निलंबन की बात छुपा नगर निगम में सेवा दे रहा बाबू

  • कर्मचारी ने छिपा लिया अपना सर्विस बुक
  • 18 साल पहले भ्रष्टाचार के आरोप में किया गया था सस्पेंड

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम में एक से बढक़र एक भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। नया मामला जोन 7 से जुड़े एक बाबू हो है। बताया जा रहा है कि सत्यव्रत यादव नामक बाबू ने अपना सर्विस बुक ही गायब कर दिया है। जिससे कि उसके पिछले भ्रष्टाचार की जानकारी न हो पाए। यह भी आरोप है कि उसने दूसरा बुक तैयार कर लिया है। इस दौरान विभाग को भी फर्जीवाड़ा कर आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है।
दरअसल, सत्यव्रत को साल 2006 में सस्पेंड किया गया था। आरोप था कि उस समय इसने सफाई कर्मचारियों का पैसा मार लिया था। सस्पेंड करने के दौरान इसके तमाम भत्ते बंद कर दिए गए थे। संविदा कर्मचारियों को यह परेशान करता था। यहा तक की जांच के दौरान सत्यव्रत ने आरोप को स्वीकार भी कर लिया था। उस समय इसका वेतन रोकने के सस्पेंशन वापस किया गया था। उसके बाद वह विभाग में लगातार भ्रष्टाचार करता रहा है। इसमें आला अधिकारियों का भी उसको सहयोग रहता है। यहां तक की अपने रसूख का इस्तेमाल कर कई करीबियों  को फर्म बनवा दिया है। जिनको काम दिलाने का पूरा खेल नगर निगम में चलता है। मौजूदा समय सत्यव्रत यादव अधिष्ठान विभाग में है। इस विभाग से ही सभी प्रमुख कागज बनते है। नगर निगम सूत्रों का कहना है कि वहां भी बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार चल रहा है। इसमें ठेकेदारों से लेकर विभाग के लोगों से ही वसूली होती है। सत्यव्रत का व्यवहार भी विभाग या बाहरी लोगों को लेकर ठीक नहीं है।

दो बार सस्पेंड होने वाले फीटर से नगर निगम ले रहा फोर मैन का काम

लखनऊ नगर निगम में भ्रष्ट कर्मचारियों की बोल बाला अभी भी जारी है। आरआर विभाग के फीटर ललित कुमार को फोर मैन का काम दे दिया गया है। सभी नियमों को ताख पर रखते हुए यह किया है। ललित कुमार को दो बार पहले भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किया जा चुका है। एक बार साल 2019 में तब के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने सस्पेंड किया। उसके बाद तमाम सांठ-गांठ के बाद उसने अपनी बहाली कराई। फिर साल 2021 में दूसरे नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने ललित को सस्पेंड किया था। हालांकि अपने तबादले से पहले उन्होंने बहाल भी कर दिया था। इस बीच ललित पर लगातार भ्रष्टाचार और मानक को दर किनार को काम करने का आरोप लगता आ रहा है। फीटर का काम गाड़ी बनाना होता है। वहां 7 लोग इस पद पर है। इनको छोड़ सभी यही काम करते है। लेकिन ललित को एसी रुम में बैठाकर फाइल साइन कराने का काम कराया जा रहा है।

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