एससीओ समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा अफगान संकट से प्रभावित होंगे पड़ोसी मुल्क
नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर एससीओ-सीएसटीओ आउटरीच समिट में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे जैसे पड़ोसी देश अफगानिस्तान में होने वाली सीरियल घटनाओं से ज्यादातर प्रभावित हुए हैं। इसलिए, इस संदर्भ में क्षेत्रीय फोकस और क्षेत्रीय सहयोग बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि वैश्विक समुदाय सामूहिक रूप से और उचित विचार-विमर्श के साथ नई प्रणाली की मान्यता पर निर्णय करे। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत इस मामले में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि हमें 4 मुख्य मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है। पहला, अफगानिस्तान में शासन परिवर्तन समावेशी नहीं है। यह बिना किसी बातचीत के हुआ। इससे नई व्यवस्था की स्वीकृति पर सवाल खड़े होते हैं। सरकार में महिलाओं, अल्पसंख्यकों और अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। सभी देश आतंकवाद के शिकार रहे हैं, इसलिए हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए न हो। एससीओ सदस्य देशों को इस मुद्दे पर सख्त मानदंड विकसित करने चाहिए। अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद जारी रहा, तो दुनिया भर में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराएं पनपेंगी। प्रधान मंत्री ने कहा कि यह अन्य चरमपंथी संगठनों को हिंसा के माध्यम से सत्ता हथियाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानवीय सहायता अफगानिस्तान तक सुचारू रूप से पहुंचे। भारतीयों और अफगानों के बीच एक विशेष बंधन रहा है। अफगान समाज की मदद के लिए सभी क्षेत्रीय और वैश्विक पहलों को भारत का पूरा समर्थन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत विकास और मानवीय सहायता के लिए अफगानिस्तान का एक विश्वसनीय भागीदार रहा है। हमने बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और क्षमता निर्माण सहित अफगानिस्तान के सभी हिस्सों में हर क्षेत्र में योगदान दिया है। आज भी हम अपने अफगान मित्रों को खाने-पीने का सामान और दवाइयाँ भेजने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट है। आर्थिक और व्यापारिक बाधाओं के कारण अफगानिस्तान के लोगों की आर्थिक तंगी बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही उनके लिए कोविड चुनौती संकट का कारण है।