कुंवारों को देना पड़ता था ज्यादा टैक्स
जब भारत में लगे अजब-गजब इनकम टैक्स
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश कींं। बजट में लोगों की नजरें हमेशा इनकम टैक्स स्लैब पर रहती हैं। आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए अंतरिम बजट में टैक्स राहत की उम्मीद रही। बता दें कि हर सरकार वोटरों को लुभाने के लिए बजट में इनकम टैक्स में कुछ न कुछ बदलाव अपने कार्यकाल में करती है। लेकिन भारत में कुछ अजग गजब इनकम टैक्स भी लगे हैं। जानते हैं इनके बारे में।
बता दें कि आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इस बजट को देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। जब देश का पहला बजट पेश किया गया था उस समय देश में 1500 रुपये तक की आमदनी टैक्स फ्री थी।
वहीं साल 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स तय किया गया था। उस बजट में तय किया गया था कि अगर कोई दंपत्ति शादीशुदा हैं और उसके कोई बच्चा नहीं है तो उसे 3000 रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं जिनके एक बच्चा था उनके लिए 3300 रुपये तक इनकम टैक्स फ्री था। इसी तरह 2 बच्चों पर 3600 रुपये की इनकम टैक्स फ्री था।
सरकार ने 1955 में जनसंख्या बढ़ाने के लिए पहली बार देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग इनकम टैक्स फ्री इनकम तय की गई। शादीशुदा लोगों को 2000 रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं, कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये रखी गई। यानी कुंवारे होने पर इनकम टैक्स की देनदारी कम कमाई पर आ जाती थी।
एक समय भारत में अमीरों को 97.75 फीसदी तक टैक्स देना पड़ता था। साल 1973-74 में इनकम टैक्स की अधिकतम दर 85 फीसदी कर दी गई। सरचार्ज मिलाकर यह टैक्स रेट 97.75 फीसदी पहुंच गया। 2 लाख रुपये की इनकम के बाद हर 100 रुपये की कमाई में से सिर्फ 2.25 रुपये ही कमाने वाले की जेब में जाते थे। बाकी 97.75 रुपये सरकार रख लेती थी। जिसे 1974-75 में घटाकर 75 फीसदी किया गया। और 6000 रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई।