भाजपा पर पश्चिम में नए चेहरों पर दांव लगाने का दबाव
- कई विधायकों की खिसक सकती है जमीन
लखनऊ। पश्चिमी यूपी में विस प्रत्याशियों का नाम तय करने में जुटी भाजपा चुनौतियां की भंवर में खड़ी है। पार्टी पर 2017 का प्रदर्शन दोहराने का भारी दबाव है, जबकि ज्यादातर विधायकों के खिलाफ मतदाताओं में नाराजगी है। पार्टी के कुछ विधायकों के सपा में जाने के बाद अब भाजपा आक्रामक रणनीति के साथ आगे बढ़ेगी। पार्टी बड़ी संख्या में नए चेहरों को मौका दे सकती है। पश्चिम यूपी की 71 सीटों में से दर्जनों का टिकट कट सकता है। मुरादाबाद से लेकर सहारनपुर तक नए चेहरों पर दांव खेलने की पटकथा लगभग बन चुकी है। 10 फरवरी को पहले चरण में मेरठ समेत कई जिलों में विधानसभा चुनाव होंगे।
चुनाव आयोग ने 21 जनवरी को नामांकन की अंतिम तिथि घोषित की है, जिसके पहले प्रत्याशियों की सूची जारी करनी होगी। पश्चिम यूपी में सपा-रालोद गठबंधन के बाद उभरे नए राजनीतिक समीकरण भाजपा की आंखों में चुभ रहे हैं। भाजपा ने पहले लखनऊ और नई दिल्ली में पश्चिम यूपी के टिकटों को लेकर मंथन किया। प्रत्याशियों की पहली सूची 16 जनवरी तक आनी है। 71 सीटों में भाजपा के 50 विधायक हैं, जिसमें प्रदेश सरकार में मंत्री सुरेश राणा, कपिल देव अग्रवाल, अतुल गर्ग, डॉ.धर्मसिंह सैनी, अनिल शर्मा एवं दिनेश खटीक शामिल हैं। विस चुनाव 2022 में इन दिग्गजों के अलावा क्षेत्रीय इकाई की भी साख फंसी है।
पश्चिम उप्र किसान आंदोलन का केंद्र रहा है। यहां जाट-गुर्जर फैक्टर एवं मुस्लिमों की आबादी ज्यादा होने से भाजपा की डगर आसान नहीं होगी। पार्टी कई सीटों पर आक्रामक रणनीति के साथ बदलाव की हिम्मत दिखा सकती है। पश्चिम यूपी के 14 जिलों में कम से कम एक-एक बदलाव किया जा सकता है। संघ ने भी कई सीटों पर बदलाव को हरी झंडी दे दी है।