वायु प्रदूषण फेफड़ों के लिए होता है घातक

बौद्धिक क्षमता भी होती है प्रभावित

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लाइफस्टाइल-आहार में गड़बड़ी के कारण पिछले एक-दो दशकों में कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी तेजी से बढ़ता देखा गया है। अब कम उम्र के लोग भी क्रोनिक बीमारियों के शिकार पाए जा रहे हैं, जो न सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त दबाव का कारण बनती है, साथ ही इसके सामाजिक और आर्थिक रूप भी कई नुकसान हैं। बीमारियां और आपदाएं मृत्यु और विकलांगता के कारणों के रूप में सामने आती हैं। ऐसे ही विभिन्न स्वास्थ्य मुद्दों पर लोगों का ध्यान केंद्रित करने और उससे बचाव को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस भी मनाया जाता है।

हार्मोनल असंतुलन

वायु प्रदूषण के कारण प्रजनन स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भी अलर्ट किया जाता रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया, पुरुषों-महिलाओं दोनों के यौन स्वास्थ्य पर प्रदूषण का नकारात्मक असर हो सकता है। प्रदूषण के संपर्क में रहना महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन की समस्या बढ़ती देखी गई है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने और बांझपन के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है।

प्रदूषण से होने वाली समस्याएं

सेहत पर कई प्रकार के पर्यावरणीय कारक भी गंभीर क्षति पहुंचाते हैं। वायु प्रदूषण और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर अलर्ट किया जाता रहा है। वायु प्रदूषण को श्वसन समस्याओं के लिए जिम्मेदार माना जाता रहा है, पर असल में इससे और भी कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा हो सकता है।

मस्तिष्क रोगों का खतरा

वायु प्रदूषण को फेफड़ों और श्वसन स्वास्थ्य के साथ मस्तिष्क की सेहत के लिए भी हानिकारक माना जाता है। वायु प्रदूषण के अल्पावधि और दीर्घकालिक दोनों तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि प्रदूषकों के कारण हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं में क्षति होने का जोखिम रहता है, जो संवाद करने के तरीके, स्मृति हानि जैसी दिक्कतों का कारण बन सकती है। वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में रहने वाले लोगों में चिंता और अवसाद का अनुभव भी देखा गया है।

फेफड़ों की क्षमता पर असर

शोधकर्ताओं की टीम ने बताया, लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) सहित फेफड़ों की कई गंभीर बीमारियों के विकसित होने का खतरा हो सकता है। जिन लोगों को पहले से सांस से संबंधित बीमारियां जैसे अस्थमा या ब्रोंकाइटिस रही हैं, उनमें वायु प्रदूषण के कारण इन समस्याओं के ट्रिगर होने का खतरा हो सकता है। प्रदूषित हवा में मौजूद अति सूक्ष्म कण हृदय की कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक असर डाल सकते हैं।

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