मप्र में कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर बवाल

  • दिग्विजय बोले – सिंधिया और कमलनाथ के बीच थी अनबन
  • गलत आरोप मेरे सिर पर मढ़े गए : पूर्व सीएम

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। मध्य प्रदेश में पांच साल पहले गिरी कांग्रेस सरकार को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक पॉडकास्ट में कई खुलासे किए। दिग्विजय ने बताया कि सरकार आइडियोलॉजिकल क्लैश से नहीं बल्कि क्लैश ऑफ पर्सनैलिटी से गिरी थी। दिग्विजय सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने एक उद्योगपति से मध्यस्थता करवाई थी, जिनके कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों से अच्छे संबंध थे। उनके घर पर डिनर के दौरान कई मुद्दों पर सहमति बनी और एक विशलिस्ट तैयार हुई।
इसमें ग्वालियर-चंबल संभाग से जुड़े फैसलों पर साथ मिलकर काम करने का आश्वासन भी शामिल था। दिग्विजय के बताया कि उन्होंने भी लिस्ट पर दस्तखत किए थे, लेकिन बाद में उसका पालन नहीं हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि जिन पर पूरा भरोसा था, उन्हीं लोगों ने धोखा दिया। अगर ग्वालियर-चंबल से जुड़ी मांगें मानी जातीं तो शायद सरकार गिरने की नौबत नहीं आती। दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रचारित किया गया कि उनकी और सिंधिया की लड़ाई से सरकार गिरी, जबकि हकीकत यह नहीं है। उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि स्थिति गंभीर हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि मुझ पर हमेशा वही आरोप लगाए जाते हैं, जिनका मैं दोषी नहीं होता हूं।

पुरानी बातें उखाडऩे से कोई फायदा नहीं : कमलनाथ

दिग्विजय सिंह का बयान सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी पलटवार किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मध्य प्रदेश में 2020 में मेरे नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने को लेकर हाल ही में कुछ बयानबाजी की गई है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि पुरानी बातें उखाडऩे से कोई फायदा नहीं है, लेकिन यह सच है कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और हमारी सरकार गिराई।

राहुल ने कांग्रेस जिला अध्यक्षों को दी ट्रेनिंग

प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त 71 शहर और ग्रामीण जिला अध्यक्षों को दिल्ली में पहली ट्रेनिंग हुई। इसमें लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए जिला अध्यक्षों को पार्टी को मजबूत करने की सीख दी। वहीं, दूसरी तरफ कई जिलों में नवनियुक्त जिला अध्यक्षों को लेकर हो रहा विरोध प्रदर्शन दिल्ली में भी हुआ। राहुल गांधी ने बताया कि पार्टी और संगठन को कैडर मजबूत करना है। उन्होंने कैडर मैनेजमेंट विषय पर नए जिला अध्यक्षों को टिप्स दिए। इस दौरान जिला अध्यक्षों को तीन महीने के भीतर जिले और ब्लॉक स्तर पर टीम बनाने का लक्ष्य दिया गया है।

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