किसानों के लिए सरकार लाई खास योजना वायु प्रदूषण पर भी लगेगी लगाम

गोआश्रय स्थलों को पराली देने पर मिलेगी गोबर की खाद

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क


लखनऊ। प्रदेश सरकार पराली प्रबंधन व निराश्रित पशुओं के चारे का साथ इंतजाम कर रही है। सभी किसानों से अनुरोध किया गया है कि वे खेतों में पराली न जलाएं, क्योंकि इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। वे पराली को पशुओं के आश्रय स्थलों पर पहुंचाएं ताकि उसे मवेशी खा सकें इसके बदले किसान गोबर की खाद ले सकते हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी ने जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि गोआश्रय स्थलों पर पराली की ढुलाई के लिए राज्य वित्त आयोग से धन प्राप्त किया जा सकता है।

सरकार के इस कदम से धान की फसल के अवशेषों को पशुओं के चारे, विशेषकर निराश्रित मवेशियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। धान की पराली में उच्च सिलिका होने के कारण उसका चारे के रूप में उपयोग सीमित है, फिर भी कृषि विभाग पराली जलने से रोकने के लिए अभियान चला रहा है, जिसमें गाय के गोबर की खाद के साथ पराली के आदान-प्रदान का प्रावधान है। सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय  ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत गड्ढों को खोदने के लिए श्रमिकों को प्रस्ताव दिया है ताकि बायो-कंपोस्ट तैयार किया जा सके।

बड़े पैमाने पर जलाई जाती है पराली

कृषि मंत्रालय की ओर से 2019 में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में पराली बड़े पैमाने पर जलाई जाती है। इसके बाद हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ये घटनाएं होती हैं। असल में, अक्टूबर और नवंबर के दौरान बोई जाने वाली रबी फसल (गेहूं व आलू) के लिए खेतों को साफ करने के लिए किसान पराली जलाते हैं। वजह, धान की फसल की कटाई और अगली फसल की बोवाई के बीच का समय केवल से दो से तीन सप्ताह का होता है।

कई जिलों में किसानों पर हुई कार्रवाई

प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आदेश जारी किया है कि किसी भी सूरत में खेतों में धान की पराली न जलाई जाए लेकिन प्रदेश के कई जिलों में सरकार की मनाही के बावजूद किसान पराली जला रहे हैं। पराली जलाने को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानों पर कार्रवाई किए जाने की खबरें आ रही हैं। हरदोई में पराली जलाने के आरोप में 21 किसानों पर आर्थिक जुर्माना लगाया गया है। वहीं, महाराजगंज में एक किसान पर एफआईआर भी कराई गई है।

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