अखिलेश यादव ने बीजेपी के पैंतरे की निकाल ली तोड़, मोदी को दिखाया आईना!
समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दल जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं... इस बीच अब केंद्र सरकार भी इस ओर कदम उठाने पर विचार कर रही है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना कराए जाने की मांग को जोर-शोर से उठाते रहे हैं….. भले ही बीजेपी ने खुलकर इसका समर्थन नहीं किया है….. लेकिन वो इसके विरोध में भी नहीं रहा है…. और अब केंद्र की मोदी सरकार जातिगत जनगणना को लेकर मंथन में जुट गई है…… सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि जातीय जनगणना कैसे कराई जाए….. बता दें कि अखिलेश यादव समेत तमाम विपक्षी नेता लोकसभा चुनाव के पहले से ही जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं….. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सभी मंचों पर जाति जनगणना कराने का मुद्दा उठाते रहे हैं….. विपक्ष हमेशा से आरोप लगाता रहा है कि पिछड़ों को बराबर की भागीदारी नहीं मिल पा रही है…. बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष जाति जनगणना, संविधान, महंगाई और रोजगार के मुद्दे को लेकर मैदान में उतरा था जिसका फायदा इंडिया गठबंधन को बड़े पैमाने पर हुआ…. और चुनाव मैदान में राम मंदिर का मुद्दा लेकर उतरी बीजेपी दो सौ चालीस सीटों पर सिमट कर रह गई….
दो हजार चौदह में सत्ता में आए मोदी ने जनता से तमाम वादे किए थे…. लेकिन मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान एक भी जनता से किए वादे पूरे नहीं किए…. और खुद को भगवान बताने लगे और हवा में उड़ने लगे…. जिसका परिणाम लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भुगतना पड़ा…. मोदी ने चार सौ पार का नारा दिया…. जिसको सभी बीजेपी नेता भजने लगे…. लेकिन मोदी का अहम अधिक चल नहीं सका और बैसाखी पर आ गए…. चेहरे की चमक गायब हो गई…. देश से लेकर विदेश तक मोदी की छबि पूरी तरह से खराब हो गई…. उत्तर प्रदेश में योगी बाबा ने भी मोदी की तर्ज पर जनता को गुमराह करने का काम किया…. अपने आठ साल के कार्यकाल में योगी बाबा ने जनता के लिए कोई काम नहीं किया…. जिसको लेकर लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी समाजवादी पार्टी के मुखिया ने योगी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया… और बीजेपी सरकार की नाकामी समय- समय पर जनता को गिनाने लगे…. जिससे बीजेपी डरी हुई है….
आपको बता दें कि अखिलेश यादव प्रदेश में पीडीए की बात करते हैं…. और हमेशा बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए…. योगी सरकार पर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने का आरोप लगाते रहे हैं…. बता दें कि अखिलेश यादव का कहना है कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को बीजेपी सरकार में बराबर की भागी दारी नहीं मिल रही है…. जिसके चलते जातिगत जनगणना कराना बहुत जरूरी है…. देश में जातिगत जनगणना कराने से पता चलेगा कि प्रदेश में किसकी कितनी जनसंख्या है.,… जिसके अनुरूप सभी को बराबर की भागीदारी मिल पाएगी…. बता दें कि दो हजार ग्यारह के बाद से मोदी सरकार ने जनगणना ही नहीं कराई है…. सत्ता जाने के डर से बीजेपी सरकार ने जनगणना ही नहीं कराई है….. वहीं अब जब विपक्ष ने जातिजनगणना को लेकर आंदोलन खोल रखा है…. इस बीच मोदी सरकार जातिगत जनगणना कराने पर विचार करने में जुटी है….. उधर दिल्ली का चुनाव सिर पर है….. उसके बाद बिहार में चुनाव होने हैं…. उसके बाद 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है..,.. जिसको देखते हुए सरकार बैकफुट पर आते हुए जाति जनणना कराने पर विचार कर रही है…..
बता दें कि विपक्ष के मजबूत होते ही मोदी को पता चल गया है कि अगर जाति जनगणना नहीं कराई गई तो आने वाले समय में बीजेपी को चुनाव जीतना औऱ मुश्किल हो जाएगा…. और पहले की तरह से ही बीजेपी फिर गायब हो जाएगी… जिसको देखते हुए जनगणना कराना बीजेपी के लिए मजबूरी बन चुका है…. आपको बता दें कि इससे पहले 2011 में यूपी सरकार-2 में जातीय जनगणना कराई गई थी……. लेकिन उस समय स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई थी….. ऐसे में सरकार जातीय जनगणना के लिए विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर सकती है….. ऐसा माना जा रहा है कि इसके लिए एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जा सकती है…… ताकि पूरे देश में जातियों की अलग-अलग पहचान के लिए कोई सटीक फॉर्मूला तैयार हो सके….. लेकिन अभी तक ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है….. जिससे जातियों की पहचान की साफतौर पर गणना हो सके…..
2011 में हुई जातीय जनगणना के दौरान लोगों की सामाजिक, आर्थिक और जातीय गणना के आकंड़े जुटाने की कोशिश की गई है…… इसमें लोगों को अपनी जाति बताने का अवसर दिया गया था…… इस गणना के दौरान लोगों ने अपनी-अपनी जातियां बताई….. उसके अनुसार 2011 में 46.80 लाख से ज्यादा जातियां थीं….. ऐसे में कितनी जातियां ओबीसी है….. या दूसरे वर्गों में आती है…. उन्हें ढूंढना बेहद मुश्किल हो गया था…. जिसकी वजह से इस जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए थे….. वहीं पिछले कुछ समय से विपक्ष ने एक बार फिर से जातीय जनगणना के मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है…… सपा, कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट होते दिखाई दे रहे हैं…… जिसके बाद सरकार इस ओर आगे कदम उठाने पर विचार कर रही है….. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि इसकी गणना के लिए कोई उचित फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है…… जातियों की पहचान अगर सरनेम के आधार पर की जाए तो इसमें भी सबसे बड़ी समस्या ये है….. कि कई लोगों के सरनेम भी कन्फ्यूजन बढ़ाते हैं…… कुछ लोग अपने गाँव, पिता या अन्य दूसरे तरह के सरनेम रखते हैं….. ऐसे में भी जाति की सही गणना कर पाना मुश्किल है…..