नेता जी! धर्म के नाम पर न फैलाएं नफरत

  • सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी शंाति-अमन रहे
  • सियासत को धर्म से अलग रखना जरूरी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आखिर नेता जी किसकी मानेंगे, संसद चलने नहीं देंगे कोर्ट की सुनेंगे नहीं जनता की परवाह नहीं करेंगे। पिछले दो-तीन दिनों से देश के कई हिस्सों में धर्म के नाम पर उपद्रव जारी है। पर हमारे जनप्रतिनिधियों को कोई फर्क नही पड़ रहा है। जहरीली बयानबाजी जारी है। इससे नेता जी को कुछ वोट तो मिल जाएंगे पर देश का बहुत नुकसान हो जाएगा। सबसे बड़ी शर्म की बात यह है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच को लेकर बहुत तल्ख टिप्पणियां कीं थी। पिछले आठ-दस साल से देश में नफरती भाषणों का चलन चल पड़ा जिससे देश का माहौल संवेदनशील हो गया है। ज्ञात हो कोर्ट ने कहा कि जबतक धर्म और राजनीति अलग-अलग नहीं होंगे, हेट स्पीच से छुटकारा नहीं मिलेगा। हेट स्पीच को लेकर राज्य निष्क्रिय और नपुंसक हो गया है। हेट स्पीच देखा जाए तो एकदम राजनीति है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो राजनेता हैं, वे धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे देश में धर्म और राजनीति जुड़े हए हैं। यही कारण है कि हेट स्पीच हो रहा है।

गृह मंत्री का दौरा रद्द

गृह मंत्री अमित शाह के सासाराम दौरे के मद्देनजर हालात पर काबू पाने का प्रयास तेज बताया जा रहा था। लेकिन, कार्यक्रम स्थल के आसपास धारा 144 लागू रहने और स्थिति तनावपूर्ण रहने के कारण शाह का दौरा रद्द कर दिया गया है। ताजा हालत यह है कि कादिरगंज, मुबारकगंज, चौखंडी नवरत्न बाजार में दुकानों के साथ घरों के दरवाजे भी बंद हैं। इसके बावजूद शनिवार को भी 10 मिनट के लिए पथराव की सूचना आई। इसमें किसी के घायल होने की जानकारी नहीं मिली है। लेकिन, यह घटना बता रही है कि तनाव अब भी है। पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इलाके को छावनी के रूप में बदल चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच को दुष्चक्र करार दिया

अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने हेट स्पीच को दुष्चक्र करार दिया और कहा है कि भाईचारे का विचार अधिक था लेकिन खेद यह है कि दरारे आ चुकी हैं। क्यों नहीं राज्य समाज में नफरती भाषण पर लगाम लगाने के लिए सिस्टम विकसित कर कर सकता है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हम कहां जा रहे हैं। एक समय था कि देश में पंडित जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी बाजपेयी जैसे वक्ता थे। जिनका भाषण सुनने के लिए लोग आधी रात को दूर दराज गांव से आते थे। अब असामाजिक तत्व बयानबाजी करते हैं। हर सिटिजन को संयम रखना चाहिए।

अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता : ममता

ममता बनर्जी ने कहा,हमने किसी शोभा यात्रा या रामनवमी यात्रा पर रोक नहीं लगाई। पहले बीजेपी वाले प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं, फिर आरोप लगाते हैं। राज्य में कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं है। अपराधियों का कोई धर्म नहीं होता। इस मामले में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हावड़ा हिंसा में 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिन्होंने हिंसा भडक़ाई वह लोग हिंदू नहीं थे, उन्हें बाहर से लाया गया था। बीजेपी ने सुनियोजित तरीके से सोची-समझी साजिश के तहत हिंसा फैलाई। बीजेपी बंगाल को अशांत करना चाहती है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हिंसा में शामिल नहीं हैं, क्योंकि वह रमजान में व्यस्त थे। बंगाल में अशांति का मतलब देश में अशांति है। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर लड़े। विपक्षी दलों से अनुरोध है कि साथ आएं और बीजेपी से लड़ें।

किसी भी उपद्रवी को छोड़ा नहीं जाएगा : नीतीश

पटना। बिहार के कई जिलों में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा भडक़ उठी। तनावपूर्ण माहौल के बीच भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। नालंदा और रोहतास में सबसे अधिक बवाल हुआ। उधर सीएम नीतीश कुमार ने कहा है की उपद्रवियों को छोड़ा नही जाएगा। वहीं दोनों जगहों पर दो-दो प्राथमिकी दर्ज कर असामाजिक तत्वों को चिन्हित करते हुए क्रमश: 27 और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिसकर्मी, महिला समेत दर्जनों लोग घायल हुए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशान ने धारा-144 लगा दी है। वरीय पदाधिकारी घटना स्थल पर कैम्प कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जा रही है।

पटियाला जेल से बाहर आए नवजोत सिद्धू

सडक़ पर भीड़ ने किया जोरदार स्वागत
१११ 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चंडीगढ़। अच्छे व्यवहार के चलते समय से पहले पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला की सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। बाहर आने पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। 59 वर्षीय कांग्रेस नेता सिद्धू 1988 के रोड रेज के मामले में एक साल की सजा काट रहे हैं। पिछले साल 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद सिद्धू ने पटियाला की एक अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि अपर्याप्त सजा देने के लिए दिखाई गई कोई भी सहानुभूति न्याय प्रणाली को और अधिक नुकसान पहुंचाएगी और इससे कानून के प्रभाव के प्रति जनता के भरोसे पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इस घटना में 65 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पंजाब जेल नियमावली के मुताबिक अच्छे चालचलन वाला दोषी छूट पाने का हकदार है। इससे पहले रिहाई की कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जेल में बंद नवजोत सिद्धू से शुक्रवार को पंजाब कांग्रेस के चार पूर्व प्रधानों ने करीब पौने घंटे तक मुलाकात की। इनमें लाल सिंह, मोहिंदर सिंह केपी, शमशेर सिंह दूलों व प्रताप सिंह बाजवा शामिल रहे। बाजवा वर्तमान में विरोधी दल के नेता भी हैं। सिद्धू परिवार के बेहद करीबी जिला कांग्रेस कमेटी पटियाला शहरी के पूर्व प्रधान नरिंदर पाल लाली ने कहा कि सिद्धू के स्वागत के लिए लड्डुओं का ऑर्डर कर दिया गया है। सिद्धू को जुलूस की शक्ल में शहर के विभिन्न बाजारों से होते हुए पटियाला के यादविंदरा एनक्लेव स्थित उनकी कोठी तक लाया गया।

सबक सिखाने के लिए भगवान से मौत मांगी थी : कौर

वहीं कैंसर से जूझ रहीं उनकी पत्नी नवजोत कौर ने सिद्धू की जेल से रिहाई से पहले एक भावनात्मक ट्वीट साझा किया है। उन्होंने लिखा, सिद्धू को सबक सिखाने के लिए भगवान से मौत मांगी थी। पंजाब के लिए उनके पति के प्यार ने उन्हें किसी भी लगाव के दायरे से बाहर कर दिया था।

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