योगी सरकार में पश्चिम यूपी से बने सर्वाधिक 23 मंत्री

लखनऊ। यूं तो मिशन 2024 को फतह करने के लिए भाजपा की नजर पूरे उत्तर प्रदेश पर है, लेकिन योगी सरकार टू के मंत्रिपरिषद से साफ है कि पार्टी का ज्यादा फोकस पश्चिमी यूपी पर ही रहेगा। सपा-रालोद गठबंधन के बावजूद विधानसभा चुनाव में जिस तरह से पार्टी ने पश्चिम में गहरी पैठ बनाते हुए शानदार सफलता हासिल की है, उसे लोकसभा चुनाव में भी बनाए रखने के लिए अबकी पिछली बार से लगभग दोगुना मंत्रियों को योगी की मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। एक तरह से इन 23 मंत्रियों को 2024 की बिसात का प्रमुख मोहरा भी मान सकते हैं। दरअसल, 53 सदस्यीय योगी मंत्रिपरिषद के गठन में जातीय समीकरण साधने के साथ ही क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ख्याल रखा गया है। चूंकि अब भाजपा के सामने दो वर्ष बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फिर केसरिया परचम लहराने का एक बड़ा एजेंडा है, इसलिए उसने अपने-अपने क्षेत्र और जाति पर मजबूत पकड़ रखने वाले पार्टी नेताओं को मंत्रिपरिषद में तव्वजो दी है।

सपा-रालोद गठबंधन, किसान आंदोलन आदि से विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 136 सीटों पर विजय पताका फहराने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन जिस तरह क्षेत्र के मतदाताओं ने योगी सरकार 1.0 की कानून-व्यवस्था को देखते हुए 93 सीटें भाजपा की झोली में डालीं, उसको देखते हुए नवगठित मंत्रिपरिषद में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पलड़ा सर्वाधिक भारी दिख रहा है। गौर करने की बात यह है कि पिछली बार पश्चिम से सिर्फ 12 मंत्री थे, जबकि अबकी पश्चिम से 23 मंत्री हैं। पश्चिम से ज्यादा मंत्री बनाकर भाजपा लोकसभा चुनाव में भी अपनी मजबूत पकड़ क्षेत्र में बनाए रखना चाहती है। सभी दलों के दिग्गजों के दमखम वाले जिस पूर्वांचल की 23 सीटें अबकी हाथ से फिसल गई हैं, उससे 14 मंत्री ही बनाए गए हैं। गौर करने की बात यह है कि पिछले चुनाव में पूर्वांचल से 17 मंत्री योगी मंत्रिपरिषद में थे, जिसमें से कई ने चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी तो कई चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रहे।

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