शरद पवार के दांव से चारों खाने चित हुई BJP, मिशन-400 हो गया फेल !

मुंबई। लोकसभा चुनाव को लेकर पूरे देश का सियासी तापमान आए दिन बढ़ता जा रहा है। सियासी हलचल आए दिन तेज हो रही है। सभी राजनीतिक दल भी अब अपनी-अपनी रणनीतियों व योजनाओं को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। तो वहीं लोकसभा चुनावों के पहले चरण के मतदान में भी अब एक हफ्ते का ही समय बाकी रह गया है। ऐसे में राजनीतिक गहमागहमी और भी बढ़ गई है। इस बीच अलग-अलग प्रदेशों में भी सियासत गरमाई हुई है। इसी क्रम में 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में आए दिन सियासी घटनाक्रम में तेजी से बदलाव हो रहा है। महाराष्ट्र की सियासत हर दिन एक नया रूप ले रही है। प्रदेश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार सियासी उठापटक का खेल जारी है। दोनों दलों की तरफ से अपने-अपने दांव-पेंच चले जा रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में नेताओं का एक दल से दूसरे दल में जाने का सिलसिला भी लगातार जारी है। हर दिन प्रदेश में कोई न कोई नेता किसी न किसी दल में कूद फांद कर रहा है।

इस बीच 84 साल के हो चुके शरद पवार लगातार अपने सियासी दांवपेंच से विरोधियों की नीदें उड़ाए हुए हैं। शरद पवार को वैसे भी राजनीति का कुशल रणनीतिकार व चतुर राजनेता माना जाता है। वो कब क्या सोंच रहे हैं कोई नहीं समझ पाता है। न ही कोई जान पाता है कि उनकी अगली चाल अब क्या होने वाली है। यही वजह है कि शरद पवार के हर एक्शन पर नजर रखी जाती है क्योंकि उनके हर एक्शन का एक रिएक्शन होता है। यही कारण है कि शरद पवार 84 साल की उम्र में भी अपने विरोधियों के लिए एक अनसुलझी पहेली बने हुए हैं। और अपने सियासी दांव से पूरी राजनीति बदलने का दम रखते हैं। भले अजित पवार ने एनसीपी में टूट करके पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की हो।

लेकिन शरद पवार का सियासी पावर अभी भी उतना ही है। अब एक बार फिर शरद पवार ने अपने सियासी दांव से महाराष्ट्र में भाजपा के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। चुनाव से ठीक पहले शरद पवार का ये दांव आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए कड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। क्योंकि शरद पवार के इस दांव का असर महाराष्ट्र की कई सीटों पर देखने को मिल सकता है। यही कारण है कि पहले से ही प्रदेश में खस्ताहालत में नजर आ रही भाजपा के लिए शरद पवार की ये चाल राज्य में उसे और भी कमजोर बना देगी। क्योंकि शरद पवार ने भाजपा में एक बड़ी सेंधमारी की है। जिसका असर कई सीटों पर दिखने वाला है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र में भाजपा को तगड़ा झटका लगा है। पहले से ही खराब स्थिति में रही भाजपा पर एक और बड़ी मुसीबत टूट पड़ी है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा नेता धैर्यशील पाटील ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी की इस टूट और सेंधमारी के पीछे राजनीतिक चाणक्य शरद पवार का दिमाग बताया जा रहा है। दरअसल, बताया जा रहा है कि बीते दिन पाटील शरद पवार से भी मिले थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही एनसीपी शरद चंद्र पवार में शामिल हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब बीजेपी ने महाराष्ट्र लोकसभा की पहली कैंडिडेट लिस्ट जारी की थी तो माढा सीट से रणजीत सिंह नाइक निंबालकर को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला लिया गया था।

चर्चा है कि मोहिते पाटील बीजेपी के इस निर्णय से खासा नाराज हैं। माना जा रहा है कि वह एनसीपी (शरदचंद्र पवार) में शामिल हो सकते हैं और उन्हें शरद पवार पसंद की सीट से टिकट दे सकते हैं। वहीं भाजपा से इस्तीफा देने के बाद धैर्यशील पाटील का कहना है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी, सोलापुर जिला संगठन के महासचिव का पद संभाला है। साथ ही, उनके पास मालशिरस विधानसभा चुनाव प्रमुख की भी जिम्मेदारी रही है। उन्होंने जिला, मंडल कार्यकारिणी समिति, मोर्चा, प्रकोष्ठ आदि संगठनों का गठन और कार्यान्वयन किया। साथ ही शक्ति केंद्र, महायोद्धा, बूथ संरचनाओं को भी एक्टिव किया।  धैर्यशील पाटील ने कहा कि पार्टी और जनता द्वारा उन पर जताए गए विश्वास के लिए वह हमेशा आभारी रहेंगे। इसी के साथ उन्होंने जानकारी दी कि वह निजी कारणों से बीजेपी के सभी पदों के साथ-साथ पार्टी से भी इस्तीफा दे रहे हें। धैर्यशील पाटील ने पार्टी आलाकमान से इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध किया।

जाहिर है कि पाटील का ये निजी कारणों का हवाला देकर पार्टी छोड़ना भी कहीं न कहीं शरद पवार की ही एक कुशल रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि शरद पवार अपना हर दांव काफी सोच-समझकर चलते हैं और वो दोनों पक्षों को ध्यान में रखते हैं। यही कारण है कि शरद पवार के कदम को लोग समझ ही नहीं पाते हैं।

शरद पवार को यूं ही राजनीति का कुशल पुरोधा नहीं बोला जाता है। 84 बरस के हो चुके शरद पवार ऐसे-ऐसे राजनीतिक दांव पेंच खेल रहे हैं कि उन्हें खत्म करने का ख्वाब देख रहे उनके राजनीतिक दुश्मनों के पसीने छूट रहे हैं। भले ही महाराष्ट्र की विपक्षी महा विकास आघाडी में सीटों के बंटवारे में शरद पवार को ही सबसे कम सीटें मिली हों। लेकिन चुनावी नतीजों के बाद हो सकता है कि शरद पवार के उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट सबसे बेहतर हो। जिस तरह से शरद पवार ने  माढा लोकसभा सीट पर बीजेपी में सेंधमारी की है। उसको देखकर विरोधी भी उनके राजनीतिक कौशल की दुहाई मांगने लगेंगे।

बीजेपी के नेता धैर्यशील मोहिते-पाटील को बीजेपी से तोड़कर शरद पवार न सिर्फ अपने साथ ले आए हैं, बल्कि उन्हें बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार रणजीत सिंह नाइक निंबालकर के खिलाफ लोकसभा की उम्मीदवारी भी देने जा रहे हैं। यानी एक तीर से दो निशाने और भाजपा को पूरी तरह से झकझोर देने का प्लान बनाया है सीनियर पवार ने। शरद पवार के इस दांव का असर बारामती, सातारा और सोलापुर लोकसभा सीट पर भी पड़ेगा।

दरअसल, जब से माढा सीट पर बीजेपी ने जब से रणजीत सिंह नाइक निंबालकर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, तब से ही विवाद बढ़ गया है। इस बार बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा मोहिते पाटील परिवार की थी। लेकिन बीजेपी ने उन्हें मौका नहीं दिया। इसके बाद मोहिते पाटील परिवार बीजेपी के नेताओं से उम्मीदवार बदलने की बारबार अपील करने लगे।

हालांकि, मोहिते पाटील परिवार की नाराजगी को देखते हुए और नाराजगी से पार्टी को नुकसान होता देखकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश में भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को शांत कराने का प्रयास भी किया। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मोहिते पाटील परिवार के सदस्य बीजेपी विधायक रणजीत मोहिते पाटील के मार्फत मध्यस्थता की कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच बीजेपी उम्मीदवार रणजीत सिंह नाइक निंबालकर की उम्मीदवारी के खिलाफ एनसीपी नेता और विधान परिषद के पूर्व सभापति रामराजे नाइक निंबालकर का सपोर्ट भी मोहिते पाटील परिवार को मिल गया।

इसके बावजूद बीजेपी उम्मीदवार बदलने को राजी नहीं हुई। आखिरकार मोहिते पाटील परिवार वापस शरद पवार के पहुंच गया। शरद पवार ने गुरुवार को घोषणा की कि 14 अप्रैल को धैर्यशील मोहिते पाटील एनसीपी में शामिल होंगे और 16 तारीख को अपनी उम्मीदवारी दाखिल करेंगे। यानी शरद पवार ने बीजेपी को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक तगड़ा झटका दिया है, जिसका असर काफी गहरा हो सकता है।

यानी एक ओर भाजपा ने अजित पवार को अपनी ओर मिलाकर शरद पवार को कमजोर करने की कोशिश की थी। लेकिन अब जब चुनाव नजदीक आता जा रहा है तो शरद पवार अपने सियासी दांव और कुशल रणनीति से भाजपा व अजित पवार के लिए उल्टा ही मुश्किलें खड़ी करते जा रहे हैं। जिससे आए दिन प्रदेश में बीजेपी कमजोर होती जा रही है। एक ओर अबकी बार 400 पार का लक्ष्य लेकर बैठे पीएम मोदी आए दिन विरोधियों पर हमला बोल रहे हैं और भाजपा के 370 पार जाने का डंका पीट रहे हैं।

लेकिन दूसरी ओर महाराष्ट्र जैसे दूसरे नंबर पर सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा आए दिन कमजोर होती जा रही है। और उसकी जीत की उम्मीदें भी आए दिन कम होती जा रही हैं। फिलहाल शरद पवार के नया सियासी दांव व सेंधमारी लोकसभा चुनावों में भाजपा को एक बड़ा झटका देने वाला है। जिसका असर प्रदेश की कई लोकसभा सीटों पर देखने को मिलेगा।

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