अखिलेश का भाजपाई चंदाखोरी पर सीधा प्रहार, BJP को कर दिया Expose!

अखिलेश यादव ने महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी पर हमला बोला है... सपा चीफ ने कहा कि बीजेपी पहले मुनाफाखोरी घटाए और भाजपाई चंदाखोरी मिटाए फिर

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर तीखा हमला बोला है….. बता दें कि अखिलेश यादव की यह टिप्पणी न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि देश की समग्र आर्थिक…… और सामाजिक स्थिति पर एक गंभीर टिप्पणी है…… जो जनता के बीच बढ़ते असंतोष को दिखा रही है….. अखिलेश ने अपनी बात को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा करते हुए भाजपा को “महंगाई का चैंपियन” करार दिया…… और उनकी नीतियों को जनविरोधी बताया……. आज हम बात करेंगे……. महंगाई, भ्रष्टाचार, और मध्य प्रदेश के कथित साँप घोटाले के संदर्भ में…… और यह समझने की कोशिश करेंगे कि ये मुद्दे भारतीय राजनीति और समाज को कैसे प्रभावित कर रहे हैं…..

अखिलेश यादव ने महंगाई को लेकर भाजपा सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया है……. और उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती का लाभ जनता को नहीं…….. बल्कि कुछ चुनिंदा आयातकों और उत्पादकों को मिल रहा है…… यह एक गंभीर आरोप है…….. जो यह सवाल उठाता है कि क्या सरकार की नीतियां वास्तव में जनहित में हैं या केवल कुछ कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई जा रही हैं……. अखिलेश ने तर्क दिया कि यदि लागत कम हो रही है…… तो खुदरा मूल्य भी कम होना चाहिए……… लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है……. यह जनता के बीच बढ़ती महंगाई की मार को और साफ करता है……..

और उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार को पहले अपनी मुनाफाखोरी और चंदाखोरी की प्रवृत्ति को खत्म करना चाहिए…….. अखिलेश का यह बयान कॉरपोरेट्स और सरकार के बीच कथित साठगांठ की ओर इशारा करता है……. जहां कंपनियां सरकार से चंदा वसूली का बोझ जनता पर डालती हैं…… अखिलेश यादव के अनुसार यह चंदा वसूली महंगाई का एक प्रमुख कारण है…….. और इसे अर्थशास्त्रियों को अपने गणितीय मॉडल में शामिल करना चाहिए……. यह एक नया दृष्टिकोण है…….. जो यह सुझाव देता है कि महंगाई केवल बाजार की मांग-आपूर्ति का परिणाम नहीं है…….. बल्कि इसमें राजनीतिक और कॉरपोरेट हितों का भी योगदान है……

वहीं अखिलेश ने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को खाद्य सामग्री की लागत-लाभ अनुपात को जनहित में तय करना चाहिए……… ताकि कोई भी उत्पादक एक निश्चित प्रतिशत से अधिक मुनाफा न कमा सके……… यह एक समाजवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है…… जो पूंजीवादी मुनाफाखोरी के खिलाफ नियंत्रण की वकालत करता है……. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसके लिए भाजपा को खाद्य कंपनियों से चंदा लेना बंद करना होगा…….. जो एक बड़ा राजनीतिक बयान है……. यह आरोप लगाता है कि भाजपा की फंडिंग नीतियां सीधे तौर पर जनता की जेब पर बोझ डाल रही हैं…….

आपको बता दें कि अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बीजेपी की धज्जियां उड़ा दी है…. बता दें अखिलेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि भाजपा महंगाई की चैंपियन है…… भाजपा सरकार पहले ‘मुनाफ़ाखोरी’ घटाए और ‘भाजपाई चंदाखोरी’ मिटाए फिर महंगाई घटाने की बात करे……. खाद्य तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को घटाने का फ़ायदा जनता को भी मिलना चाहिए……. न कि केवल घरेलू उत्पादकों को……. लागत घट रही है तो खुदरा मूल्य भी घटना चाहिए……. कहीं ऐसा तो नहीं कि ये दिखावटी आयात शुल्क कटौती बस कुछ ख़ास आयातकों……. और उत्पादकों के फ़ायदे के लिए ही है……. जनता के लिए नहीं…… चलो इससे ये बात तो साबित हुई कि भाजपा सरकार ने मान लिया है कि बेतहाशा महंगाई ने जनता की कमर तोड़ रखी है……. और अब अगर इस रिकॉर्ड तोड़ महंगाई को नहीं रोका गया तो जनता भाजपाइयों के घर के बाहर तेल के खाली डिब्बे बजाने लगेगी…….

भाजपा सरकार खाद्य सामग्री की लागत-लाभ के अनुपात को तार्किक रूप से जनता के पक्ष में तय कर दे……. मतलब जनहित में ये फ़ैसला ले कि एक निश्चित प्रतिशत से अधिक कोई भी खाद्य उत्पादक मुनाफ़ा नहीं कमाएगा……. लेकिन इसके लिए पहले भाजपा सरकार को ये भी क़सम खानी पड़ेगी कि वो कम-से-कम खाद्य कंपनियों से तो ‘भाजपाई चंदा वसूली’ नहीं करेगी……. क्योंकि भाजपा जब कंपनियों से चंदा वसूलती है……. तब कंपनियाँ उस चंदा वसूली के पैसों को लागत का हिस्सा मानकर जनता से ही वसूलती हैं……. हर टैक्स और चंदा आख़िरकार जनता से ही वसूला जाता है……. इसीलिए ‘भाजपाई चंदा’, टैक्स के अलावा जनता पर भाजपा की दोहरी मार बनता है…… और महंगाई का कारण भी….. वहीं अब तो अर्थशास्त्रियों को विक्रय मूल्य में ‘भाजपाई चंदा वसूली’ को भी जोड़ने का नया गणितीय फ़ार्मूला बना लेना चाहिए……. भाजपा अपनी चंदा वसूली बंद कर दे तो हर वस्तु और सेवा के दाम वैसे ही कम हो जाएंगे……

‘दाम बंदी’ भाजपा की कारोबारी मानसिकता में दरअसल कभी नहीं रही है……. महंगाई पर नियंत्रण के लिए जनता की भलाई करनेवाली नीयत और इच्छाशक्ति ज़रूरी होती है…….. जो भ्रष्टाचार के लक्ष्य की पूर्ति के लिए हासिल की गयी…… भाजपा जैसी मुनाफ़ाख़ोर सत्ता के पास कभी नहीं होती है…… इसीलिए आयात शुल्क घटे और जनता के लिए वस्तुओं के दाम भी घटें……. तब ही ऐसी घोषणाओं का फ़ायदा है……. अब देखना ये है कि कुछ दिनों बाद खाद्य तेलों के दाम गिरने की ख़बरें आती भी हैं……. या नहीं या फिर ग़रीब की थाली से तेल ही गायब हो जाएगा…… ग़रीब कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा…..

वहीं अखिलेश ने मध्य प्रदेश में सामने आए कथित “साँप घोटाले” को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा…… इस घोटाले में एक ही व्यक्ति को बार-बार मृत दिखाकर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये का मुआवजा निकाला गया…….. यह एक गंभीर आरोप है……. जो न केवल भ्रष्टाचार की गहराई को दर्शाता है……. बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि सरकारी तंत्र में ऐसी धांधली कैसे संभव हो पा रही है……. अखिलेश ने इसे “भ्रष्टाचार का जहर” करार देते हुए कहा कि भाजपा शासन में ऐसे “आस्तीन के साँप” फल-फूल रहे हैं……. जो समाज को नुकसान पहुंचा रहा है……..

आपको बता दें कि अखिलेश यादव के ये बयान 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि के लिए महत्वपूर्ण हैं…… और उन्होंने पहले भी दावा किया है कि भाजपा की नीतियों……. जैसे 1.93 लाख शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन, केवल एक “जुमला” है……. जो जनता को भ्रमित करने के लिए लाया गया है……. अखिलेश यादव अनुसार, यह जनता के बीच बढ़ते असंतोष को दर्शाता है, जो बेरोजगारी, महंगाई, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से त्रस्त है……

वहीं अखिलेश का यह हमला उनकी रणनीति का हिस्सा है……. जिसमें वे भाजपा को जनविरोधी और कॉरपोरेट समर्थक के रूप में चित्रित कर रहे हैं……. यह समाजवादी पार्टी की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति के अनुरूप है…….. जो सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता पर जोर देती है…….. उनके बयान न केवल उत्तर प्रदेश की जनता को, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन को भी मजबूत करने की कोशिश करते हैं……. जो भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहा है…..

 

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