जातीय जनगणना और रामचरितमानस विवाद पर होगा यूपी के बजट सत्र में हंगामा

  • अखिलेय यादव के नेतृत्व में सपा करेगी सरकार का घेराव
  • 2024 को साधने की तैयारी में समाजवादी पार्टी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। संसद के बजट सत्र में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और जेपीसी मांग को लेकर लगातार सरकार और विपक्ष में हंगामा चल रहा है। बजट सत्र के 8 दिन बीत जाने के बाद भी विपक्ष लगातार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर ही सरकार को घेर रहा है और इस मुद्दे को लेकर जेपीसी की मांग कर रहा है। वहीं 20 फरवरी से उत्तर प्रदेश में भी विधानमंडल का बजट सत्र प्रस्तावित है। ऐसे में यहां भी ऐसे कुछ मुद्दे हैं, जिन पर बजट सत्र में सदन में जमकर हंगामा होने के आसार हैं। ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि यूपी के विधानमंडल के बजट सत्र में जातीय जनगणना और रामचरितमानस जैसे मुद्दों पर सदन में जमकर हंगामा देखने को मिल सकता है।
विपक्ष जहां जातीय जनगणना के मुद्दे को उठाएगा, तो वहीं प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को लेकर उठाई गई आपत्ति पर भी सरकार और विपक्ष के बीच हंगामे के चलते सदन के अखाड़े में तब्दील होने की पूरी उम्मीद है। एक ओर सरकार जहां निवेश की उपलब्धियों व बजट के जरिए नई घोषणाओं पर फोकस करेगी, तो वहीं प्रमुख विपक्ष के रूप में मौजूद सपा समेत कई विपक्षी दल सदन के मंच से जातीय जनगणना के मुद्दे पर सरकार को दबाव में लेने की रणनीति बना रहे हंै। उम्मीद है सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद इस मुद्दे पर सदन में अगुवाई करेंगे। विधानमंडल के बजट सत्र के ठीक पहले यूपी में दो मेगा इवेंट होने जा रहे हैं। 10 से 12 फरवरी तक राजधानी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होगी, जिसके लिए करीब 21 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिलने का दावा सरकार कर रही है। वहीं, 13 से 15 फरवरी तक जी-20 से जुड़ी बैठक की मेजबानी भी लखनऊ करेगा। ऐसे में बजट सत्र को सरकार अपनी उपलब्धियों के शोकेस के तौर पर भी इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है। सपा की कोशिश है कि इस मंच से अपने चुनावी अजेंडे को धार दिया जा सके।

विधायक निधि पर भी हो सकता है फैसला

उत्तर प्रदेश विधानमंडल का यह बजट सत्र विधायकों की निधि सांसदों के बराबर, यानी पांच करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद पूरी करने वाला होगा। हालांकि, पिछले साल के ही बजट सत्र में विधायक निधि पांच करोड़ रुपये किए जाने की घोषणा हो चुकी थी, लेकिन विधायकों को इसका लाभ नहीं मिल पाया था। बजट पास होने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधायक निधि बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये किए जाने की घोषणा की थी। इस वजह से बजट में इस रकम का प्रावधान नहीं हो सका था। ऐसे में पहली किस्त तो पुरानी व्यवस्था के तहत ही जारी करना ग्राम्य विकास विभाग की मजबूरी थी। लेकिन अनुपूरक से पहले ही अक्टूबर में दूसरी किस्त भी जारी कर दी गई थी, जिसकी वजह से कुल तीन करोड़ रुपये ही जारी हुए थे। सूत्र के मुताबिक, तब यह भी इंतजार किया जा रहा था कि अगर अनुपूरक बजट में विधायक निधि मद में अतिरिक्त रकम मिल जाती है तो उसे अतिरिक्त रकम के तौर पर जारी कर दिया जाएगा। लेकिन अनुपूरक में भी अतिरिक्त रकम नहीं मिली तो यह वित्तीय वर्ष तीन करोड़ रुपये की ही विधायक निधि के साथ ही रह गया। पिछली बार की घोषणा के अनुरूप इस बार ग्राम्य विकास विभाग ने अतिरिक्त बजट की मांग की है। अगर यह मांग स्वीकार कर ली जाती है तो विधायकों को सांसदों के बराबर पांच करोड़ रुपये की विधायक निधि मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

रामचरितमानस के सहारे जातीय जनगणना के मुद्दा को उठाएगी सपा

सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणियों से उठे विवाद के तार को सपा जातीय जनगणना से जोडऩे की कोशिश करेगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद यह कह चुके हैं कि वह सदन में सरकार से पूछेंगे कि क्या वह शूद्र हैं? समाजवादी पार्टी 2024 को ध्यान में रखते हुए एम-वाय यानी कि मुस्लिम और यादव वोट बैंक के साथ गैर-यादव ओबीसी व दलित वोटरों को जोडऩे की भी कवायद में जुटी है। ऐसे में सपा इस मुद्दे को पूरे गर्मजोशी के साथ सदन में उठाने की तैयारी कर रही है। जातीय जनगणना के सवाल को सपा जमीन पर उतारने में भी लगी है। अखिलेश यादव लगातार अलग-अलग जिलों के दौरे परे हैं। वहां भी वह सार्वजनिक मंचों से जनगणना व भेदभाव के सवालों को लगातार उठा रहे हैं। 9 और 10 फरवरी को वह गाजीपुर, बलिया व वाराणसी के दौरे पर हैं। यानी जब पीएम नरेंद्र मोदी लखनऊ में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन कर रहे होंगे, उस समय अखिलेश उनके संसदीय क्षेत्र में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे। वहीं, सपा के ओबीसी प्रकोष्ठ ने भी जिले स्तर पर जातीय जनगणना की मांग को आगे बढ़ाने के लिए चर्चा व अभियान के कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है। प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजपाल कश्यप ने बताया कि बुधवार को हरदोई से इसकी शुरुआत हो चुकी है।

निधि की रकम को बढ़ाने के लिए साल भर चक्कर लगाते रहे विधायक

ज्ञात हो कि विधायक निधि विधानमंडल क्षेत्रों में विकास कार्य करवाने के लिए दी जाती है। इसे साल में बराबर दो किस्तों में छह-छह महीने के अंतराल पर जारी किया जाता है। निधि के तहत हो सकने वाले काम के मानक तय हैं, इसमें जरूरतमंदों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता भी दिए जाने का प्रावधान है। विधानसभा क्षेत्र के विधायक इस रकम का इस्तेमाल अपने विधानसभा क्षेत्र में ही कर सकते हैं। जबकि विधायकों द्वारा चुने जाने वाले विधान परिषद सदस्य पूरे प्रदेश में इस रकम का इस्तेमाल विकास कार्यों के लिए कर सकते हैं। घोषणा के बाद भी विधायक निधि की रकम न बढऩे की वजह से पूरे साल भर विधायक खासे परेशान रहे। साल भर इस रकम को पांच करोड़ करवाने के लिए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के पास चक्कर लगाते रहे, लेकिन उनकी बात बन नहीं सकी थी। अब जबकि इस साल का बजट सत्र नजदीक आ रहा है, तो एक बार फिर विधायक वित्त मंत्री के पास बार-बार सिफारिशें लेकर पहुंच रहे हैं ताकि घोषणा के मुताबिक पांच करोड़ रुपये की विधायक निधि का लाभ उन्हें मिल सके।

 

 

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