क्या विपक्ष ला सकता है अविश्वास प्रस्ताव!

आसान नहीं, संसद को सही तरीके से चलाना जरूरी

  • स्पीकर से नाराज हैं कांग्रेस
  • भाजपा व मोदी को भी घेरने की योजना

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण लगता है हंगामें की भेंट चढ़ जाएगा। अगले हफ्ते 3 अप्रैल को संसद की कार्यवाही शुरू होगी। हालांकि जैसे सियासी माहौल चल रहा उसमें लगता नहीं है कि सत्र सूचारु रुप से चलेगा। हालांकि कांग्रेसी खेमे से ऐसी खबरेें आ रही हैं कि अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर वह लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास ला सकती है। ज्ञात हो कि राहुल ने अपनी सदस्यता जाने के बाद कहा था कि लोक सभा अध्यक्ष से जब उन्होंने कहा कि वह अडानी मामले में जेपीसी बनाए औैर उन्हें ससंद में बोलने दे तो उन्होंने कहा ऐस नहीं हो सकता है। उसी समय लग गया था कि कांग्रेस लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के खिलाफ आक्रामक होन के मूड मेे हैं।
हालांकि अविश्वास प्रस्ताव लाना इतना आसान नही होगा इसके लिए कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर होने जरूरी है। सबसे बड़ी ससंद का गतिविरोध खत्म होना जरूरी है। पर सत्ता पक्ष के हठ व विपक्ष के तेवर ऐसा होता दिख नही रहा है। प्रधानमंत्री के सरनेम वाली टिप्पणी के लिए मानहानि के मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा राहुल गांधी को दोषी ठहराये जाने के कुछ ही घंटों के भीतर, उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था। सूत्रों ने कहा कि राहुल मामले में तेजी से उठाए गए कदमों को लेकर अविश्वास प्रस्ताव में उल्लेख किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव तभी लाया जा सकता है जब सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल रही हो।13 मार्च को बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत के बाद से ही लोकसभा में हंगामा हो रहा है। विपक्षी दल अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राहुल गांधी की विदेश में की गई टिप्पणी पर माफी मांगने पर जोर दे रही है।

भाजपा भी पूरे आक्रामकता में

संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा के राहुल गांधी ने ओबीसी समाज का जो अपमान किया उसपर अगर कोर्ट ने फैसला किया तो वे कहते हैं कि कोर्ट ही गलत हैं। उन्हें लगता है कि एक परिवार में पैदा हो गए तो इस देश पर राज करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। वे खुद को संसद और कोर्ट से ऊपर मानते हैं। राहुल गांधी को लगता है कि अगर संविधान में सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है तो उनपर लागू नहीं होना चाहिए क्योंकि देश पर राज करना उनका अधिकार है। और बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान के तहत जितने लोकतांत्रिक संस्थान बनाए हैं वे सब उनसे नीचे हैं। कांग्रेस के कुछ सांसदों ने प्रश्नकाल में कागज फाडक़र आसन की ओर फेंके और एक सदस्य ने आसन के सामने काला कपड़ा रखने की भी कोशिश की। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू हुई तो पीठासीन सभापति रमा देवी ने जरूरी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इस दौरान कांग्रेस सदस्य आसन के पास आकर नारेबाजी की। शोर-शराबा नहीं थमने पर पीठासीन सभापति ने कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।

बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामेदार रहा

संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार टकराव जारी है। अडानी मुद्दे पर विपक्ष जेपीसी जांच की मांग को लेकर अपने रुख पर अड़ा है। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द किए जाने के बाद कांग्रेस के तेवर और तीखे हो गए हैं। रोज विपक्षी सांसद जेपीसी की मांग और राहुल गांधी की अयोग्यता के खिलाफ नोटिस देते हैं। कांग्रेस पार्टी ने अपने कार्यालय में संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा के अपने सांसदों की बैठक बुलाई है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी लोकतंत्र बचाने को लेकर प्रदर्शन करेंगे। हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदन नहीं चल पा रहे हैं। बाहर निकलकर दिनभर बयानबाजी का दौर चलता है। विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा में पीठासीन अधिकारी रमा देवी का घेराव किया। उनके सामने तख्तियां लहराई गईं। इससे पहले सदन में हंगामे के बीच सरकार ने जरूरी विधेयक और संशोधन पारित करा लिए। इसके बाद सदन को 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा भी तब तक स्थगित है। लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक फिर शुरू हुई तो सदन के पटल पर दस्तावेज रखे गए। इस दौरान लोकसभा में विपक्षी सांसद अडानी मामले पर जेपीसी जांच की मांग के लिए नारेबाजी करते रहे। पोस्टर्स भी लहराए गए।

स्पीकर के खिलाफ अविश्वसास प्रस्ताव लाने के नियम

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के खिलाफ विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्षी खेमे के सूत्रों ने कहा कि इस तरह के प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर और समर्थन की आवश्यकता होती है। हालांकि आशंका इस बात की भी है कि प्रस्ताव को पेश करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि सदन सुचारू रूप से नहीं चल रहा है। कांग्रेस लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कथित पक्षपात को लेकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार करने के लिए अन्य विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर रही है। प्रस्ताव लाने का विचार पार्टी सांसदों की बैठक में रखा गया और कांग्रेस नेता अब इस पर अन्य दलों के नेताओं से बात कर रहे हैं। इस प्रस्ताव को सोमवार को लोकसभा में लाये जाने की संभावना है, लेकिन कुछ दलों ने यह कहते हुए इस कदम का विरोध किया है कि इससे विपक्षी एकता को नुकसान पहुंच सकता है। इससे पहले अगस्त 1963 में नेहरू सरकार के खिलाफ आचार्य कृपलानी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उन्होंने कहा कि नरसिंह राव नीत सरकार और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ भी अविश्वाास प्रस्ताव लाया गया था।

कांग्रेस ने लगाए ये आरोप

कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अडानी मुद्दे पर संसद में उनके अगले भाषण से डर गई थी। वहीं बीजेपी ने कहा कि लोकसभा सचिवालय की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अयोग्य ठहराने का फैसला नियमानुसार है और फैसले पर सवाल उठाना संविधान को निशाना बनाने जैसा है।

18 विपक्षी दलों ने की थी बैठक

इसके अलावा विपक्षी दल बजट सत्र की शुरुआत से ही अडानी समूह से जुड़े मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग करे रहे हैं। बीते दिन कांग्रेस समेत देश के 18 विपक्षी दलों ने बैठक कर फैसला लिया था कि सभी दल लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे भी मिलकर काम करते रहेंगे और अडानी मामले में जेपीसी की मांग जारी रखेंगे।

संसद व्यवधान से त्रस्त है उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संसद व्यवधान से त्रस्त है। संसद में अव्यवस्था सामान्य व्यवस्था बन गई है। उन्होंने यह भी कहा कि गतिशील लोकतंत्र में ऐसा कभी नहीं होगा जब कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच कोई मतभेद न हो। इन्हें आपसी सहयोग से हल करने की आवश्यकता है। बता दें कि 13 मार्च को बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत के बाद से लोकसभा में लगातार व्यवधान देखा जा रहा है। विपक्षी सदस्य अदाणी मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने आगाह किया, लोगों को देश के भीतर और बाहर काम करने वाली वैश्विक मशीनरी द्वारा भारत की अखंडता के खिलाफ सुनियोजित छद्म युद्ध के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। भारत के विकास को बाधित करने, लोकतांत्रिक संस्थानों को बदनाम करने के लिए भीतर और बाहर कपटी ताकतें काम कर रही हैं। इससे पहले सदस्यों की जेपीसी की मांग और हंगामे के दौरान राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘कुछ भी मुमकिन हो सकता है, कुछ भी हवा निकल सकती है। आप कुर्सी पर बैठिए और मेरे निर्णय का इंतजार कीजिए।’ राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने को लेकर कांग्रेस नाराज है, साथ ही कई विपक्षी दल स्पीकर पर पक्षपात का आरोप भी लगा रहे हैं,उनके खिलाफ विपक्षी पार्टियां अविश्वास प्रस्ताव ला सकती हैं। कांग्रेस के उच्च सूत्र के हवाले से ये जानकारी मिली है। राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के और सदन में पक्षपात का आरोप लगा लोकसभा अध्यक्ष के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। दरअसल, गुजरात के सूरत की एक अदालत की ओर से 2019 के मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया। चार बार सांसद रहे राहुल गांधी अयोग्यता के कारण आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते, जब तक कि कोई हाई कोर्ट सजा पर रोक नहीं लगाता। इस मामले को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल लगातार संसद में हंगामा कर रहे हैं और संसद के बाहर भी प्रदर्शन किया जा रहा है।

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