चुनावी नतीजों से पहले भाजपा को लगा बड़ा झटका, राजस्थान में हो गया खेल!

4PM न्यूज़ नेटवर्क: लोकसभा चुनाव के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। सभी राज्यों में अब अटकलों का बाजार गर्म है। चुनावी नतीजों को लेकर तरह-तरह के बयान भी सामने आ रहे हैं, वहीं चुनावी नतीजों से पहले एग्जिट पोल के आ जाने से सियासी पारा हाई चल रहा है। कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। ऐसे में अब एग्जिट पोल के आने से भाजपा को राजस्थान में कम सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। दरअसल एग्जिट पोल के आने से कांग्रेस ने अब उसे नकारना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि प्रदेश की कुल 25 सीटों में उसे ज्यादा सीटें मिल रही हैं साथ ही नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है।

एग्जिट पोल के आंकड़ों में पिछड़ती नजर आ रही कांग्रेस ने अब इन आंकड़ों को खारिज कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इन एक्जिट पोल के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि एग्जिट पोल छोड़िए, “एक्जट” आंकड़ा जनता के पोल में आएगा और भाजपा प्रत्याशियों के मोरिया बोलेंगे। राजस्थान में कांग्रेस एवं गठबंधन के साथी मिलकर बड़ी जीत हासिल करेंगे और देश में इंडिया गठबंधन बहुमत से सरकार बनाएगा। वहीं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि पीएम की धमकाने वाली भाषा का असर एग्जिट पोल में दिख रहा है. गहलोत ने एग्जिट पोल के आंकड़ों को लेकर मीडिया पर ठीकरा फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि न्यूज चैनल डर से बीजेपी को एक तरफा जीतता हुआ दिखा रहे हैं। गहलोत ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल परसों की पब्लिक रैली में किया था उसी का असर आज एग्जिट पोल्स में दिख रहा है और चैनल उसी डर में भाजपा को एकतरफा जीतता हुआ दिखा रहे हैं। जनहित इसी में है कि एग्जिट पोल्स का हाल 2004 की तरह हो।

बता दें कि एक चैनल के अनुसार एनडीए को 54.5 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया जा रहा है. वहीं, इंडिया गठबंधन को 38.6 फीसदी वोट मिल सकते हैं. दोनों दलों के वोट शेयर के बीच केवल 16 पॉइंट का अंतर आ रहा है, लेकिन अनुमानित सीटों के आंकड़े में जमीन-आसमान का फर्क है. एक ओर एग्जिट पोल में इंडिया गठबंधन को 2 से 4 सीटें मिलती दिख रही हैं तो वहीं, बीजेपी के खाते में 21 से 23 सीटें जाती बताई गई हैं. वहीं बता दें कि अब तक के आये एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा को इस बार के चुनाव में भाजपा को कम सीटें मिल रही हैं। आम चुनाव 2019 की तुलना में बात करें तो इस बार राजस्थान में बीजेपी को हल्का नुकसान हो सकता है. पिछली बार बीजेपी को 59 फीसदी के करीब वोट शेयर मिला था, लेकिन अब एग्जिट पोल के आंकड़ों में लगभग 54 फीसदी वोट शेयर आता दिख रहा है. वहीं, कांग्रेस को 2019 के चुनाव में 34.24% वोट मिले थे और इस बार का अनुमानित आंकड़ा 38.6 फीसदी का है.

बात करें राजस्थान की तो यहां बीजपी इस बार फिर क्लीन स्वीप के इरादे से मैदान में उतरी थी. लेकिन तमाम एग्जिट पोल के आकंड़ें इस ओर इशारा कर रहे है कि इस बार बीजेपी के सपनों पर पानी फिरने वाला है. पिछले बार सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी को क्या उनके नेताओं की नाराजगी की वजह से ही इस बार नुकसान होने वाला है. राजस्थान में पिछले कुछ सालों से बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाराजगी नजर आ रही है. लोकसभा चुनाव में भी इसका नजारा साफ तौर पर देखा गया क्योंकि राजे ने खुद को अपने बेटे दुष्यंत के लोकसभा चुनाव के प्रचार तक ही सीमित कर लिया था. उन्होंने किसी लोकसभा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं किया बस झालावाड़ में ही डेरा डाले रही. लिहाजा चुनाव प्रचार प्रसार से उनकी दूरी से भी बीजेपी को नुकसान होता दिख रहा है.

राजस्थान का मीणा वोटरों का एक मजबूत वोट बैंक विधानसभा चुनावों में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की वजह से बीजेपी के पक्ष में आया था. लेकिन मीणा को मंत्रिमंडल में अच्छा विभाग न मिलने से मीणा वोटरों में असंतोष देखा गया. वहीं केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला का राजपूतों को लेकर दिए गए विवादित बयान का असर राजस्थान में भी दिखाई दिया. इसके साथ ही बीजेपी की तरफ से विधानसभा चुनावों में रविन्द्र सिंह भाटी का टिकट कटने से भी राजपूत नाराज हुए.
वहीं प्रदेश में कुछ सीटें हैं जिनपर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ सीटें चर्चा में बनी हुई हैं। इस बार के चुनावी रण में जहां भाजपा ने निवर्तमान सांसद पीपी चौधरी पर फिर से विश्वास जताया। इसके चलते चौधरी इस बार हैट्रिक लगाने के लिए आतुर हैं। वहीं कांग्रेस उनका विजय रथ रोकने के संगीता बेनीवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। इन चुनावों में मुख्य मुकाबला इन दोनों ही प्रत्याशियों के बीच होता दिखाई दे रहा है।

अरावली पहाड़ी की वादियों से सटे मारवाड़ के इस लोकसभा सीट की राजनीतिक बिसात में पड़ोसी जिले भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस जिले की सीमाएं उत्तर में नागौर तो पश्चिम दिशा में जालौर से मिलती हैं। इस लिए इन दोनों ही जिलों का प्रभाव यहां देखा जा सकता है। 2014 और 2019 में इस सीट पर भाजपा काबिज रही है। ये बात और है कि लगातार दो बार कड़ी से कड़ी जुड़ने के बावजूद क्षेत्र की जनता की प्यास बुझाने के लिए ट्रेन से पानी मंगवाना पड़ता है और औधोगिक नगरी पाली की प्रदूषण की समस्या का भी स्थाई समाधान नहीं होने से किसान और उद्यमी दोनों ही परेशान हैं। पाली का मारवाड़ अंचल भाजपा का गढ़ माना जाता है। जातीय समीकरण यहां प्रत्याशियों की जीत तय करते हैं। इस बार भाजपा ने सीरवी और कांग्रेस ने जाट चेहरे पर अपना दाव लगाया है। ऐसे में मुकाबला रोमांचक होने के आसार दिखाई देता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि यहां की जनता किसी को भी तीन बार ताज नहीं सौंपती। राजस्थान में भाजपा पाली लोकसभा को अपनी सुरक्षित सीट मानतीं है, लेकिन यहां की जनता कभी किसी को सिर पर चढ़ाने में विश्वास नहीं करती और मौका मिलते ही जोर का झटका भी देती है। पाली संसदीय क्षेत्र में जाट समुदाय के 3.50 लाख, सीरवी 2.50 लाख, वहीं अनुसूचित जाती जनजाति के करीब 4.50 लाख मतदाता हैं।

राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी कहना है कि, ”देश में हर कोई कह रहा है ‘अबकी बार 400 पार, फिर एक बार मोदी सरकार.’…पिछले 10 सालों में देश में जो विकास हुआ है वो अभूतपूर्व है… मैं अशोक गहलोत को बताना चाहता हूं कि आपने जालौर से दूसरी बार अपने बेटे को लॉन्च किया है और जनता आपको 4 जून को आईना दिखाने जा रही है.” सीपी जोशी ने कहा, ”पूरा देश और देश में रहने वाला प्रत्येक नागरिक यही कह रहा है कि फिर एक बार मोदी सरकार अबकी बार 400 पार और यह आवाज एक दिन में खड़ी नहीं होती है पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के प्रति जो विश्वास पैदा हुआ है और यह विश्वास तब होता है जब कथनी और करनी में फर्क नहीं होता है, चाहे वह गरीब हो, बुजुर्ग हो, किसान हो युवा हो, हर वर्ग हर वर्ग हो, देश का हर कोना हो, जहां भी जाते हैं सबके मुंह पर एक ही बात है, अबकी बार बोलते ही आवाज आती है 400 पार.

सीपी जोशी ने कहा कि स्पष्ट रूप से एनडीए की सरकार बन रही है, देश की जनता का साथ स्नेह और समर्थन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है, भारतीय जनता पार्टी के साथ है. राजस्थान में बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और इनके गठबंधन ने देश की जनता को गुमराह किया है जो उनका स्वभाव रहा है. जनता इनका असली चेहरा जान चुकी है. नरेंद्र मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए मजबूरी का गठबंधन है. गौरलतब है कि अब प्रदेश की 25 सीटों में से किसे कितनी सीटें मिलेंगी अब ये तो खैर 4 जून को चुनावी परिणाम आने के बाद ही तय हो पाएगा। लेकिन अभी की अगर हम बात करें तो अभी एग्जिट पोल में जहां भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है वहीं इंडिया गठबंधन के नेताओं का कहना है कि ये भाजपा द्वारा सोची समझी चाल है असल परिणाम 4 जून को ही आएंगे।

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