PAN, आधार-वोटर ID होने का मतलब नागरिकता नहीं, बॉम्बे HC का बड़ा फैसला

कोर्ट ने एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ये दस्तावेज़ पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हैं,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: अगर आप लंबे समय से भारत में रह रहे हैं और आपके पास पैन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड है तो ये मत समझिए कि आप भारत के नागरिक हैं.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे जुड़ा एक आदेश सुनाया है. कोर्ट ने एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ये दस्तावेज़ पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हैं, लेकिन ये अधिनियम में निर्धारित नागरिकता की मूल कानूनी आवश्यकता का उल्लंघन नहीं करते.

आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज होने के बाद भी अगर आपको लगता है कि आप भारत के नागरिक हैं तो ऐसा नहीं है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे लेकर अहम आदेश जारी किया है. अदालत ने कहा है कि सिर्फ आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज होने से कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं बन जाता. ये दस्तावेज पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हैं, लेकिन ये अधिनियम में निर्धारित नागरिकता की मूल कानूनी आवश्यकता का उल्लंघन नहीं करते.

हाई कोर्ट ने ये आदेश ठाणे के एक निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. इस व्यक्ति ने कोर्ट को बताया कि उसके पास आधार, पैन, पासपोर्ट और वोटर आईडी है. उसके दस्तावेज आयकर रिकॉर्ड, बैंक खातों,उपयोगिताओं और व्यावसायिक पंजीकरण से जुड़े हैं. न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा, ये दस्तावेज पहचान या सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हैं, लेकिन ये अधिनियम में निर्धारित नागरिकता की मूल कानूनी आवश्यकता का उल्लंघन नहीं करते. हालांकि ये स्पेशल केस था, क्योंकि पुलिस का आरोप है व्यक्ति बांग्लादेशी नागरिक है. वह 2013 से ठाणे में रह रहा है.

बर्थ सर्टिफिकेट: जन्म प्रमाण पत्र एक बुनियादी दस्तावेज है जो बच्चे के जन्म के बाद अधिकारियों द्वारा दिया जाता है. इसमें जन्म स्थान का विवरण होता है. जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत जारी किया गया यह दस्तावेज नागरिकता का एक वैध और प्राथमिक प्रमाण माना जाता है. 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट: जन्म प्रमाणपत्र के अलावा 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट को भी नागरिकता का वैध प्रमाण माना जाता है.

इसके अलावा डोमिसाइल सर्टिफिकेट भी पुख्ता आधार होता है. ये राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है. यह प्रमाण पत्र किसी विशेष राज्य में निवास की पुष्टि करता है औरनागरिकता के दावों का समर्थन करता है. कुछ मामलों में सरकार द्वारा जारी भूमि आवंटन प्रमाण पत्र या पेंशन आदेश जैसे दस्तावेजों को भी नागरिकता के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. खासकर अगर वे 1987 से पहले के हों.

इन केस में सिर्फ ये पहचान पत्र काफी नहीं

कोर्ट के मुताबिक, किसी व्यक्ति पर विदेशी मूल का होने या जाली दस्तावेजों का उपयोग करने के आरोप हों, वहां न्यायालय नागरिकता निर्धारित करने के लिए केवल पहचान पत्रों पर निर्भर नहीं रह सकता. इस मुद्दे की नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार कड़ाई से जांच की जानी चाहिए.

भारत की नागरिकता कैसे मिलती है?
भारत की नागरिकता 4 तरीकों से मिल सकती है. जन्म, वंश, पंजीकरण और देशीयकरण.

जन्म से कैसे मिलती है नागरिकता?

26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई, 1987 से पहले भारत में जन्मा प्रत्येक व्यक्ति, चाहे उसके माता-पिता की राष्ट्रीयता कुछ भी हो, भारतीय नागरिक माना जाता है .

1 जुलाई, 1987 के बाद और 3 दिसंबर, 2004 से पहले भारत में जन्मा व्यक्ति भारतीय नागरिक माना जाता है, अगर उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक था. 3 दिसंबर, 2004 के बाद भारत में जन्मा व्यक्ति भारतीय नागरिक माना जाता है, यदि उसके माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक है और दूसरा अवैध प्रवासी नहीं है.

वंश से कैसे

यदि किसी व्यक्ति का जन्म भारत के बाहर हुआ है, लेकिन उसके माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक है, तो उसे भारतीय नागरिकता मिल सकती है.

पंजीकरण से

भारतीय मूल का व्यक्ति जो कम से कम सात साल से भारत में सामान्य रूप से रह रहा है, वह पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. ऐसा व्यक्ति जो भारतीय नागरिक से विवाहित है और कम से कम सात साल से भारत में रह रहा है, वह भी पंजीकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है.

देशीयकरण से

कोई भी व्यक्ति जो 12 साल से भारत में रह रहा है और नागरिकता अधिनियम, 1955 की तीसरी अनुसूची में निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, वह देशीयकरण द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है. नागरिकता प्राप्त करने के लिए किसी भी शख्स को भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में निर्धारित आवश्यकताओं को पूरा करना होगा और ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होगा.

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