क्या नॉन वेज खाने से हर महिला को होता है ब्रेस्ट कैंसर? ICMR स्टडी में खुलासा

हाल ही में आई एक ICMR स्टडी में खुलासा हुआ है कि नॉन वेज खाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक होता है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: हाल ही में आई एक ICMR स्टडी में खुलासा हुआ है कि नॉन वेज खाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक होता है। हालांकि, जो लोग पूरी तरह नॉन वेज पर निर्भर रहते हैं, उनके लिए सवाल यह है कि क्या हर नॉन वेज खाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

इस विषय पर और जानकारी के लिए हमने विशेषज्ञ डॉक्टर से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि संतुलित आहार और सही लाइफस्टाइल अपनाने से जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ नॉन वेज खाने से हर किसी को कैंसर नहीं होता, लेकिन नियमित अत्यधिक मात्रा में नॉन वेज का सेवन जोखिम बढ़ा सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि महिलाओं को अपने आहार में पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखना चाहिए और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना भी जरूरी है।

रिसर्च में दावा किया गया है कि नॉन वेज खाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, रिसर्च में यह भी बताया गया है कि कैंसर के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं, लेकिन नॉन वेज को एक बड़ा रिस्क फैक्टर माना गया है।

इस रिसर्च के बाद लोगों के मन में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। देश के कुछ राज्यों में लोग अधिकतर नॉन वेज पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इन क्षेत्रों की महिलाएं सच में कैंसर के उच्च जोखिम में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि संतुलित आहार, सही लाइफस्टाइल और नियमित स्वास्थ्य जांच के जरिए जोखिम को कम किया जा सकता है।

सिर्फ नॉन-वेज खाना ही ब्रेस्ट कैंसर का सीधा कारण नहीं है. अगर कोई महिला ज्यादा नॉन वेज खाती है और उसका लाइफस्टाइल खराब है. मोटापे से पीड़ित है और जेनिटिक में भी कैंसर का रिस्क है तो उसको ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. इस तरह के मामले भी आते हैं.

रिसर्च के मुताबिक, सभी तरह का नॉन वेज तो नहीं, लेकिन बेकन, सलामी, क्योर किया गया मांस ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा देता है. प्रोसेस्ड मीट से भी रिस्क है. WHO ने प्रोसेस्ड मीट को Group-1 कार्सिनोजेन माना है. सबसे मज़बूत सबूत कोलोरेक्टल कैंसर के लिए हैं, लेकिन स्तन कैंसर के लिए भी जोखिम हो सकता है. रेड मीट से भी कैंसर का रिस्क हो सकता है, लेकिन तब जब इसको ज्यादा मात्रा में खाया जाता है. वहीं, अगर चिकन की बात करें तो इससे रिस्क नहीं होता है. या बहुत कम है. मछली से भी नहीं है

नॉन-वेज पकाने का तरीका क्या कैंसर के खतरे को बढ़ाता है?
हां, ये बड़ा मायने रखता है. अगर मीट ज्यादा तला हुआ है तो रिस्क बढ़ता है, जैसे मैने बताया है किप्रोसेस्ड मीट में प्रिज़र्वेटिव्स होते हैं, जो शरीर में जाकर कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं. इसी तरह अगर हॉर्मोन-इंजेक्टेड मीट खाते हैं तो ये भी कैंसर का एक रिस्क फैक्टर हो सकता है.

जेनेटिक और लाइफस्टाइल का क्या है रोल?
अगर महिला की मां को ब्रेस्ट कैंसर है तो उनकी बेटी में इसके जाने का रिस्क होता है. BRCA, PALB2, CHEK2 जैसी जीन अगर हैं तो कैंसर एक से दूसरे पीढ़ी में जाता है. इसकी तरह बढ़ा हुआ मोटापा और खराब लाइफस्टाइल भी कैंसर का कारण बनते हैं.

क्या शाकाहारी महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित होती हैं?
नहीं, शाकाहारी होना ब्रेस्ट कैंसर से पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं है. मोटापा है जेनेटिक्स में कैंसर है तो महिला को सतर्क रहना जरूरी है. ऐसी महिलाओं को 20 साल की उम्र के आसपास ब्रेस्ट कैंसर की जांच जरूर करा लेनी चाहिए.

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव कैसे करें
नॉन वेज खाते हैं तो सीमित मात्रा में खाएं

रोज एक्सरसाइज करें

मोटापा कंट्रोल में रखें

परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर है तो अपनी भी जांच कराएं

Related Articles

Back to top button