विधानसभा चुनाव से पहले अठावले की एंट्री से बवाल, मायावती-अखिलेश की बढ़ाएंगे मुश्किलें!
एक तरफ जहां यूपी विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ नेताओं के आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: एक तरफ जहां यूपी विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं तो वहीं दूसरी तरफ नेताओं के आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है।
सत्ताधारी दल बीजेपी से लेकर अन्य सभी दलों ने वोटरों को साधने के लिए सियासी दांव चलनी शुरू कर दी है। ऐसे में एक तरफ जहां सपा मुखिया अखिलेश यादव PDA और MY समीकरण के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ अन्य दलों ने भी अपने खेमे को मजबूती दिलवाने के लिए जनसभाएं शुरू कर दी है। इसी कड़ी में एक और नाम सूबे की सियासत में जोरों से चर्चा में चल रहा है।
दरअसल रिपब्लिकन अब में एंट्री करने की तैयारी कर रही हैं. जिससे आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आपको बता दें कि पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने दावा किया कि वो यूपी में डीपीए यानी दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक के साथ मिलकर बदलाव लाएंगे.
इतना ही नहीं रामदास आठवले ने दावा भी किया है कि यूपी के 75 जिलों में से 62 जिलों में रिपब्लिकन पार्टी की कार्यकारिणी बन चुकी है. पार्टी अगले साल 5 अप्रैल 2026 को लखनऊ में एक बड़ी रैली करेगी, जिसमें 1 लाख से लोगों के शामिल होने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि अब बसपा की जगह रिपब्लिकन पार्टी ने ली है. दलितों और गरीब को न्याय दिलाने वाली पार्टी रिपब्लिकन पार्टी रहेगी. आरपीआई (आठवले) अब डीपीए की अवधारणा को जमीन पर मजबूती से लागू करेगी और असली बदलाव लाएगी.
आठवले ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश कार्यकारी समिति की समीक्षा बैठक की. इस बैठक में प्रदेश की राजनीतिक स्थिति, दलित, शोषित और वंचित समुदायों की समस्याओं एवं पार्टी के संगठन के विस्तार पर विस्तार से चर्चा हुई. आठवले ने कहा कि आरपीआई इन मुद्दों पर सिर्फ नारे नहीं लगाती बल्कि जमीन पर प्रभावी ढंग से काम कर रही है. अखिलेश यादव द्वारा दिया गया पीडीए का नारा केवल चुनावी घोषणा बनकर रह गया. पार्टी अब डीपीए की अवधारणा को लेकर जमीन पर मजबूती से उतरेगी और वास्तविक बदलाव लाएगी.
साथ ही आठवले ने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके सत्ता में इतने लंबे समय तक रहने के बावजूद दलितों, शोषितों, वंचितों, गरीबों और महिलाओं के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार नहीं हुआ. अखिलेश यादव द्वारा दिया गया पीडीए का नारा सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह गया है. साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव को नसीहत भी दे डाली। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि अखिलेश को चाहिए की वो कांग्रेस के साथ गठबंधन न करें। हालांकि अठावले भले ही नसीहत दे रहे हों कांग्रेस से गठबंधन न करने की लेकिन अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर पहले ही कांग्रेस से गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद से इंडिया गठबंधन को लेकर लगातार अलग-अलग तरह की अटकलें लगाई जा रही थी। जिसे लेकर अखिलेश यादव ने अपना बयान देकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया था। दरअसल अखिलेश यादव ने गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया और कहा कि यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव जिसके साथ गठबंधन है उन्हीं के साथ लड़ा जाएगा.
इतना ही नहीं खबरें तो यह भी आईं कि राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को अगले 6 महीने में संगठन को मजबूत करने और लोगों को मुद्दों को उठाने की नसीहत दी है. इसे एक बात तो साफ है कि अठावले या उनके जैसे कोई और नेता भले ही इंडिया गठबंधन को तोड़ने की सलाह दे रहे हों लेकिन सपा पहले ही साफ़ कर चुकी है कि 2027 के चुनाव में इंडिया गठबंधन के साथ ही लड़ेंगे।



