जब अपने मवेशियों को चराने के लिए लकड़ी के डंडों पर चलते हैं यहां के लोग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
दुनिया में कई ऐसी जनजातियां हैं जिनके तौर-तरीके लोगों को भले ही अलग लगें, पर ये अपनी मान्यताओं और रिवाजों को कायम रखे हुए हैं। ऐसी एक जनजाति अफ्रीका में रहती है। इस जनजाति के लोग लकड़ी के डंडों पर चलते हैं। पर सोचने वाली बात ये है कि आखिर ये ऐसा क्यों करते हैं, वो पैरों पर चलने से क्यों बचते हैं? टेल्स ऑफ अफ्रीका वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इथियोपिया में एक बन्ना जनजाति रहती है। इन्हें बेना, बान्या, या बेन्ना नाम से भी जाना जाता है। इनका मुख्य काम खेती करना, शिकार करना और मवेशियों को चराना है। इस जनजाति में से कुछ इस्लाम को मानते हैं, जबकि कुछ ईसाई मान्यता के हैं। इन लोगों को बांस की लकडिय़ों पर चलने के लिए जाना जाता है।
ऐसा वो सैकड़ों सालों से करते आ रहे हैं, ये हुनर पिछली कई पीढिय़ों से उन्हें दिया जा रहा है। पर वो ऐसा क्यों करते हैं, वो बाकी लोगों की तरह पैरों पर ही क्यों नहीं चलते? दरअसल, ये लोग ऐसा तब करते हैं जब अपने मवेशियों को चराने जाते हैं। कई बार मवेशियों पर जंगली जानवर हमला कर देते हैं। उनसे बचने के लिए ये लोग लकड़ी का सहारा लेते हैं। उसी पर चलकर ये मवेशियों को हंकाते हैं। हालांकि, सिर्फ यही एक कारण नहीं है कि ये लोग लकडिय़ों पर चलते हैं। जब-जब जनजाति में कोई उत्सव मनाया जाता है, तब अविवाहित युवक शरीर पर सफेद धारियां बना लेते हैं और फिर इन लकडिय़ों पर चलते हैं। इसपर चलने के कई सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी हैं। जब युवक इन लकड़ी के डंडों पर चलते हैं तो ये बड़ों को ये दिखाता है कि युवक अब समझदार हो गए हैं, और मन और तन से भी मजबूत हो चुके हैं। वो अब जिंदगी को आगे इसी प्रकार चला सकते हैं। दरअसल, इस लकड़ी के डंडों को पैरों से चलाने में बल के साथ-साथ संतुलन और दिमाग की भी काफी जरूरत पड़ती है।

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