हिजाब विवाद पर भड़के अबू आजमी, कहा- कानून लाना चाहिए

समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने हिजाब विवाद को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है... और उन्होंने कहा कि आज के हालात में देश...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक मुस्लिम महिला का हिजाब हटाने की घटना की कड़ी निंदा की है.. और उन्होंने इसे महिलाओं के सम्मान.. और मुसलमानों की सुरक्षा के खिलाफ बताया है.. आजमी ने कहा कि नीतीश कुमार जैसे वरिष्ठ नेता का यह व्यवहार बेहद गलत है.. और उनके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए.. यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बहस छिड़ी हुई है.. आजमी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुसलमानों को देश में असुरक्षित बताते हुए कई अन्य मुद्दों पर भी बात की..

आपको बता दें कि यह पूरा विवाद 17 दिसंबर को बिहार में एक सरकारी कार्यक्रम से शुरू हुआ.. जहां बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे.. इसी दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर मंच पर पहुंचीं.. वीडियो फुटेज में दिखता है कि नीतीश कुमार ने महिला का चेहरा देखने के लिए उनका हिजाब या नकाब नीचे खींच दिया.. महिला ने बाद में इसे अपमानजनक बताया.. हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि नीतीश कुमार का इरादा चेहरा पहचानना था.. लेकिन यह कदम विवादास्पद साबित हुआ.. वहीं इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.. जिससे पूरे देश में हंगामा मच गया.. विपक्षी दलों ने इसे महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन बताया.. जबकि कुछ ने नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए.. नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी.. और उनके सहयोगी भाजपा ने शुरुआत में इसे सामान्य बताया.. लेकिन बढ़ते दबाव में माफी की मांग होने लगी..

वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी निंदा हुई.. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे मुस्लिम महिला की गरिमा पर हमला करार दिया.. अल जजीरा जैसे मीडिया ने इसे भारत में मुसलमानों पर बढ़ते दबाव का प्रतीक बताया.. बिहार पुलिस में शिकायत दर्ज हुई.. जिसमें नीतीश कुमार और एक मंत्री पर आरोप लगाए गए.. विपक्षी नेता जैसे आरजेडी के तेजस्वी यादव ने इसे नीतीश कुमार की 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद की ‘मानसिक अस्थिरता’ का उदाहरण बताया.. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विवादास्पद बयान दिया कि महिला नरक में जा सकती है.. जिससे और हंगामा हुआ..

बता दें कि यह घटना कोई अलग-थलग नहीं है.. भारत में हाल के वर्षों में धार्मिक प्रतीकों को लेकर कई विवाद हुए हैं.. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में हिजाब पर फैसला दिया था कि यह व्यक्तिगत अधिकार है.. लेकिन राज्य स्तर पर नियम अलग-अलग हैं.. नीतीश कुमार की यह हरकत मुसलमानों में असुरक्षा की भावना को बढ़ावा देती है.. खासकर जब देश में लिंचिंग और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं..

समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने 17 दिसंबर को मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस घटना की कड़ी निंदा की.. और उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जैसे मुख्यमंत्री ने एक महिला के साथ इतना अपमानजनक व्यवहार किया, यह बेहद दुखद है.. हिजाब या बुर्का पहनना महिला की निजी पसंद है.. और इसे जबरदस्ती हटाना मुसलमानों को यह संदेश देता है कि उनके जीवन का कोई मूल्य नहीं है.. आजमी ने मांग की कि नीतीश कुमार माफी मांगें.. और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो.. उन्होंने इसे पहला मौका नहीं बताया, बल्कि कहा कि पहले भी नीतीश कुमार पर ऐसे आरोप लगे हैं..

आजमी ने आगे कहा कि देश में मुसलमान होना अब गुनाह जैसा हो गया है.. मुसलमानों को गद्दार कहा जा रहा है.. उन्हें देश से निकालने की बात हो रही है.. वे अब बिल्कुल सुरक्षित नहीं हैं.. उन्होंने खान सरनेम वाले लोगों को मेयर बनाने की अफवाहों का खंडन किया.. और कहा कि मेयर कोई अच्छा इंसान होना चाहिए.. न कि किसी धर्म विशेष का.. आजमी की यह प्रतिक्रिया सपा की सेक्युलर छवि को मजबूत करती है.. क्योंकि पार्टी हमेशा अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर मुखर रही है.. अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के लिए कई योजनाएं चलाईं..

आपको बता दें कि आजमी खुद एक प्रमुख मुस्लिम नेता हैं.. जो महाराष्ट्र में सपा की कमान संभालते हैं.. वे पहले भी विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं.. जैसे 2015 में निर्भया मामले पर उनकी टिप्पणी.. लेकिन इस बार उनका बयान मुसलमानों की सुरक्षा पर केंद्रित है.. जो राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन गया है.. कई मुस्लिम संगठनों ने उनकी बात का समर्थन किया.. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने नीतीश कुमार से माफी मांगी..

जानकारी के मुताबिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आजमी ने संसद में ईशनिंदा कानून लाने की मांग की.. और उन्होंने कहा कि वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से इस पर बात करेंगे.. और उम्मीद है कि इंडिया गठबंधन.. और अन्य सेक्युलर पार्टियां इसका समर्थन करेंगी.. भारत में वर्तमान में आईपीसी की धारा 295A है.. जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर सजा देती है.. लेकिन आजमी एक सख्त ब्लास्फेमी कानून चाहते हैं.. हालांकि, भारत में ऐसे कानून की आलोचना होती है.. क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है..

पंजाब में 2025 में एक एंटी-सैक्रिलेज बिल पेश किया गया, जो ब्लास्फेमी जैसा है.. इस बिल में धार्मिक पुस्तकों या प्रतीकों को अपमानित करने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.. आलोचकों का कहना है कि यह कानून दुरुपयोग का खतरा बढ़ाएगा.. जैसे पाकिस्तान में होता है.. जहां ब्लास्फेमी आरोपों से हिंसा होती है.. संसद में राघव चड्ढा जैसे सांसदों ने प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए.. लेकिन वे पास नहीं हुए.. आजमी की मांग से धार्मिक समूहों में बहस छिड़ गई है.. हिंदू संगठन इसे मुसलमानों के लिए विशेष कानून बताते हैं.. जबकि मुस्लिम नेता इसे जरूरी मानते हैं..

आजमी ने टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर पर भी प्रतिक्रिया दी.. कबीर को 4 दिसंबर को टीएमसी ने सस्पेंड कर दिया.. क्योंकि उन्होंने मुरशिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ जैसी मस्जिद बनाने की बात कही.. आजमी ने कहा कि कबीर पर कुछ नहीं कहेंगे.. लेकिन वे बंगाल में बीजेपी के एजेंट जैसे काम कर रहे हैं.. जिससे वोटों का बंटवारा होता है.. और बीजेपी को फायदा मिलता है..

कबीर ने सस्पेंशन के बाद इस्तीफा नहीं दिया.. और नई पार्टी बनाने की बात कही.. उनका बयान बाबरी मस्जिद विध्वंस की 33वीं वर्षगांठ पर आया.. जिससे बंगाल में तनाव बढ़ा.. टीएमसी ने इसे बीजेपी की साजिश बताया.. कबीर बंगाल में मुस्लिम वोट बैंक खासकर 2026 चुनाव से पहले प्रभावित कर सकते हैं.. आजमी की टिप्पणी से पता चलता है कि विपक्षी दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं..

वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के सवाल पर आजमी ने कहा कि इसकी निंदा होनी चाहिए.. लेकिन पहले भारत में मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.. हमें अपने घर को पहले ठीक करना चाहिए.. यहां मुसलमान टारगेट हो रहे हैं.. बांग्लादेश में 2025 में हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं.. हाल ही में एक हिंदू व्यक्ति दीपू चंद्र दास की लिंचिंग हुई.. जिसके बाद दंगे भड़क गए.. मुहम्मद यूनुस सरकार ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया..

बांग्लादेश में 2024 की क्रांति के बाद इस्लामी कट्टरपंथ बढ़ा.. जिससे हिंदुओं पर हमले हुए.. यूएन रिपोर्ट्स में सांप्रदायिक हिंसा की बात है.. आजमी का बयान दोनों देशों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर जोर देता है.. भारत में भी मुसलमानों पर हमले की रिपोर्ट्स हैं.. एनसीआरबी डेटा के अनुसार, सांप्रदायिक हिंसा में 10% बढ़ोतरी हुई है…

 

 

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