पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर के नाम खुला पत्र, शिक्षिका पर कार्रवाई न होने से नाराजगी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। अधिवक्ता व विधि मामलों के जानकार मो. हैदर ने पुलिस अधीक्षक मुजफ्फरनगर संजीव सुमन से वहां एक विद्यालय के शिक्षिका द्वारा छात्र को दूसरे छात्र द्वारा पिटाई करवाने के मामले में पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई करने लिए पत्र लिखा गया है।
हैदर ने लिखा मुजफ्फरनगर के थाना मंसूरपुर के क्षेत्रान्तर्गत नेहा पब्लिक स्कूल की प्राचार्य के द्वारा एक धर्म विशेष पर अभद्र आपत्तिजनक टिप्पणी कर (भडकाऊ भाषण देते हुए एक अवयस्क छात्र जिसकी आयु लगभग 7-8 वर्ष रही होगी, को उक्त कथित विद्यालय के शिक्षण का के अन्य छात्रों को उकसाकर/ भडक़ाकर को न केवल पिटवाया बल्कि धर्म विशेष के संबंध में अभद्र टिप्पणी कर लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया एवं पूरे विश्व पटल पर जनपद-मुजफ्फरनगर, हमारे प्रदेश एवं रा्र की छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया। एक वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते आपसे अपेक्षा है कि ऐसे संवेदनशील प्रकरण में आपके द्वारा अपनी परिवेक्षणीय शक्तियों का प्रयोग कर संबंधित प्रभारी निरीक्षक, थाना मसूरपुर को निर्देश देकर सुसंगत विधिक प्राविधानों के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। परन्तु ऐसा नही हुआ एवं समाचार पत्रों के समाचारों के अवलोकन से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि इस प्रकरण में असंज्ञेय अपराध के रूप में एक एनसीआरदर्ज की गई। जिसमें भी मात्र धारा 323 एवं 504 लिखकर प्रकरण की इतिश्री करने का प्रयास किया गया।

किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 75. 83 (2) के तहत हो कार्रवाई

इस पूरे प्रकरण में एक अवयस्क बालक के अधिकार निहित है एवं जो आपराधिक कृत्य वीडियो पूरे विश्व पटल पर टूट्विटर, फेसबुक, इंस्टग्राम एवं सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर उपलब्ध है, के परिशीलन मात्र से यह स्पष्ट होता है कि इसी कथित विद्यालय की शिक्षिका / प्राचार्या तृप्ता त्यागी के द्वारा अपने ही विद्यालय के छात्रों को उकसाकर / भडक़ाकर एक अवयस्क छात्र के साथ मारपीट कराई गई। निश्चित रूप से यह कृत्य किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75. 83(2) से आच्छादित है। उपरोक्त धाराओं के अतिरिक्त अन्यवस्तुषु भारतीय दण्ड संहिता की धारा 114 153 2057 298, 323, 504 एवं 506 भी इस पूरे प्रकरण में प्रसार्य है एवं इन्ही धाराओं में उक्त तृप्ता त्यागी तथा अन्य मुकदमा लिखा जाना चाहिए था, परन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत यदि इस संवेदनशील प्रकरण में संबंधित प्रभारी निरीक्षक के द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अथवा उक्त बालक के परिजनों से हल्की तहरीर लेकर उक्त एनासीत दर्ज की गई है तो उक्त एनसीआर की धाराओं में इन धाराओं को तरमीम कर उसकी विवेचना कराया जाना न्यायहित में अत्यंत आवश्यक है।

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