चैतर वसावा की लड़ाई रंग लाई, सरकार को स्कॉलरशिप बहाल करने पर मजबूर हुई
आदिवासी छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए शुरू की गई पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप को गुजरात सरकार द्वारा 28 अक्टूबर 2024 को बंद...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात में आदिवासी समुदाय के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा को आसान बनाने वाली पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना एक बार फिर सुर्खियों में है.. यह योजना केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई 2010 से शुरू की गई थी.. जो आदिवासी छात्रों को कॉलेज स्तर की पढ़ाई में आर्थिक मदद देती है.. लेकिन अक्टूबर 2024 में गुजरात सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया.. जिससे हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया.. इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए.. विधानसभा में हंगामा मचा और आखिरकार दिसंबर 2025 में सरकार ने फंड जमा करने का ऐलान किया.. जो संघर्ष, राजनीति और सामाजिक न्याय की कहानी है.. जहां छात्रों की आवाज ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया..
आपको बता दें कि पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है.. जो अनुसूचित जनजाति के छात्रों को 11वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है.. इस योजना के तहत छात्रों की फीस, किताबें और अन्य खर्चों को कवर किया जाता है.. केंद्र सरकार ने 2010 में इसे शुरू किया था.. ताकि आदिवासी इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें.. गुजरात में यह योजना आदिवासी विकास विभाग के माध्यम से चलाई जाती है..
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच सालों में गुजरात में इस योजना से 11 लाख से ज्यादा एसटी छात्रों को 2,470 करोड़ रुपये की मदद मिली है.. 2025-26 के लिए अकेले 1.13 लाख छात्रों को 460 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रावधान है.. यह योजना न केवल शिक्षा को बढ़ावा देती है.. बल्कि आदिवासी समुदाय की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करती है.. लेकिन 2024 में आए बदलावों ने इसे विवादास्पद बना दिया..
केंद्र सरकार ने जुलाई 2025 में स्पष्ट किया कि इस योजना को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.. फिर भी, गुजरात में राज्य स्तर पर बदलाव हुए.. जो मुख्य रूप से मैनेजमेंट कोटा के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों को प्रभावित करते थे.. केंद्र की गाइडलाइंस के अनुसार योजना को राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू किया जाता है.. लेकिन फंडिंग और नियमों में राज्य की भूमिका महत्वपूर्ण होती है..
आपको बता दें कि 28 अक्टूबर 2024 को गुजरात के आदिवासी विकास विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया.. जिसमें पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप को कुछ शर्तों के साथ बंद करने की घोषणा की गई.. मुख्य रूप से मैनेजमेंट कोटा के तहत एडमिशन लेने वाले छात्रों को इस योजना से बाहर कर दिया गया.. सरकार ने इसका कारण केंद्र की संशोधित गाइडलाइंस बताया.. जिसमें कहा गया कि ऐसे छात्रों को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी.. इससे हर साल करीब 50,000 आदिवासी छात्र प्रभावित होने की आशंका थी.. जो पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं..
वहीं इस फैसले की तुरंत आलोचना शुरू हो गई.. विपक्षी पार्टियां जैसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसे आदिवासी विरोधी बताया.. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार गरीब छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है.. AAP के विधायक चैतर वासवा ने कहा कि यह फैसला आदिवासी समुदाय को शिक्षा से दूर करेगा.. सोशल मीडिया पर भी इसकी चर्चा हुई.. जहां ट्राइबल आर्मी जैसे ग्रुप्स ने विरोध जताया..
आपको बता दें कि नवंबर 2024 में कांग्रेस ने इस मुद्दे पर गुजरात विधानसभा में हंगामा किया.. विधायकों ने सरकार से जवाब मांगा.. लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला.. दिसंबर 2024 में ABVP जैसे छात्र संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन किए.. छात्रों का कहना था कि मैनेजमेंट कोटा में दाखिला लेना मजबूरी है.. क्योंकि सरकारी सीटें कम हैं..
वहीं इस फैसले के खिलाफ विरोध में जल्दी ही सड़कों पर उतर आया.. दिसंबर 2024 में AAP विधायक चैतर वासवा.. और छात्र नेता युवराजसिंह जड़ेजा ने हजारों छात्रों के साथ बिरसा मुंडा भवन में आदिवासी विकास आयुक्त से मुलाकात की.. और उन्होंने ज्ञापन सौंपा और योजना को फिर से शुरू करने की मांग की.. जब कोई सुनवाई नहीं हुई.. तो उन्होंने विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की..
फरवरी 2025 में विधानसभा सत्र के दौरान यह मुद्दा गर्माया.. AAP और कांग्रेस विधायकों ने सदन में जोरदार विरोध किया.. चैतर वासवा समेत तीन AAP विधायकों को सदन से सस्पेंड कर दिया गया.. क्योंकि वे वेल में घुस आए थे.. वासवा ने सदन में कहा कि सरकार आदिवासी छात्रों के साथ अन्याय कर रही है.. मार्च 2025 में गांधीनगर में छात्रों का बड़ा प्रदर्शन हुआ.. जहां पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में लिया..
जून 2025 में विरोध और तेज हुआ.. छात्र संगठनों ने आदिवासी इलाकों में सरकारी कार्यक्रमों जैसे कन्या केलवणी और स्कूल प्रवेश उत्सव का बहिष्कार करने की धमकी दी.. इस दबाव में सरकार ने 24 जून 2025 को एक नया सर्कुलर जारी किया.. जिसमें योजना को फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया गया.. लेकिन फंड जमा न होने से छात्रों का असंतोष बरकरार रहा..
जून के आश्वासन के बावजूद, फंड्स जारी नहीं हुए.. छात्रों ने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ कागजी कार्रवाई कर रही है.. नवंबर 2025 में चैतर वासवा और युवराजसिंह जड़ेजा ने फिर से स्वर्णिम संकुल-1 में मंत्री से मुलाकात की.. और उन्होंने कहा कि अगर 15 दिनों में स्कॉलरशिप शुरू नहीं हुई.. तो गांधीनगर में बड़े पैमाने पर रचनात्मक कार्यक्रम किए जाएंगे..
वहीं डिजिटल गुजरात स्कॉलरशिप पोर्टल पर भी अपडेट्स आए.. पोर्टल ने घोषणा की कि 2025-26 के लिए आवेदन 10 दिसंबर तक खुले हैं.. लेकिन पुराने फंड्स की समस्या बनी रही.. कॉलेजों ने सरकार से पोर्टल दोबारा खोलने की मांग की.. क्योंकि हजारों छात्र आवेदन से चूक गए थे..
दिसंबर 2025 में दबाव काम आया.. 11 दिसंबर 2025 को सरकार ने ऐलान किया कि 1.13 लाख आदिवासी छात्रों के खातों में 460 करोड़ रुपये सीधे जमा किए जाएंगे.. आदिवासी मामलों के मंत्री नरेश पटेल ने कहा कि यह योजना केंद्र.. और राज्य के सहयोग से चल रही है.. और छात्रों की शिक्षा को मजबूत करेगी..
आपको बता दें कि चैतर वासवा ने इस फैसले का स्वागत किया.. लेकिन कहा कि अन्य मांगें जैसे स्कॉलरशिप की राशि बढ़ाना.. और दायरा बढ़ाना अभी बाकी हैं.. युवराजसिंह जड़ेजा ने भी इसे छात्रों की जीत बताया.. सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि बोलने की ताकत ने फैसला बदल दिया..



