स्टमक फ्लू-मानसून में रहता है ज्यादा खतरा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मानसून के इस मौसम में सभी लोगों को सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है। बरसात के दिनों में जलजमाव और गंदगी के कारण जहां कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, वहीं खान-पान में होने वाली गड़बड़ी के कारण स्टमक फ्लू होने का जोखिम भी अधिक रहता है। पेट के फ्लू को वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस भी कहा जाता है, जिसके कारण आपको पाचन से संबंधित कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस, मुख्यरूप से आंतों में होने वाला संक्रमण है जिसमें दस्त, पेट में ऐंठन, मतली-उल्टी के साथ कभी-कभी बुखार भी हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या दूषित भोजन-पानी का सेवन करने के कारण यह दिक्कत हो सकती है। बच्चों और बुजुर्गों के साथ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है। बरसत के दिनों में इस तरह की समस्याओं से बचाव करते रहना बहुत आवश्यक माना जाता है।

लक्षण

गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के तुरंत बाद शुरू हो जाते हैं। लक्षण 1 से 14 दिनों तक रह सकते हैं। इसमें आपको पाचन में गड़बड़ी से संबंधित कई तरह की दिक्कतें होती हैं। दिन में 3 बार से अधिक पतला दस्त होना, बुखार या ठंड लगना, उल्टी और सिरदर्द, मांसपेशियों-जोड़ों में दर्द, पेट में ऐंठन और खाने की इच्छा न होना संकेत हो सकता है कि आपको स्टमक फ्लू हो गया है। स्टमक फ्लू के लक्षण डिहाइड्रेशन की स्थिति में और भी गंभीर हो सकते हैं।

तले हुए खाद्य पदार्थ से बचें

बाजार से लाकर तुंरत फलों-सब्जियों का सेवन न करें। अशुद्ध पानी बिल्कुल न पिएं। पानी को पहले उबालें और फिर इसे ठंडा करके ही पीना चाहिए।

खान-पान में लापरवाही

मानसून के दौरान गैस्ट्रोएंटेराइटिस या पेट संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है। इसका सबसे पहला कारण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता की खराब होती है और दूसरा, मानसून के दौरान खान-पान को लेकर बरती गई असावधानियों को माना जाता है। भोजन के रखरखाव में गड़बड़ी, फलों-सब्जियों को अच्छे से साफ किए बिना उनका सेवन करने या अधपका-बासी भोजन करने के कारण गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो सकता है।

कैसे करें बचाव

स्टमक फ्लू से बचाव के लिए सबसे आवश्यक है कि आप खान-पान की स्वच्छता को लेकर सावधानी बरतें। विशेषतौर पर इस मौसम में सब्जी-फलों को अच्छे तरीके से धोकर ही इनका सेवन किया जाना चाहिए। अपने हाथों को अच्छे से धोएं और सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे भी ऐसा करें। हाथों के माध्यम से भी बैक्टीरिया के पेट में पहुंचने का खतरा अधिक रहता है। जिन लोगों में यह संक्रमण हो, ऐसे किसी भी व्यक्ति के निकट संपर्क से बचें।

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