अगर राहुल ने स्वीकारी नई जिम्मेदारी तो कौन होगा पार्टी का अध्यक्ष?
नई दिल्ली। इन दिनों देश की सबसे पुराने पार्टी कांग्रेस महामंथन के दौर से गुजर रही है। एक ओर पार्टी पर राष्टï्रीय राजनीति में अपने वजूद को बचाए रखने की चुनौती है तो दूसरी ओर पार्टी के भीतर भी कई मोर्चों पर जंग चल रही है। ऐसे यह खबर चौकाने वाली आ रही है कि जल्द ही राहुल गांधी को कांग्रेस संसद में विपक्ष के नेता के तौर पर लांच करने की तैयारी कर रही है। यदि राहुल अपने इस नए काम के लिए तैयार हो जाते हैं तो अधीर रंजन चौधरी को लेकर चल रहा विवाद खत्म होने के साथ ही राहुल संसद में सक्रिय दिखाई देंगे। लेकिन इस बात का एक दूसरा पहलू भी है कि अगर राहुल इस नई जिम्मेदारी को संभालते हैं तो आने वाले वक्त में कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा? क्या अध्यक्ष फिर से गांधी परिवार का ही कोई सदस्य होगा या पार्टी किसी बाहरी पर यकीन कर पाएगी?
कांग्रेस पार्टी खुद संगठन के भीतर की कलह से जूझ रही है। पंजाब में जो हो रहा है, वह देश के सामने है। इसके साथ ही अब कांग्रेस को लोकसभा में नया नेता मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक राहुल गांधी इस पद के लिए शीर्ष दावेदार हैं।
संगठन में बड़े बदलावों के बीच कांग्रेस पार्टी की ओर से कुछ भी अधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है क्योंकि यह राहुल गांधी पर निर्भर करता है कि वह क्या चाहते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनों चाहते हैं कि राहुल इस बड़ी भूमिका को स्वीकार करें । सूत्रों के मुताबिक इससे जुड़ी खबर कांग्रेस की ओर से जल्द ही आ सकती हैं।
इसके साथ ही कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बनने की वजह से कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है।
सूत्रों के मुताबिक अगर गांधी स्वीकार करते हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष का पद परिवार के बाहर किसी के पास जा सकता है, कुछ ऐसा जो आंतरिक चुनाव की मांग कर रहे कांग्रेस के 23 नेताओं के समूह की मांगों को भी पूरा करेगा। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष पर फैसला बाद के चरण में लिया जा सकता है क्योंकि मौजूदा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का कार्यकाल 2022 तक का है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लोकसभा का नेता होना और काम से बाहर निकलना इतना आसान नहीं है। यह राहुल को संसद में बांधेगा और कुछ मायनों में यह कांग्रेस अध्यक्ष होने से कहीं ज्यादा कठिन काम है । संसद में कम उपस्थिति और संसदीय समिति की सुनवाई में नियमित नहीं होने को लेकर गांधी पर अक्सर भारतीय जनता पार्टी हमलावर रही है।
पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए अधीर रंजन चौधरी को दोषी ठहराया गया था, जहां 135 साल पुरानी पार्टी विधानसभा में एक भी सीट पाने में नाकाम रही थी।
इसके अलावा चौधरी के सहयोगियों ने उन्हें लोकसभा में पार्टी के मामलों के प्रबंधन में खराब समीक्षाएं भी दीं और कुछ को तो यहां तक लगा कि वह सत्तारूढ़ पार्टी के विरोधी नहीं हैं। इसके बाद कांग्रेस में मंथन हुआ।