जीतनराम मांझी की फिसली जुबान, दिया विवादित बयान

नई दिल्ली। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शनिवार को गया के एक निजी स्कूल में अपनी पार्टी का छठा स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान पार्टी से जुड़े कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। इस मौके पर जीतन राम मांझी ने केक काटकर इस खुशी के पल का इजहार किया।
इस दौरान जीतन राम मांझी ने कहा कि वह किसी धर्म को नहीं मानते। उन्होंने कहा कि जो कर्म करता है, वही पूजा है। महात्मा गांधी ने कहा था कि काम ही पूजा है। बाबासाहेब अंबेडकर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए। मैं धर्म में विश्वास नहीं करता।
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि जब वे सीएम थे तब 34 फैसले लिए गए थे, जिनका पालन करने पर बिहार में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से तरक्की तो होती लेकिन मौका नहीं मिला। कुछ का अनुपालन किया गया। कहा कि अधिकारी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। सामान्य स्कूली शिक्षा प्रणाली अभी तक लागू नहीं हो पाई है, अब लगता है कि सडक़ पर उतरना होगा।
वहीं, जाति जनगणना पर कहा गया कि जाति जनगणना की मांग वर्ष 2017 में की गई थी। भारत सरकार में राज्य मंत्री ने कहा है कि जाति जनगणना सभी के लिए की जानी चाहिए। चाहे वह कोई भी वर्ग हो। जाति जनगणना होनी चाहिए लेकिन सभी जातियों के लिए और सिर्फ एससी और एसटी के लिए नहीं। उच्च जाति के गरीबों को भी आरक्षण मिला लेकिन भेदभाव किया गया है। पहले साढ़े 49 प्रतिशत आरक्षण था, अब इसे 60 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे भी 9वीं सूची में शामिल किया गया था। एससी-एसटी के साथ अन्याय हो रहा है। ऐसा नहीं करने पर विधायक सडक़ों पर उतरेंगे। आरक्षण के नाम पर एससी-एसटी को ब्लॉक कर दिया गया है।

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