गणपति बप्पा मोरया…

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
गणेश चतुर्थी का 10 दिनों का उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में गणपति बप्पा को लेकर आते हैं, उनकी विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। फिर उसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन करते हैं। हालांकि गणेश विसर्जन के भी अलग-अलग नियम हैं, जिसके तहत सभी लोग 10 दिनों तक गणपति बप्पा को नहीं रखते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र समेत पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का उत्सव लगातार 10 दिनों तक चलता है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के विशेष अवसर पर आप गणपति जी की पूजा-अर्चना द्वारा उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं।

महत्व

गणेश चतुर्थी विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है। उन्हें नई शुरुआत और समृद्धि के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। भक्त अपने प्रयासों में सफलता और अपने जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना करते हैं। इस दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करते हैं. गणेश जी की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होंगी और बिगड़े हुए काम बनेंगे. आपके जीवन के संकट दूर होंगे और शुभता आएगी।

गणेश चतुर्थी का समापन

गणेश चतुर्थी का समापन 17 सितंबर दिन मंगलवार को अनंत चतुर्दशी को होगा। जो लोग 10 दिनों के लिए गणेश जी की मूर्ति रखेंगे, वे अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की मूर्तियों को नदियों, झीलों और समुद्र जैसे जल निकायों में विसर्जित किया जाता है। इस अनुष्ठान को विसर्जन के नाम से जाना जाता है। गणेश जी को विदा करेंगे और अगले साल फिर आने को कहेंगे। यह भगवान गणेश की कैलाश पर्वत पर अपने निवास स्थान पर वापसी का प्रतीक है।

शुभ मुहूर्त

उदयातिथि की मान्यता के आधार पर गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 7 सितंबर शनिवार से होगा। उस दिन गणेश जी की मूर्ति की स्थापना होगी और व्रत रखा जाएगा। 7 सिंतबर को गणेश चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 31 मिनट तक है. उस दिन आप गणपति बप्पा की पूजा दिन में 11 बजकर 03 मिनट से कर सकते हैं। मुहूर्त का समापन दोपहर में 1 बजकर 34 मिनट पर होगा।

गणेश चतुर्थी का इतिहास

गणेश चतुर्थी का इतिहास 17वीं शताब्दी से मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार की शुरुआत मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी। उन्होंने इस त्योहार का उपयोग अपने लोगों को एकजुट करने और हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किया। गणेश चतुर्थी दस दिवसीय त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से महाराष्ट्र में लोकप्रिय है, जहां इसे सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। त्योहार के दौरान, भक्त अपने घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं।

भद्रा

गणेश चतुर्थी के दिन भद्रा भी लग रही है. भद्रा सुबह में 06 बजकर 02 मिनट से लग रही है, जो शाम 05 बजकर 37 मिनट पर खत्म होगी। इस भद्रा का वास पाताल में है।

इस तरह करें पूजा

सर्वप्रथम गणेश चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें। स्नान आदि से निवृत होने के बाद मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें। इसके बाद गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं। पूजा के दौरान गणेश जी को वस्त्र, जनेऊ, चंदन, दूर्वा, अक्षत, धूप, दीप, पीले पुष्प और फल आदि अर्पित करें। भगवान गणेश की पूजा के दौरान उन्हें 21 दूर्वा जरूर चढ़ाएं। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। दूर्वा अर्पित करते समय श्री गणेशाय नम: दूर्वांकुरान् समर्पयामि मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में समस्त सदस्यों के साथ मिलकर गणेश जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।

Related Articles

Back to top button