सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, खनिजों पर नहीं लगेगा रॉयल्टी टैक्स 

सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरूवार (25 जुलाई) को बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने खनिज समृद्ध राज्यों के पक्ष में फैसला सुनाया है...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरूवार (25 जुलाई) को बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने खनिज समृद्ध राज्यों के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों को खनिज वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार है। अदालत ने कहा है कि इस पर ली जाने वाली रॉयल्टी, टैक्स नहीं है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-जजों की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 8-1 बहुमत से अपने ही कई पुराने फैसलों को रद्द कर दिया है। साथ ही अदालत ने खनन और खनिज-उपयोग गतिविधियों पर रॉयल्टी लगाने के राज्यों के अधिकार को बरकरार रखा है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों के पास ऐसा करने की क्षमता और शक्ति है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का ये ऐतिहासिक फैसला ओडिशा, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे खनिज समृद्ध राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है। क्योंकि ये राज्य सरकारें अपने- अपने राज्यों में काम करने वाली माइनिंग कंपनियों से खनिजों पर टैक्स वसूल सकेंगी।

जस्टिस नागरत्ना SC के फैसले से सहमत नहीं

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि राज्यों को खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की इजाजत देने से ‘आय कमाने के लिए राज्यों के बीच एक अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी, इससे बाजार का शोषण किया जा सकता है, इससे खनिज विकास के संदर्भ में संघीय प्रणाली टूट जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि MMDR एक्ट (Mines and Minerals (Development and Regulation) Act) में राज्य की टैक्स लगाने की शक्तियों पर सीमाएं लगाने का कोई विशेष प्रावधान नहीं है MMDR की धारा 9 के तहत रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति में नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि रॉयल्टी माइनिंग लीज (पट्टे) से आती है, ये आम तौर पर निकाले गए खनिजों की मात्रा के आधार पर तय की जाती है। रॉयल्टी की बाध्यता पट्टादाता और पट्टाधारक के बीच एग्रीमेंट की शर्तों पर निर्भर करती है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले को खनिज समृद्ध राज्यों की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
  • सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में खनिज-युक्त भूमि पर रॉयल्टी लगाने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखा है।
  • कोर्ट ने कहा कि सरकार को दिए जाने वाले एग्रीमेंट भुगतान को टैक्स नहीं माना जा सकता।
  • मालिक खनिजों को अलग करने के लिए रॉयल्टी लेता है।
  • रॉयल्टी को लीज डीड से जब्त कर लिया जाता है और टैक्स लगाया जाता है।
  • अदालत का मानना ​​है कि इंडिया सीमेंट्स के फैसले में रॉयल्टी को टैक्स बताना गलत है।

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