संक्रमण से बचाव के लिए करें ये योगासन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोरोना वायरस के मामले फिर बढ़ रहे हैं। इस बार मरीजों में कोविड 19 के नए सब वैरिएंट जेएन.1 के मामले देखे जा रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों ने करीब कई महीनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अब तक हुए अध्ययनों में कोरोना के इस वेरिएंट को ओमिक्रॉन के पिछले वैरिएंट्स से मिलता-जुलता ही बताया गया है। ऐसे में अगर आप कोरोना के नए वैरिएंट से बचना चाहते हैं तो कोविड गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करें। इसके लिए कुछ योगासन लाभकारी हैं, जो शरीर को रोगमुक्त रखने में मदद करते हैं।
कपालभाति प्राणायाम
संक्रमण से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत रहती है। कपालभाति प्राणायाम लॉन्ग कोविड के जोखिमों को कम करने के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने में असरदार है। श्वसन पर आधारित यह आसन शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और फेफड़े व हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करने में काफी असरदार है। इसके अलावा कपालभाति का अभ्यास करने से शरीर में ब्लड की सप्लाई बढ़ती है और हार्ट ब्लॉकेज की समस्या में भी फायदा मिलता है। ब्रेन सेल्स को बेहतर बनाने के लिए और मेमोरी की क्षमता बढ़ाने के लिए कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए। माइग्रेन, स्टेस और डिप्रेशन की समस्या में कपालभाति के अभ्यास बहुत फायदा मिलता है। कपालभाति प्राणायाम करने से पेट में पाचन को बढ़ावा देने वाले एंजाइम बढ़ते हैं और पाचन तंत्र दुरुस्त होता है। रोजाना 3 से 5 मिनट तक इसका अभ्यास करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
चक्रासन
इस आसन को करते समय हथेलियों को नीचे स्पर्श करते समय जल्दबाजी न करें। चक्रासन करने के कई लाभ होते हैं। इस आसन के अभ्यास से पेट की गड़बडिय़ां दूर होती हैं। साथ ही कमर पतली और लचकदार बनती है। इस आसन से बांहों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। टांगें, घुटने चुस्त होते हैं। जांघें और पिण्डलियां भी मजबूत बनती हैं। इसके अलावा इसे करने से बांहों का ऊपरी भाग भी सशक्त होता है। पेट की चर्बी कम होती है।
मार्जरी आसन
कोरोना के जोखिम को कम करने के लिए नियमित मार्जरी आसन का अभ्यास शामिल कर सकते हैं। इस आसन से लॉन्ग कोविड की समस्या में काफी राहत मिलती है। पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग के साथ ही रीढ़ व पेट के अंगों से अतिरिक्त तनाव कम होता है। मार्जरासन, एक ऐसा योग आसन है जो कंधे के दर्द, बदन में ऐंठन की समस्या से निजात दिलाता है। इस आसन को नियमित रूप से अभ्यास करने पर गर्दन, कंधे और पीठ में लचीलापन आता है।
शशकासन
शशक का का अर्थ होता है खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं। इस आसन को कई तरीके से किया जाता है। सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें. कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें। फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए, श्वास बाहर निकालते हुए हथेलियां को भूमि पर टिका दें। फिर माथा भी भूमि पर टिका दें. कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर फिर से वज्रासन की स्थिति में आ जाएं। हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है। यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन जैसे मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं। सुबह घुटनों को मोडक़र पैर के पंजों पर बैठना होगा। इसके बाद सांस को अंदर भरते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। इसके बाद धीरे-धीरे सांस को छोड़ते हुए सामने की ओर झुकते जाएं। इस दौरान आपकी गर्दन झुकी रहेगी और सिर को मैट से स्पर्श करें। इस स्थिति में कम से कम 15 से 20 सेकेंड या अपनी क्षमतानुसार बने रह सकते हैं। इसे करने के बाद आपको काफी राहत महसूस मिलेगा। एक सप्ताह के अंदर आपको इसका लाभ भी मिलने लगेगा।
बटरफ्लाई पोज
जांघों, कमर और घुटनों की बेहतर स्ट्रेचिंग के लिए इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। संक्रमण के कारण थकान या मांसपेशियों की सक्रियता में सुधार करने के लिए बटरफ्लाई आसन का अभ्यास लाभकारी है। सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर आराम मुद्रा में बैठ जाएं। अब अपने दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाएं। इसके बाद पैरों को धीरे से मोडक़र दोनों घुटनों व तलवों को एक-दूसरे से मिला लें। आप चाहें तो दंडासन अवस्था में भी बैठ सकती है। अब अपने हाथों की मदद से दोनों जांघों को जमीन से लगाएं। इसके बाद दोनों हाथों से पैरों के तलवे पकड़ें। आंखें बंद करके एकदम शांत हो जाएं। उसके बाद तितली की तरह पैरों को हिलाते हुए कुछ सेकेंड इसी अवस्था में रहिए। बाद में सामान्य मुद्रा में आ जाएं। इस आसन को 4-5 बार दोहराएं।