शिंदे को बंद कमरे में मनाने की कोशिश…नाकाम!

  • शिंदे की शर्तें, पसीना-पसीना फडणवीस
  • निकाय चुनाव में गठबंधन नहीं गुट चलता है बॉस
  • महायुति में तुरपाई… निकाय चुनाव की अंगड़ाई
  • शिंदे की सेना अंदर से हो रही थी खोखली
  • शिंदे का अल्टीमेटम अगर मेरी सेना बिखर गयी तो बीजेपी को फायदा नहीं फटा हुआ गठबंधन मिलेगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। खबर महाराष्ट्र से जहां शिंदे—फडणवीस की सास—बहू टाइप लड़ाई से तंग आकर हाइकमान ने दोनों को स्वंय सारे गिले शिकवे दूर करने का अल्टीमेटम दे दिया था। बीती मध्यरात्रि तक दोनो नेताओं ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक चली इस बातचीत में शिंदे की शर्तों से सीएम फडणवीस के माथे पर कई बार पसीना आया। दरअसल महाराष्ट्र में निकाय चुनाव है और एनडीए के प्रमुख राजनतिक पार्टनर एकनाथ शिंदे फडणवीस सरकार से बेहद खफा चल रहे थे। कैबिनेट बैठक से किनारा और दिल्ली दरबार में हाजरी ही उनकी दिनचर्या हो चली थी। उनकी प्रमुख चिंता थी कि बीजेपी महाराष्ट्र में शिंदे की सेना को खोखला कर रही है। उनकी सुनी नहीं जा रही और उनके नेताओं को बीजेपी ज्वाइन करा कर पॉवर बैलेंस करने की भीतरखाने से साजिश रची जा रही है। इन्ही सबके चलते शिंदे ने निकाय चुनाव में एनडीए से हाथ खींच लिये थे और अपनी दाढ़ी में सस्पेंस की मुस्कान छुपा कर एकाला चल दिये थे। बीती रात की बैठक में थ्रिल भी था और संस्पेंस भी। हारर इतना की फडणवीस ने तो हाथ ही खड़े कर दिये थे और एकनाथ शिंदे को सीएम साहब कहकर बुला रहे थे। उनकी बस एक ही कोशिश थी कि शिंदे मान जाएं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिंदे नहीं माने और रहस्मयी मुस्कान के साथ आगे की बातचीत के रास्ते खोलकर चल दिये। हां शिंदे ने फडणवीस के सामने कुछ ऐसी शर्ते रखी हैं जो रेड कारपेट तो कतई नहीं है हां कांटों से बनी चटाई जरूर दिखती है।
शर्त नंबर 1- मेरे विधायक/कार्यकर्ता बीजेपी में नहीं कूदेंगे।
शर्त नंबर 2- निकाय में बराबरी का दम वर्ना गठबंधन बेदम।
शर्त नंबर 3- शिवसेना का सम्मान नहीं तो मैं फिर वही करूंगा।

निकाय चुनाव असली महाभारत

मराठी राजनीति का घमासान अब शुरू होगा। मुम्बई से लेकर कल्याण, डोंगिवली, थाणे से लेकर पुणे, पिंपरी तक स्थानीय नेता अपनी तलवारों को धार दे रहे हैं। क्योंकि निकाय चुनाव में गठबंधन नहीं चलता गुट चलता है। टिकट मिलेगा तो नेता मुस्काएगा। टिकट कटेगा तो नेता बोलेगा मैं कौन सा शिंदे से कम हूं? मैं भी जा सकता हूं। हालांकि बंद कमरे में महायुति की तुरपाई होने की खबरें बाहर आयीं हैं लेकिन तुरपाई का धागा इतना कमजोर है कि जरा से दबाव की आहट में ही टूट जाएगा। महाराष्ट्र राजनीति को करीब से देखने वाले कह रहे है कि ये पैचअप नहीं निकाय चुनाव के लिए पट्टी बांधना जैसा है लेकिन अंदर ही अंदर जख्म रिस रहे हैं और खून बाहर आ रहा है। और जनता कह रही है कि इवेंट खत्म हुआ महाराज अब असली तमाशा शुरू होगा।

शिंदे सेना के कार्यकर्ताओं का शिवसेना से तेजी से मोहभंग

दरअस्ल शिंदे सेना के कार्यकर्ताओं का शिवसेना से तेजी से मोहभंग हो रहा है। शिंदे पहले की तरह ताकतवर नहीं रहे। उन्हें फैसले पूछ कर लेने पड़ रहे हैं। ऐसे में किसी कार्यकर्ता का काम होता है किसी का नहीं। बस जिन नेताओं के काम नहीं हो रहे वह जुगाड़ लगाकर बीजेपी में जा रहे हैं। यह बात शिंदे को अच्छी नहीं लग रही। उन्हें ऐसा बताया जा रहा है कि बीजेपी जानबूझकर शिव सेना कार्यकर्ताओं को बीजेपी ज्वाइन करा रही है ताकि वह राजनीतिक रूप से कमजोर हो। ऐसा हो भी रहा है शिंदे की सेना दीवार नहीं खोखली लकड़ी की तरह आवाज करने लगी है बस हाथ लगाओ और ठक-ठक-ठक की गूंज चार मंजिल ऊपर तक जाती है। यही दर्द लेकर शिंदे बोले अगर मेरी सेना बिखर गयी तो तो आपकी बीजेपी को फायदा नहीं फटा हुआ गठबंधन मिलेगा।

बड़े शहरों में अनियंत्रित आवारा कुत्तों पर शिवसेना यूबीटी के सवाल पर फंसे शिंदे

शिंदे ने मुंबई, पुणे, नागपुर और कल्याण-डोंबिवली जैसे बड़े शहरों में अनियंत्रित आवारा कुत्तों की संख्या बढऩे को लेकर व्याप्त चिंता के बीच शिवसेना (उबाठा) के विधायक सुनील प्रभु के प्रश्न पर यह जवाब दिया। महाराष्ट्र में पिछले छह वर्ष में कुत्तों के काटने के 30 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2021 से 2023 के बीच 30 लोगों की रेबीज से मौत हुई। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने लिखित उत्तर में कहा कि स्थानीय निकायों को पशु जनसंख्या नियंत्रण और रोबीज-रोधी टीकाकरण कार्यक्रमों को तेज करने का निर्देश दिया गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कुत्तों के काटने के मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र में पिछले छह वर्ष में कुत्तों के काटने के 30 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 2021 से 2023 के बीच 30 लोगों की रेबीज से मृत्यु हुई।

विधानसभा में उठा रोहित आर्य एनकाउंटर का मामला, विपक्ष ने सरकार को घेरा

मुंबई में 19 लोगों को बंधक बनाने वाले उद्यमी रोहित आर्य के पुलिस एनकाउंटर को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा। इस मामले पर राज्य सरकार की आलोचना की। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि पवई में एक स्टूडियो से 17 बच्चों और दो वयस्कों को बचाने के दौरान गोली लगने से मारे गए आर्य ने बकाया राशि की मांग की थी। विधायक दल के नेता ने वीडियो पर उठाए सवाल वडेट्टीवार ने पूछा कि आर्य ने एक वीडियो बनाया था जिसमें कहा गया था कि मुझे मेरे पैसे दे दो, मैं आतंकवादी नहीं हूं. इसके बावजूद उसे मुठभेड़ में क्यों मारा गया? उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? उस समय एक मुठभेड़ विशेषज्ञ घटनास्थल पर कैसे पहुंच गया? वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि आर्य का भुगतान एक पूर्व मंत्री द्वारा लिए गए फैसलों के कारण रोक दिया गया था. उन्होंने सवाल किया, क्या पूर्व मंत्री के खिलाफ कोई जांच हुई थी? क्या पैसा अभी भी बकाया है? गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) पंकज भोयर ने सदन को बताया कि मानवाधिकार आयोग ने जांच का आदेश दिया है, जो चल रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने आत्मरक्षा में कार्रवाई की क्योंकि आर्य ने बच्चों को बंधक बना रखा था. पुलिस की कार्रवाई में कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि जहां जरूरत होगी, जवाबदेही तय की जाएगी।

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