अनुभव और उपयोगिता को देखकर सौंपे गए मंत्रियों को विभाग

लखनऊ। उपयोगिता देख-देखकर जिस तरह से योगी मंत्रिपरिषद का गठन किया गया, ठीक उसी तर्ज पर कई मंत्रियों को विभाग भी उनके अनुभव और उपयोगिता को देखते हुए सौंपे गए हैं। नवगठित मंत्रिपरिषद के बीच काम का बंटवारा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे अधिक 34 विभाग अपने पास रखे हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हाथ से लोक निर्माण विभाग फिसलकर जितिन प्रसाद के पास पहुंचा है। केशव ग्राम्य विकास, समग्र ग्राम विकास और राष्टï्रीय एकीकरण जैसे विभाग देखेंगे। वहीं, कैबिनेट मंत्री से पदोन्नत होकर पहली बार उपमुख्यमंत्री बने ब्रजेश पाठक का बढ़ा कद विभागों में भी दिखा है। उन्हें चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई है। योगी मंत्रिपरिषद ने 25 मार्च को शपथ ली। उसके बाद से ही विभागों के बंटवारे की प्रतीक्षा की जा रही थी। मंत्रियों के कद और प्रभाव का आकलन करते हुए विभाग दिए जाने की संभावना जताई जा रही थी। बदलाव की बात करें तो पिछली बार जो न्याय और विधायी विभाग ब्रजेश पाठक के पास थे, वह अब सीएम के पास हैं, जबकि योगी के पास रहा राष्टï्रीय एकीकरण अब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हिस्से में आया है।

केशव के पास पहले लोक निर्माण विभाग जैसा महत्वपूर्ण विभाग था। इस बार भी उन्हें विकास से जुड़ा विभाग मिला है, लेकिन पीडब्ल्यूडी के स्थान पर ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास तथा ग्रामीण अभियंत्रण सहित छह विभाग मिले हैं। इनमें खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर एवं सार्वजनिक उद्यम विभाग बरकरार रखा गया है। पहले ग्रामीण अभियंत्रण ब्रजेश पाठक के पास था। अब उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें ऐसे विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह जनसेवा के क्षेत्र में खुद को साबित कर सकें, उन्हें आमजन से जुड़े महत्वपूर्ण विभाग मिले हैं। इनमें चिकित्सा शिक्षा के अलावा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण तथा मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग का दायित्व सौंपा गया है। कोरोना काल के बाद से स्वास्थ्य विभाग और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। उपमुख्यमंत्री रहे डा. दिनेश शर्मा इस बार मंत्रिपरिषद में नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षा छोड़कर उनके वाले सभी विभाग जैसे उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी योगेंद्र उपाध्याय को मिले हैं।

स्वतंत्र देव सिंह : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के पहले तक पिछली सरकार में परिवहन मंत्री का दायित्व संभाल चुके स्वतंत्र देव सिंह को इस बार जल शक्ति तथा बाढ़ नियंत्रण का जिम्मा सौंपा गया है। वह बुंदेलखंड के ही रहने वाले हैं। यह क्षेत्र जल संकट से जूझता रहा है। वहां सरकार हर घर जल पहुंचाने की योजना चला रही है। क्षेत्र के जानकार स्वतंत्रदेव इस दायित्व को अच्छे से निभा सकते हैं।
जितिन प्रसाद : योगी सरकार-1.0 के अंतिम विस्तार में प्राविधिक शिक्षा मंत्री बनाए गए जितिन प्रसाद को इस बार उनके अनुभव के हिसाब से काम सौंपा गया है। कांग्रेस शासित केंद्र सरकार में भूतल परिवहन मंत्री रहे जितिन को इस बार लोक निर्माण विभाग दिया गया है।
अरविंद कुमार शर्मा : स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में आए पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा का लंबा प्रशासनिक अनुभव रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के खास अधिकारियों में शामिल रहे शर्मा ने कई केंद्रीय योजनाओं को धरातल पर उतारने में खास भूमिका निभाई है। इसे देखते हुए ही उन्हें नगर विकास, शहरी समग्र विकास और ऊर्जा जैसे आधारभूत विकास वाले विभाग सौंपे गए हैं।
बेबी रानी मौर्य : महिला होने के नाते बेबी रानी मौर्य को महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग दिया है। वह इनका महत्व समझ सकती हैं। इससे पहले योगी सरकार 1.0 में यह जिम्मेदारी सांसद बनने से पहले डॉ. रीता बहुगुणा जोशी तो उनके बाद स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री के रूप में स्वाती सिंह संभाल चुकी हैं।

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