RBI MPC मीटिंग में हुआ बड़ा फैसला, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, अभी कम नहीं होगी EMI

वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से पहले RBI की बहुप्रतीक्षित मौद्रिक नीति समिति बैठक आज समाप्त हो गई। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट से पहले RBI की बहुप्रतीक्षित मौद्रिक नीति समिति बैठक आज समाप्त हो गई। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार (7 June) को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर चिंता के बीच रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया। रेपो रेट अभी भी 6.5 फीसदी पर बरकरार है। MPC (Monetary Policy Committee) के 6 में से 4 सदस्यों ने रेट को स्थिर रखने पर फैसला किया गया है।

आपको बता दें कि गवर्नर ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी किया है। उन्होंने कहा कि मार्च-अप्रैल में खुदरा महंगाई में कमी आई है लेकिन फूड इनफ्लेशन में अभी भी तेजी है। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 7.1 फीसदी से बढ़ाकर 7.3 फीसदी किया गया है। वहीं जुलाई-सितंबर के लिए 7.2 प्रतिशत, अक्टूबर-दिसंबर के लिए 7.3 प्रतिशत और जनवरी-मार्च के लिए 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

फूड इन्फ्लेशन RBI के लिए बड़ी चिंता

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि  फूड इन्फ्लेशन RBI के लिए बड़ी चिंता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सामान्य से अधिक मानसून का पूर्वानुमान खरीफ फसल परिदृश्य के लिए अच्छा संकेत है।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने बताया कि पिछले साल जून से लगातार ग्यारहवें महीने में मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति में नरमी जारी रही, लेकिन फूड इनफ्लेश अभी भी हाई बना हुआ है। हालांकि, मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के आधार पर सामान्य मानसून मानते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 के लिए सीपीआई 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ऐसे में पहली तिमाही में इनफ्लेशन 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है।

क्या है रेपो और रिवर्स रेपो रेट?

रेपो रेट उस ब्याज दर को कहते हैं, जिसके आधार पर आरबीआई से बैंकों को पैसे मिलते हैं। इस कारण जब भी रेपो रेट में बदलाव होता है, पर्सनल लोन से लेकर कार लोन और होम लोन तक की ब्याज दरें बदल जाती हैं।  रेपो रेट में कमी से लोन का ब्याज कम हो जाता है, जबकि रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगे हो जाते हैं. इसी तरह रिजर्व बैंक अपने पास जमा पैसे पर जिस दर के हिसाब से बैंकों को रिटर्न में ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है।

रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज शुक्रवार को बैठक के बाद कहा- मौद्रिक नीति समिति ने वृहद आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद बहुमत से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। MPC (Monetary Policy Committee) के 6 सदस्यों में से 4 ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। समिति ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया है।

अप्रैल महीने में चालू वित्त वर्ष के दौरान रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक हुई थी। MPC ने उस बैठक में भी महंगाई का हवाला देकर रेपो रेट में बदलाव नहीं किया था।दरअसल रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई को 4 फीसदी से नीचे लाना चाहता है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • पिछले महीने खुदरा महंगाई कम होकर 11 महीने के निचले स्तर पर आ गई है।
  • अभी भी वह 4.83 फीसदी के साथ RBI के लक्ष्य से ठीक-ठाक ऊपर है।
  • खाने-पीने की चीजों की महंगाई खास तौर पर परेशान कर रही है।
  • जिसकी दर मई महीने में चार महीने के उच्च स्तर 8.7 फीसदी पर पहुंच गई।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button