट्रिप पर विमान उतार बैठे, अत्यंत चिंताजनक है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने पायलटों को उड़ान से अलग कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन केवल जांच और रिपोर्ट से समस्या का समाधान नहीं होगा।
विमानन सुरक्षा का सबसे बड़ा आधार है पायलटों की सतर्कता और मजबूत प्री-फ्लाइट ब्रीफिंग। फलौदी की तरह कई स्थानों पर नागरिक और सैन्य एयरस्ट्रिप्स नजदीक स्थित हैं और उनके रनवे की संरचना भी लगभग समान है। ऐसे में अगर ब्रीफिंग और समन्वय पर्याप्त न हो, तो छोटी-सी चूक भी बड़ी दुर्घटना में बदल सकती है। जरूरत है कि सिस्टमेटिक सुधार किए जाएं, प्री-फ्लाइट ब्रीफिंग को अधिक विस्तृत और अनिवार्य बनाया जाए, एयर ट्रैफिक कंट्रोल व पायलटों के बीच रीयल-टाइम समन्वय बेहतर हो और जहां नागरिक व सैन्य एयरस्ट्रिप नजदीक हैं, वहां विजुअल और तकनीकी भेद स्पष्ट किया जाए। देखा जाये तो विमानन सुरक्षा में विश्वास केवल तब लौटेगा जब इन खामियों को दूर करने के ठोस कदम उठाए जाएंगे। वरना हर नई घटना यात्रियों के मन में यह सवाल पैदा करेगी कि क्या अगली उड़ान सुरक्षित है।
जहां तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ घटे घटनाक्रम की बात है तो आपको बता दें कि उनका विमान फ्रांसीसी बिजनेस जेट डसॉल्ट फाल्कन 2000 था, जो आठ से दस यात्रियों को लंबी दूरी तक ले जाने में सक्षम है। निर्धारित स्थान फलौदी वायुसेना स्टेशन (IAF Station) था, लेकिन यह विमान फलौदी के नागरिक एयरस्ट्रिप पर उतर गया। जैसे ही पायलटों को गलती का एहसास हुआ, उन्होंने तुरंत विमान को फिर से उड़ान भरी और लगभग पांच किलोमीटर दूर स्थित निर्धारित वायुसेना स्टेशन पर लैंड कराया। मुख्यमंत्री यहीं उतरे और कुछ घंटों बाद इसी विमान से जयपुर के लिए रवाना हुए। उसी रात यह विमान दिल्ली लौट गया।
हम आपको बता दें कि फलौदी में नागरिक एयरस्ट्रिप और वायुसेना स्टेशन दोनों न केवल भौगोलिक रूप से करीब हैं, बल्कि इनके रनवे देखने में भी एक जैसे हैं। सूत्रों का कहना है कि पायलटों ने लैंडिंग के समय गलत रनवे को लक्षित कर लिया। साथ ही, उड़ान से पहले आसपास मौजूद दोनों एयरफील्ड्स की पर्याप्त जानकारी न मिलने से भी यह गलती हुई। देखा जाये तो यह मामला सुरक्षा दृष्टि से गंभीर है। अगर विमान ने गलती से नागरिक एयरस्ट्रिप की बजाय वायुसेना स्टेशन के प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया होता तो इसके कानूनी और सुरक्षा संबंधी परिणाम गंभीर हो सकते थे। इसके अलावा नागरिक एयरस्ट्रिप का ढांचा हर विमान की वजन श्रेणी का समर्थन नहीं कर पाता, जिससे लैंडिंग सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। साथ ही सैन्य और नागरिक समन्वय की कमी से किसी भी सुधारात्मक कार्रवाई में देरी हो सकती है।
हम आपको बता दें कि फलौदी जिला मुख्यालय थार मरुस्थल के बफर ज़ोन में स्थित है और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर जैसे महत्वपूर्ण शहरों के निकट है। यहां रिण के नमक उद्योग के कारण इसे “नमक नगरी” भी कहा जाता है। इस सामरिक और भौगोलिक महत्व वाले क्षेत्र में इस प्रकार की गलती ने विमानन सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बहरहाल, यह घटना न केवल पायलटों की सतर्कता पर प्रश्नचिह्न लगाती है बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि एयरलाइनों और चार्टर कंपनियों को प्री-फ्लाइट ब्रीफिंग की गुणवत्ता बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही नागरिक और सैन्य हवाई अड्डों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना भी आवश्यक है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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