एलडीए में चल रहा नोटिस का खेल, हर महीने लाखों की अवैध वसूली

  • जोन 3 : पारा क्षेत्र में अवैध निर्माणों को लेकर 4पीएम की पड़ताल
  • एलडीए की भ्रष्टï व्यवस्था में कमाऊपूत बने जूनियर इंजीनियर व सुपरवाइजर
  • जेई जितेंद्र कुमार के भ्रष्टïाचार से क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण
  • तहसीलकर्मी से लेकर पूर्व एसडीएम तक ने खड़ी कर दी हैं अवैध इमारतें

चेतन गुप्ता
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में नोटिस का खेल चल रहा है। इसकी आड़ में चौतरफा अवैध निर्माण हो रहे हैं और सुपरवाइजर से लेकर इंजीनियर तक अपनी जेबें भर रहे है। एलडीए का प्रवर्तन विभाग माल कमाऊ विभाग बन चुका है। इसी वजह से प्रवर्तन विभाग में जो एक बार आ गया फिर वो हटना नहीं चाहता। एलडीए के जोन 3 में पुरानी पारा चौकी वाले गेट बीबी खेड़ा से कृष्णा नगर तक अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है। सुपरवाइजर, जूनियर इंजीनियर की मिलीभगत से ताबड़तोड़ अवैध निर्माण हो रहे हैं। पार्किंग तो पूरे क्षेत्र के बड़े-बड़े निर्माणों से गायब है। बीबी खेड़ा, हंस खेड़ा, चुन्नू खेड़ा, प्रसादी खेड़ा, केसरी खेड़ा में दर्जनों अवैध निर्माण हो रहे हैं। आधा सैकड़ों से ज्यादा अवैध मार्केट बन चुकी है या फिर बनकर तैयार हैं जिसे किराए पर लेकर लोगों ने व्यापार करना भी शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद एलडीए के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी जहां अवैध निर्माणों पर शिकंजा कसने के लिए अभियान चला रहे हैं वहीं उनके ही अधीनस्थ इस मंशा पर पानी फेर रहे हैं। तहसीलकर्मी से लेकर पूर्व एसडीएम, सबके सब अवैध निर्माण करने में जुटे हैं। कृष्णा नगर ट्रैफिक ट्रेनिंग सेंटर के ठीक सामने इंद्रलोक कॉलोनी में भारी भरकम अवैध निर्माण किया गया है, जिसकी लगातार शिकायत पहुंचने पर उसे पिछले दिनों सील कर दिया गया लेकिन उसके इर्द-गिर्द हो रहे दर्जनों अवैध निर्माणों को पूरी से शह दे दी गई। कृष्णा नगर से रेलवे फाटक पार करते ही केसरी खेड़ा कॉर्नर पर सफेद रंग की भारी-भरकम इमारत खड़ी कर दी गई है। जो रजिस्ट्रार ऑफिस में कार्यरत किसी यादव जी का शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व बैंक्वेट हॉल है। बगल में अर्चना हॉस्पिटल है जिससे लगी अवैध मार्केट निर्माणाधीन है। उसके ठीक सामने पूर्व एसडीएम अतुल प्रकाश श्रीवास्तव की चार मंजिला अवैध इमारत बनकर लगभग तैयार है। बेसमेंट से लेकर सभी फ्लोर किराए पर उपलब्ध है।

इस अवैध निर्माण पर नोटिस जारी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई जबकि सुपरवाइजर से लेकर जेई तक गलत ढंग से अपनी अपनी जेबें भरते रहें। इसके आगे चलेंगे तो अमित फ्यूल स्टेशन के ठीक सामने प्रवीन यादव की अवैध मार्केट बनकर तैयार है जिसके एक हिस्से में लोगों ने शोरूम खोल लिए हैं और दूसरा हिस्सा अभी भी किराएदारों की तलाश में हैं। इसके आगे चलेंगे तो सिंह ट्रेडर्स के ठीक बगल में प्रॉपर्टी डीलर रामबाबू यादव की मार्केट बनकर तैयार खड़ी है। उससे सटी अवैध मार्केट का निर्माण चल रहा है। इसी तरह चुन्नू खेड़ा मोड़ पर श्री प्रभु कृपा मार्केट बनकर तैयार हो गई है जो किराएदार की बाट जोह रही है। एलडीए की आंखों में धूल झोंकने के लिए मेडिकल स्टोर का पंपलेट शटर पर लगा दिया गया है जिससे कि लगे कि यहां पर व्यापार चल रहा है जबकि अभी तक शटर तक नहीं उठा है। इसके ठीक बगल में तेजी से अवैध मार्केट का निर्माण हो रहा । उस पर भी गणेश मार्बल एंड टाइल्स का बैनर लगाकर गुमराह करने का काम किया जा रहा है। एलडीए की लखनऊ मोहान रोड योजना के लिए मुड़ते ही कुछ कदमों की दूरी पर गेस्ट हाउस उत्तम मैरिज लॉन है। लगभग इसका निर्माण पूरा हो चुका है और फिनिशिंग का कार्य चल रहा है। इसके मालिक श्रवण यादव और रंजीत यादव को आज तक एलडीए की नोटिस तक नहीं मिली जबकि सुपरवाइजर-जेई साईट पर आकर सेटिंग-गेटिंग कर चले गए। हर महीने एकमुस्त पैसा उनकी जेबों में पहुंच रहा है।

जोन-3 में ही आने वाले पारा क्षेत्र के गांव प्रसादी खेड़ा में नोमिन शाह अवैध मार्केट का निर्माण कर रहे हैं। न तो नक्शा पास है और न ही एलडीए द्वारा इनको कोई नोटिस जारी किया गया है। जेई और सुपरवाइजर की मिलीभगत से अवैध निर्माण लगातार जारी है। बिनौर तहसील में कार्यरत राजेश यादव के पारा क्षेत्र में तीन अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं। हंसखेड़ा रोड, समीप एसबीएन इंटर कालेज नरपतखेड़ा में बन रही उनकी इमारत एलडीए के मुंह पर खुला तमाचा है। नीचे मार्केट ऊपर फ्लैट बन रहे है। इसी के आगे चलने पर पैरामाउंट हाइट बिल्डिंग के ठीक सामने उनकी अवैध इमारत निर्माणाधीन है। बताया जाता है कि यह सील है, लेकन इसके ऊपर सीलिंग का न तो पट्ïटा और न ही देखने से मालूम होती कि ये बिल्डिंग सील है। एलडीए के जेई और सुपरवाइजर का यह भी एक फंडा है। जिससे चोरी छिपे सील बिल्डिंग में काम होता रहे। यहां से लेकर पुरानी पारा चौकी गेट बीबीखेड़ा तक सैकड़ों की संख्या में अवैध निर्माण हो चुके हैं, अभी भी कई निर्माणाधीन है। सुपरवाइजर रामविलास और जेई जितेंद्र कुमार के भ्रष्टाचार के चलते अवैध निर्माणों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

क्या कहना है पूर्व एसडीएम साहब का
अतुल प्रकाश श्रीवास्तव करीब 2 साल पहले एसडीएम के पद से सीतापुर से रिटायर हो चुके हैं। देवरिया के रहने वाले है। इस समय लखनऊ में कृष्णा नगर में रहते हैं। इन्होंने केसरी खेड़ा फाटक के पास 2100 स्क्वायर फुट के प्लॉट पर 4 मंजिला अवैध इमारत खड़ी कर दी है। न तो इसका नक्शा पास है और न ही इस अवैध बिल्डिंग पर कोई कार्रवाई की गई है। दिखावे के लिए महज़ एक नोटिस जारी कर दी गई है और इसकी आड़ में पैसा लेकर पूरा खेल कर दिया गया। एसडीएम साहब का कहना है कि नक्शे के लिए बात करने एलडीए गए थे लेकिन वहां से बताया गया कि इस क्षेत्र में नक्शा पास नहीं हो सकता। इसके बाद सुपरवाइजर-जेई से सेटिंग के जरिए बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई। बेसमेंट में बनी दुकान उन्होंने 40 हज़ार रूपए महीने के किराए पर ग्रॉसरी वाले को उठा दी है। ग्राउंड फ्लोर 50 हज़ार किराए पर रेस्टोरेंट के लिए दे रखा है। फर्स्ट व थर्ड फ्लोर खाली है जिसे वे किराए पर उठाना चाहते हैं उसके लिए 35 हजार रूपए प्रति माह मांग रहे हैं। ऊपर बैंक्वेट हाल बनाया है।

कृष्णा नगर से लेकर पुरानी पारा चौकी गेट तक 7 से 8 किलोमीटर का क्षेत्र है, महज एक ही सुपरवाइजर है, सब निर्माणों की निगरानी संभव नहीं है। अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर उनको नोटिस जारी कर दी जाती है।
– जितेंद्र कुमार, जेई, प्रवर्तन विभाग, एलडीए

जोन 3 में 4 जूनियर इंजीनियरों की जगह महज 2 और 8 सुपरवाइजर की जगह 4 है, जिससे काम प्रभावित हो रहा है। क्षेत्र की ठीक ढंग से निगरानी नहीं हो पा रही है लेकिन जो शिकायतें मिल रही है, उन पर एक्शन लिया जाएगा और अवैध निर्माण कैसे हो रहे हैं, जेई जितेन्द्र कुमार से सवाल जवाब किया जाएगा।
– रामशंकर, ओएसडी, जोन 3, लखनऊ विकास प्राधिकरण

जेई जितेंद्र से सवाल जवाब से बचते है अफसर

जेई जितेंद्र कुमार जो कि यूनियन लीडर भी है इसलिए इनसे एलडीए के अफसर तक सीधे तौर पर सवाल जवाब करने से बचते है। जेई जितेन्द्र कुमार से जब जानकारी की गई तो उन्होंने दो टूक कहा जहां-जहां अवैध निर्माण की शिकायतें मिलती है वहां नोटिस काट दी जाती है। दर्जनों अवैध निर्माणों के जारी रहने और उनके सील न किए जाने के सवाल का जवाब देना उन्होंने बेहतर नहीं समझा। एलडीए के सूत्रों की माने तो जेई जितेंद्र कुमार के मनमाने रवैए को लेकर अफसर भी खफा रहते हैं लेकिन यूनियन लीडर होने की वजह से जेई का दबाव रहता है और कोई भी उन पर हाथ डालना नहीं चाहता।

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