पीएम के संसदीय क्षेत्र में बेटियां असुरक्षित
बीएचयू में छात्रा से छेडख़ानी को लेकर सरकार पर बरसे कांग्रेस अध्यक्ष
- स्थिति स्पष्ट करें अखिलेश : शाहनवाज
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मंत्री अजय राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्याय के आईटी फैकल्टी में छात्रा के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में बेटियां सुरक्षित नहीं है। बीएचयू की घटना ने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के नारे की हकीकत सामने ला दी है। जारी बयान में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि गन प्वाइंट पर मोटरसाइकिल सवार अराजक तत्वों ने बेटी के साथ अभद्रता की। किसी तरह वह जान बचाकर भाग पाई। घटना के विरोध में छात्र -छात्राएं आंदोलनरत हैं, लेकिन अभी तक आरोपियों को पकड़ा नहीं जा सका है। बीएचयू कैंपस की इस घटना ने हर अभिभावक के मन में सिहरन पैदा कर दी है।
वे अपनी बेटियों को विश्वविद्यालयों में कैसे भेजेंगे? इस घटना से देश ही नहीं दुनिया में बीएचयू का नाम खराब हुआ है। कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कहा है कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अमित शाह के उस बयान पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जिसमें उन्होंने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश में सपा और बसपा प्रत्याशियों को मदद करने का निर्देश भाजपा कार्यकर्ताओं को दिया है। शाहनवाज आलम ने कहा कि सपा इंडिया गठबंधन की अहम हिस्सा है। अगर अमित शाह अपने कार्यकर्ताओं को ऐसे निर्देश दे रहे हैं तो उत्तर प्रदेश के इंडिया समर्थक तबकों खास कर मुसलमानों में सपा को लेकर नाराजगी बढ़ेगी। ऐसे में अखिलेश यादव स्थिति स्पष्ट करें।
कांग्रेस ने सभी लोस की 80 सीटों पर शुरू की तैयारी
कांग्रेस ने प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर तैयारी तेज कर दी है। सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे बूथ कमेटियों को सक्रिय करें। जल्द ही प्रदेश मुख्यालय से लोकसभा क्षेत्रवार प्रभारी भी घोषित किए जाएंगे। वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि प्रदेश की सभी सीटों पर दमदारी से चुनाव लडऩे की तैयारी है। बूथ स्तर तक संगठन खड़ा कर चुके हैं। बूथ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल्द ही ग्राम पंचायत स्तर पर बैठकें शुरू की जाएंगी। पहली श्रेणी की सीटों में रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, फूलपुर, धौरहरा, पीलीभीत, उन्नाव, फर्रुखाबाद, बांदा, झांसी, सहारनपुर, मुरादाबाद, नगीना, हाथरस, फतेहपुर सीकरी, फतेहपुर, घोसी, जौनपुर, गौतमबुद्धनगर, मथुरा, गोंडा, डुमरियागंज, महराजंगज, सलेमपुर, चंदौली, राबर्टसगंज शामिल हैं। इन सीटों पर बूथवार तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। पार्टी की ओर से चलाए जा रहे अभियान भी इन सीटों पर विशेष तौर पर फोकस किए गए हैं।
सपा के पूर्व सांसद रवि थामेंगे कांग्रेस का हाथ
सपा के राष्ट्रीय महासचिव और कई बार सांसद रहे रवि प्रकाश वर्मा जल्द कांग्रेस का हाथ थामेंगे। वर्मा का फैसला लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसका सीधा असर लखीमपुर समेत आसपास के करीब आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर पड़ सकता है। वर्मा खीरी सीट से तीन बार लोकसभा व एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। लखीमपुर खीरी के गोला निवासी वर्मा सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। माता-पिता समेत वर्मा का परिवार खीरी लोकसभा क्षेत्र का 10 बार प्रतिनिधित्व कर चुका है। 2019 में सपा ने महागठबंधन के तहत लोकसभा का पहला टिकट उनकी बेटी पूर्वी वर्मा को दिया था। हालांकि वह चुनाव हार गई थीं। पिछले काफी दिन से वर्मा ने सपा से दूरी बना ली थी। सूत्रों का कहना है कि वह छह नवंबर को कांग्रेस में शामिल होंगे। सपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा का कांग्रेस में जाना सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उनके जरिए प्रदेश में कुर्मी वोटबैंक को साधने की कोशिश में जुटी है। रवि प्रकाश के बाद कुर्मी बिरादरी के कई अन्य नेता भी कांग्रेस का रुख करेंगे। रवि प्रकाश की पहचान दिग्गज कुर्मी नेताओं में होती है। उनके कांग्रेस के पाले में आने से खीरी ही नहीं बल्कि धौरहरा, सीतापुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर बाराबंकी आदि लोकसभा क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा। इन लोकसभा क्षेत्रों की अलग-अलग विधानसभा सीटों में कुर्मी समाज निर्णायक भूमिका में हैं। अकेले खीरी में पिछड़े वर्ग की करीब 35 प्रतिशत आबादी में कुर्मी की संख्या सर्वाधिक है। गोला निवासी रवि प्रकाश वर्मा तीन बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। सपा के राष्टï्रीय महासचिव रवि प्रकाश वर्मा के पिता बाल गोविंद वर्मा लखीमपुरखीरी लोकसभा क्षेत्र से 1962 से 1971 और फिर 1980 में सांसद चुने गए। कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई तो उपचुनाव हुआ, जिसमें रवि प्रकाश की माता उषा वर्मा सांसद चुनी गईं। इसके बाद वह 1984 से 1989 तक सांसद रहीं। रवि प्रकाश 1998 से 2009 तक सपा सांसद रहे। इसके बाद 2014 से 2020 तक राज्य सभा सदस्य रहे। बताया जाता है कि सपा की ओर से गोला गोकर्णनाथ में हुए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान ही रवि प्रकाश की नाराजगी दिखी थी। पहले दिन वह सम्मेलन में नजर नहीं आए थे। सूत्रों का कहना है कि अगले दिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें फोन किया तो वह सम्मेलन में पहुंचे। इसी तरह अन्य कार्यक्रमों से भी वह दूरी बना लिए थे।