पहाड़ पर हाहाकार, सरकार जिम्मेदार!

  • उत्तर काशी में भारी तबाही, सेना का कैंप बहा
  • जवान लापता, जान-माल की भारी हानी
  • वैज्ञानिकों ने पहले ही धराली को कहीं और शिफ्ट होने की दी थी सलाह
  • इससे पूर्व में भी धराली कई बार हो चुका है तबाह
  • खराब मौसम रेस्क्यू आपरेशन में बन रहा है रोड़ा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
देहरादून। उत्तर काशी में दरकाते पहाड़ों और मलबे के सैलाब से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। व्यापक जानमाल की खबरों से दिल बैठा जा रहा है। विचलित करते वीडियो से साफ दिखाई दे रहा है कि वहां कुदरत के कहर ने क्या रूप लिया है। सेना का बेस कैंप तबाह हो चुका है। दर्जनों लोगों का पता नहीं है। ऐसे में यह तय होना जरूरी है कि आखिर इस नुकसान का जिम्मेदार कौन है।
ऐसे में जब भूगर्भ वैज्ञानिकों ने आपदाओं के बाद धराली गांव को कहीं और बसाने की सलाह राज्य सरकार को दी थी तो फिर यह सलाह अमल में क्यों नहीं लायी गयी। वैज्ञानिकों ने सरकार को पहले से यह बता रखा है कि आपदा के लिहाज से धराली टाइम बम पर बैठा है। उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से भारी तबाही की खबर है। बताया जा रहा है कि इसमें दर्जनों लोगों के मारे जाने की संभावना है जबकि 50 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से गंगोत्री तीर्थयात्रियों के प्रमुख पड़ाव धराली गांव के बाजार, मकान और होटल बह गए। सिर्फ 34 सेकेंड में सब कुछ बर्बाद हो गया। धराली के अलावा हर्षिल और सुक्की में बादल फटा है। हर्षिल इलाके में बादल फटने से सेना के 8 से 10 जवानों के लापता होने की खबर है। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। एसडीआरएफ एनडीआरएफ, आईटीबीपी और आर्मी की टीमें बचाव और रेस्क्यू के काम में जुटी हैं। अब तक 130 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है।

अखिलेश ने बढ़ाये मदद के हाथ

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जनपद के धराली, सुक्खी टॉप और हर्षिल घाटी में बादल फटने से कई लोगों के हताहत होने पर गहरा दु:ख प्रकट किया है। उन्होंने सपाईयों से दुर्घटना वाले क्षेत्र में जाकर लोगों की मदद करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि इस भयंकर त्रासदी में जनधन की व्यापक क्षति हुई है। कुदरत के कहर से मौतों का सिलसिला विचलित करने वाला है। पहाड़ी मलबा गिरने से मकान ढह गए और जो फंस गए वे बाहर निकल नहीं सके। दर्जनों लोग अपनी जान गवां बैठे। अखिलेश यादव ने दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि सरकार राहत और बचाव तेज कर पीडि़तों को तत्काल राहत पहुंचाए।

सीएम योगी ने की फोन पर बात

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में हुई बादल फटने की भयावह घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सीएम योगी ने पीडि़त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की और इस कठिन समय में प्रदेश सरकार की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। धराली गांव में बादल फटने की घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना आंध्र प्रदेश दौरा बीच में ही तत्काल रद्द कर दिया। मुख्यमंत्री धामी सीधे देहरादून स्थित राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष पहुंचे और स्थिति की समीक्षा की।

6 महीने पहले टूटा पहाड़ का हिस्सा बहकर आया!

धराली गांव में 1864, 2013 और 2014 में भी पहाड़ पर बादल फटे थे। इससे खीर नाले ने पूर्व में भयंकर तबाही मचाई थी। वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती बताते हैं कि धराली ट्रांस हिमालय (4 हजार मी. से ऊपर) में मौजूद मेन सेंट्रल थस्र्ट में है। यह एक दरार होती है, जो मुख्य हिमालय को ट्रांस हिमालय से जोड़ती है। ये भूकंप का अति संवेदनशील जोन भी है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है, वो 6 हजार मी. ऊंचा है, जब भी वहां से सैलाब आता है, धराली को तहस-नहस कर देता है। करीब 6 महीने पहले पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिर रहा था। लेकिन ये अटक गया था। संभवत: इस बार वही हिस्सा टूटकर नीचे आया है।

सेना ने तेज किया बचाव अभियान

उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने के बाद, भारतीय सेना ने बचाव और राहत कार्य तेज कर दिए हैं और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए जमीनी और हवाई दोनों स्तरों के जरिए राहत पहुंचाई जा रहा है। सेना के सेंट्रल कमांड ने अपने ‘एक्सÓ अकाउंट से जानकारी दी कि कर्नल हर्षवर्धन, जो 14 राजराइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर हैं, 5 अगस्त की सुबह से ही 150 जवानों की टीम के साथ राहत कार्य की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी बचे लोगों को सुरक्षित निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। उन्होंने भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की।

राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने इस आपदा को मानव निर्मित बताया और कहा कि उत्तरकाशी का धराली गांव, जहां बादल फटा, वह भागीरथी और खीर गंगा के संगम का अति संवेदनशील क्षेत्र है। ऐसे क्षेत्रों में कंक्रीट का निर्माण क्यों किया जा रहा है? पर्यावरण विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही।

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