छठे दिन भी संसद में मचा घमासान
- काले कपड़े पहनकर सदन पहुंचे विपक्षी सांसद
- लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही ठप
- मानसून सत्र में हंगामा, लगे इंडिया.. इंडिया के नारे
- भाजपा सांसदों ने भी किया अवरोध
- सदन में मोदी.. मोदी के नारे भी लगे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा को लेकर आज भी संसद में हंगामा जारी है। विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांग रहा है, इसे लेकर पिछले कई दिनों से संसद के मानसून सत्र में बवाल मचा हुआ है। वृहस्पतिवार को विपक्षी सांसद विरोध में काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे । विपक्षी सांसदों के काले कपड़े पहनकर संसद आने पर पीयूष गोयल ने तंज कसा है। उनके भाषण के बाद एनडीए के तमाम सांसदों ने काला कपड़ा काला काम, नहीं सहेगा हिंदुस्तान के नारे लगाए। वहीं विपक्षी सांसदों ने भी जमकर नारेबाजी की।
छठवें दिन गुरुवार को विपक्ष और एनडीए के सांसदों ने जमकर नारेबाजी की। लोकसभा शुरू होते ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। जिसके कारण सिर्फ 6 मिनट बाद ही स्पीकर ओम बिरला को कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। उधर, राज्यसभा में भी विपक्ष के सांसद तख्तियां लेकर पहुंचे और प्रधानमंत्री सदन में आओ, सदन में आके कुछ तो बोलो, प्रधानमंत्री चुप्पी तोड़ो… जैसे नारे लगाते देखे गए। यह देख एनडीए के सांसद मोदी…मोदी… के नारे लगाने लगे, तो विपक्ष ने इंडिया.. इंडिया के नारे लगाए।
बिरला व धनखड़ ने सांसदों को लगाई फटकार
लोकसभा में हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कड़ी फटकार लगाई। स्पीकर ने कहा कि पूरा देश देख रहा है, आपके उसके सामने कैसा उदाहरण पेश करना चाहते हैं। हंगामा न रुकता देख स्पीकर ने सदन को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। वहीं राज्य सभा में भी दोनों तरफ से नारेबाजी को देखते हुए सभापति जगदीप धनखड़ सभी सांसदों को चुप कराने की कोशिश की। इसके बाद हंगामे के चलते कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
अविश्वास प्रस्ताव पर सीपीएम ने उठाए सवाल
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सीपीआई सांसद ने कांग्रेस पर तंज कसा है। सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि कांग्रेस ने जल्दबाजी में स्वीकार कर लिया कि अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी पार्टियों (इंडिया) का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। सीपीआई सांसद ने गुरुवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन के कई दलों को लगता है कि अगर भारत के अन्य दलों का प्रतिनिधित्व होता तो प्रस्ताव मजबूत और अधिक प्रभावी होता। उन्होंने ने कहा, केवल सीपीआई ही नहीं, बल्कि कई अन्य दलों ने जिम्मेदार तरीके से आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे समझा है और वे इतने लोकतांत्रिक हैं कि वे सहमत हुए कि यह जल्दबाजी में हुआ है। सीपीआई सांसद ने कहा, अध्याय अब बंद हो चुका है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अविश्वास प्रस्ताव संसद में है और इस पर पर्याप्त संख्या में सांसदों के हस्ताक्षर हैं।
काला कपड़ा, काला काम, नहीं सहेगा हिंदुस्तान : गोयल
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे विपक्षी सांसदों को लेकर कहा कि जिनके मन में काला है, जिनके तन में काला है, इनके दिल में क्या छुपा है? क्या दिल में काला है, क्या काला धन छुपाया है? इनके क्या कारनामे हैं, जिन्हें ये दिखाना नहीं चाहते हैं। पीयूष गोयल ने संसद परिसर में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा पर कौवे के हमला करने की घटना का भी अपने भाषण में जिक्र किया और चुटकी ली। उन्होंने कहा, ऐसे तो आजकल काले कौवे भी इन पर आकर्षित हो रहे हैं, इनका कल भी काला है, आज भी काला है और भविष्य भी काला है, हम नकारात्मक सोच के लोग नहीं है, हमारा पूरा विश्वास है कि उनके जीवन में भी अंधेरा छंटेगा और इनकी जिंदगी में भी रौशनी आएगी, काला कपड़ा काला काम, नहीं सहेगा हिंदुस्तान।
मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका
- पीठ ने कहा-पहले से ध्यान
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा को लेकर लोगों में लगातार गुस्सा है। गुरुवार को इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दी गई। इस पर पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछ लिया कि अदालत में पहले से ही इस मुद्दे पर गौर किया जा रहा है, तो एक और याचिका की क्या आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख करने को कहा।
दरअसल, याचिकाकर्ता ने मणिपुर में यौन उत्पीडऩ और हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत एक स्वतंत्र समिति के गठन की मांग की है। मामले को न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेखित किया गया था। गुरुवार को सीजेआई चंद्रचूड़ अदालत में नहीं आए थे। याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने पीठ को बताया कि मणिपुर हिंसा से संबंधित मुद्दे को उठाने वाली लंबित याचिकाएं शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि उनकी याचिका को भी संबंधित मामले के साथ शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
क्रूरता और अराजकता की बात उठाई
तिवारी ने दावा किया कि उन्होंने कानून के शासन के उल्लंघन और मणिपुर में क्रूरता और अराजकता के खिलाफ याचिका दायर की है। बता दें, याचिका में कहा गया है कि मणिपुर में भीड़ ने दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर अपमानजनक तरीके से घुमाया और उनके साथ यौन उत्पीडऩ किया। हाल ही में इसका वीडियो सामने आया है। इस पूरी घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि हिंसा, हमले, यौन उत्पीडऩ, दुष्कर्म और दंगों से संबंधित यह घटना मणिपुर में दो महीने पहले हुई थी। फिर भी केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हर कोई करना चाहता है बात : पीठ
पीठ ने इस पर कहा कि शीर्ष अदालत में पहले से ही इस मुद्दे पर गौर किया जा रहा है, तो एक और याचिका की क्या आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में देशभर में हर कोई अपनी बात रखना चाहता है। पीठ ने कहा कि कल सीजेआई के समक्ष इसका उल्लेख करें।