कफ सिरप केस: शुभम जायसवाल फरार, ED ने PMLA के तहत केस दर्ज
कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में जांच एजेंसियों ने कार्रवाई तेज कर दी है। मामले के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल की तलाश जारी है और आशंका जताई जा रही है कि वह दुबई भाग चुका है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में जांच एजेंसियों ने कार्रवाई तेज कर दी है। मामले के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल की तलाश जारी है और आशंका जताई जा रही है कि वह दुबई भाग चुका है। इस पूरे रैकेट को लेकर अलग-अलग जिलों में अब तक 118 FIR दर्ज की जा चुकी हैं।
नशीले कोडीनयुक्त कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के बाद मामला गंभीर रूप ले चुका है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी दखल देते हुए PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत केस दर्ज किया है। ED ने बड़े स्तर पर धन शोधन के एंगल से जांच शुरू की है।
जांच अब सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका दायरा बढ़ाकर मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक किया गया है। ED ने यूपी के FSDA (खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन) से अब तक की गई सभी कार्रवाई, सैंपल रिपोर्ट और अन्य संबंधित दस्तावेजों की पूरी जानकारी तलब की है।
कोडीनयुक्त नशीले कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के बाद जांच एजेंसियां पूरे रैकेट की परतें खोलने में जुट
गई हैं. इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत
केस दर्ज कर लिया है और बड़े स्तर पर जांच शुरू कर दी है. अब जांच का दायरा उत्तर प्रदेश से बढ़कर मध्य प्रदेश,
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक फैल गया है. ED ने यूपी के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि
प्रशासन (FSDA) से अब तक की गई सभी कार्रवाई और संबंधित दस्तावेजों की पूरी रिपोर्ट भी मांगी है.
इस सिंडिकेट ने फर्जी फर्मों के माध्यम से अरबों रुपये का कोडीन बेस्ड कफ सिरप अवैध रूप से
नेपाल और बांग्लादेश तक भेजा. चौंकाने वाली बात यह है कि तस्करी नेटवर्क में कुछ निर्माता कंपनियों के साथ-साथFSDA के कुछ अधिकारी भी शामिल पाए गए हैं, जिन्होंने या तो इस कारोबार पर कार्रवाई नहीं की या फिर सीधे सहयोग किया.
ED ने बुधवार को केस दर्ज करते ही वाराणसी के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के घर पर समन चस्पा कर दिया.
एजेंसी ने उसे 8 दिसंबर को पूछताछ के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया है. इसके अलावा जेल में बंद आरोपियों
आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से भी ED पूछताछ करेगी. इन दोनों ने STF को दिए अपने बयान में शुभम
जायसवाल और आजमगढ़ के विकास सिंह नरवे का नाम लिया था.
दो चार्टर्ड अकाउंटेंट भी जांच के घेरे में
ED की जांच में दो चार्टर्ड अकाउंटेंट—तुषार और विष्णु अग्रवाल—के नाम भी सामने आए हैं. ये दोनों आरोपी फर्मों के वित्तीय लेनदेन से जुड़े दस्तावेज तैयार करते थे और फर्जी बिलिंग के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग को अंजाम दिलाते थे.
ED जल्द ही इन दोनों को भी समन भेजकर पूछताछ करेगी.
कहां-कहां दर्ज हुए 118 मुकदमे?
इस पूरे मामले में अब तक कुल 118 FIR दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें वाराणसी में 38, जौनपुर में 16, कानपुर
नगर में 8, गाजीपुर में 6, लखीमपुर खीरी में 4 और लखनऊ में 3 केस शामिल हैं. अन्य जिलों में 43 मुकदमे दर्ज
किए गए हैं.
विकास सिंह नरवे अब भी फरार
सिंडिकेट का अहम सदस्य माने जाने वाला आजमगढ़ का विकास सिंह उर्फ नरवे पिछले पांच दिनों से STF की पकड़ से दूर है. सूत्रों के अनुसार नरवे किसी माफिया के संरक्षण में दुबई भागने की फिराक में है. ED अब सभी निर्माता कंपनियों का प्रोडक्शन रिकॉर्ड, लाइसेंस और बैंक ट्रांजेक्शन खंगाल रही है.
तस्करी का तरीका बेहद संगठित था. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड की कुल सात निर्माता कंपनियों से भारी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप खरीदा जाता था. फिर यूपी के लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर, बहराइच से नेपाल और वाराणसी-गाजियाबाद की फर्मों के जरिए बांग्लादेश भेजा जाता था. ज्यादातर फर्में केवल बिलिंग के लिए बनाई गई थीं, न इनके पास गोदाम थे न स्टॉक.



