Bada Mangal 2025 : ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगल आज, जानें पूजा और चोला चढ़ाने की विधि..,

आज से ज्येष्ठ मास की शुरुआत हो चुकी है और संयोग से पहले ही दिन मंगलवार होने के कारण आज का दिन बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जा रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः आज से ज्येष्ठ मास की शुरुआत हो चुकी है और संयोग से पहले ही दिन मंगलवार होने के कारण आज का दिन बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के रूप में मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है, खासतौर पर उत्तर प्रदेश और उसके आसपास के क्षेत्रों में।

बड़ा मंगल का महत्व


मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के मंगलवार को व्रत रखकर और विधिपूर्वक हनुमानजी की पूजा-अर्चना करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, इससे कुंडली में स्थित मंगल ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान हनुमान की प्रभु श्रीराम से पहली भेंट हुई थी, जिस कारण यह दिन और भी पावन माना जाता है।

पूजा विधि और लाभ


बड़े मंगल के दिन भक्त सुबह स्नान करके व्रत रखते हैं और हनुमानजी को सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और गुड़-चना का भोग अर्पित करते हैं। मंदिरों में भंडारे और प्रसाद वितरण की परंपरा भी होती है। यह व्रत नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है और मानसिक, शारीरिक व आर्थिक समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जाता है।

मुख्य आयोजन उत्तर प्रदेश में


उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जैसे शहरों में बड़े मंगल के अवसर पर भव्य झांकियां, भंडारे और विशेष पूजा आयोजन किए जाते हैं। शहर के प्रमुख हनुमान मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।

बड़े मंगल का महत्व


मंगलवार का दिन हनुमानजी को समर्पित है और इस दिन हनुमानजी की पूजा करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही कुंडली में अगर मंगल दोष होता है और वह भी दूर हो जाता है और मंगल ग्रह का शुभ फल भी प्राप्त होता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ मास में हनुमानजी की प्रभु श्रीराम से मुलाकात हुई थी इसलिए जेठ मास के हर मंगलवार का विशेष महत्व और मंगलकारी माना जाता है. हनुमानजी की पूजा से रोग व शोक दूर होते हैं और भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति भी मिलती है.

जानिए कब-कब है बड़ा मंगल
पहला बड़ा मंगल- 13 मई 2025
दूसरा बड़ा मंगल- 20 मई 2025
तीसरा बड़ा मंगल- 27 मई 2025
चौथा बड़ा मंगल- 2 जून 2025
पांचवां बड़ा मंगल- 10 जून 2025


बड़ा मंगल 2025 पूजा मुहुर्त


बड़े मंगल यानी आज हनुमानजी की पूजा करने के लिए 3 मुहूर्त श्रेष्ठ बताए गए हैं…
पहला मुहूर्त – सुबह 5 बजकर 32 मिनट से 7 बजकर 13 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त – अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
तीसरा मुहूर्त – शाम 7 बजकर 4 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक

बड़ा मंगल पूजा विधि


आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवृत्त होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. हनुमानजी के साथ प्रभु श्रीराम और माता जानकी की भी तस्वीर या मूर्ति रखें. इसके बाद कुश के आसान पर बैठकर गंगाजल से छिड़काव करें और अगर चित्र है तो उसको अच्छे से साफ कर लें. इसके बाद फल, गुलाब के फूल, रोली, अक्षत, बूंदी या बेसन के लड्डू आदि नैवेद्य अर्पित करें. बीच बीच में जय श्रीराम और जय हनुमानजी के जयकारे लगाएं. फिर घी के दीपक से हनुमानजी की आरती उतारें और सुंदरकांठ, बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ करें. प्रसाद को सभी में वितरण कर दें और दान भी करें. शाम के समय भी हनुमानजी की आरती उतारें. इसके बाद मनोकामना पूर्ति की विनती करें.

इस तरह चढ़ाएं चोला


साथ ही पास के हनुमान मंदिर भी जाएं और वहां लाल रंग के फूल अर्पित करें और चमेली के तेल में सिंदूर मिला लें और चोला की शुरुआत हनुमानजी के बाएं पैर से करें. चोला चढ़ाते समय हमेशा ध्यान रखें कि चोला पैर से सिर तक लेकर जाएं ना कि सिर से पैर की ओर लेकर आएं. साथ ही हनुमानजी का बेसन के लड्डू या बूंदी का भोग लगाएं. 5 चमेली के तेल के दीपक जलाएं और सुंदरकांठ का पाठ करें और 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें. सभी को प्रसाद वितरण करें.

हनुमानजी के मंत्र


ॐ हनु हनुमते नमः
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय
महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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