भड़के चंद्रशेखर ने योगी की लगा दी क्लास, कहा- गरीबों की नहीं है सरकार
उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में 30 फीसद तक बढ़ोतरी हो सकती है... जिसे लेकर अब नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने सीएम योगी पर निशाना साधा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश में बिजली की कीमतों में 30 फीसदी तक की प्रस्तावित बढ़ोतरी ने न केवल आम जनता……. बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है….. आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता….. और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने योगी आदित्यनाथ सरकार को जमकर घेरा है…… और उन्होंने इस प्रस्ताव को जनविरोधी करार देते हुए चेतावनी दी है कि अगर यह लागू हुआ तो…… उनकी पार्टी पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगी…… आपको बता दें कि यह मुद्दा न केवल आर्थिक…… बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है…….. क्योंकि यह उत्तर प्रदेश की 24 करोड़ जनता के जीवन को सीधे प्रभावित करता है…….
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने हाल ही में राज्य विद्युत नियामक आयोग में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव दाखिल किया है…….. इस प्रस्ताव में UPPCL ने 19 हजार 600 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का हवाला देते हुए बिजली की दरों में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी का अनुरोध किया है…… यह प्रस्ताव इस तथ्य पर आधारित है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में UPPCL…… और उसकी सहायक बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) का कुल खर्च 1 लाख 7 हजार 209 करोड़ रुपये रहा…… जबकि राजस्व केवल 67 हजार 955 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ…… इससे 39 हजार 254 करोड़ रुपये का घाटा हुआ……. जिसमें से राज्य सरकार ने 19 हजार 494 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की…… इसके बावजूद 5 हजार 910 करोड़ रुपये का घाटा बरकरार रहा……. और मार्च 2024 तक UPPCL का कुल नुकसान 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया……
UPPCL का दावा है कि बिजली बिलों की वसूली केवल 88 फीसदी ही हो पाई है……. जिसके कारण घाटा बढ़कर 13 हडार 542 करोड़ रुपये हो गया…… इसके अलावा 54 लाख 24 हजार उपभोक्ताओं ने एक बार भी बिल का भुगतान नहीं किया…… जिससे 36 हजार 353 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है……. साथ ही 78 लाख 65 हजार उपभोक्ताओं ने पिछले छह महीनों से बिल जमा नहीं किया…… जिससे 36 हजार 117 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बकाया जमा हो गया……. इन आंकड़ों के आधार पर UPPCL ने बिजली दरों में बढ़ोतरी को जरूरी बताया है…..
जिसको लेकर नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आजाद ने इस प्रस्ताव को जनता के खिलाफ साजिश करार दिया है….. और उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि उत्तर प्रदेश की जनता पहले ही बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार से जूझ रही है…… ऊपर से अब सरकार बिजली को गरीबों की पहुंच से दूर कर सिर्फ अमीरों के घरों की रौनक बनाना चाहती है…… और उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि यह कदम आम जनता, किसानों, मजदूरों….. और छोटे व्यापारियों के हितों के खिलाफ है…… और यह केवल “मुनाफाखोर कंपनियों” को लाभ पहुंचाने के लिए उठाया जा रहा है……
वहीं चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि अगर यह प्रस्ताव लागू हुआ तो उनकी पार्टी पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर जनआंदोलन शुरू करेगी…… आपको बता दें कि चंद्रशेखर की चेतावनी न केवल एक राजनीतिक बयान है….. बल्कि यह उत्तर प्रदेश की सामाजिक….. और आर्थिक स्थिति को भी उजागर करती है……. जहां महंगाई और बेरोजगारी पहले ही आम जनता के लिए चुनौती बनी हुई है…… बता दें कि यदि यह प्रस्ताव लागू होता है…….. तो यह उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए छह महीने के भीतर दूसरी बार दरों में बढ़ोतरी होगी……. इससे पहले अप्रैल 2025 में फ्यूल सरचार्ज के रूप में 1.24 फीसदी की वृद्धि की गई थी……. जिसके तहत जनवरी 2025 के लिए 78.99 करोड़ रुपये की वसूली उपभोक्ताओं से की जा रही है…… नई प्रस्तावित वृद्धि के तहत बिजली की दरें सभी श्रेणियों…… घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक और कृषि के लिए बढ़ सकती हैं…… इससे तमाम तरह की दिक्कते जन्म लेंगी….
घरेलू उपभोक्ताओं विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग के परिवारों को बिजली बिलों में 30 फीसदी की वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है…… वहीं यदि किसी परिवार का मासिक बिल 1,000 रुपये है……. तो उसे 300 रुपये अतिरिक्त चुकाने पड़ सकते हैं…… यह उन परिवारों के लिए विशेष रूप से कठिन होगा जो पहले ही महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं….. वहीं उत्तर प्रदेश में कृषि और छोटे व्यवसायों पर बिजली की लागत का सीधा असर पड़ता है……. निजी नलकूपों पर मुफ्त बिजली की योजना के बावजूद……. जिन किसानों का बकाया बिल बाकी है……. उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा……. छोटे व्यापारियों के लिए बढ़ी हुई बिजली लागत उनके लाभ मार्जिन को और कम कर सकती है……..
बता दें कि भारी उद्योग और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में वृद्धि से उत्पादन लागत बढ़ेगी……. जिसका असर सीधा उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा……. इससे महंगाई को और बढ़ावा मिल सकता है…… चंद्रशेखर आजाद की चेतावनी के अनुसार….. इस प्रस्ताव के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं……. यह न केवल आजाद समाज पार्टी……. बल्कि अन्य विपक्षी दलों और उपभोक्ता संगठनों को भी सरकार के खिलाफ एकजुट होने का अवसर दे सकता है……. चंद्रशेखर आजाद अकेले नहीं हैं जो इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं…….. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने भी इसे असंवैधानिक और जनविरोधी बताया है…… और उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर पहले से ही 33 हजार 122 करोड़ रुपये का सरप्लस है……. और इस आधार पर फ्यूल सरचार्ज या दर वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है……. वर्मा ने यह भी तर्क दिया कि जून 2020 में बने फ्यूल सरचार्ज कानून का उल्लंघन करते हुए यह प्रस्ताव दाखिल किया गया है……… और इसे तत्काल खारिज किया जाना चाहिए……
वहीं विपक्षी दलों जैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस…… ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है…….. बिजली कर्मचारियों के संगठन जैसे नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिक एंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने निजीकरण…… और दर वृद्धि के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है……. ये संगठन मानते हैं कि दर वृद्धि और निजीकरण से न केवल उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा…… बल्कि कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षा भी खतरे में पड़ेगी….. योगी आदित्यनाथ सरकार इस प्रस्ताव को लेकर कठघरे में है…… एक ओर सरकार ने हाल के वर्षों में उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कई कदम उठाए हैं…….. जैसे यूपी घरेलू बिजली बिल माफी योजना 2024…….. जिसके तहत बकाया बिलों पर सरचार्ज में 100 फीसदी छूट दी जा रही है…… इसके अलावा निजी नलकूपों वाले किसानों के लिए मुफ्त बिजली योजना भी शुरू की गई है…… हालांकि इन योजनाओं का लाभ केवल उन उपभोक्ताओं को मिल रहा है……. जो अपने बकाया बिलों का भुगतान कर चुके हैं…… या निर्धारित किश्तों में भुगतान कर रहे हैं……
दूसरी ओर UPPCL का भारी वित्तीय घाटा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है……. सरकार का तर्क है कि सब्सिडी और वित्तीय सहायता के बावजूद……. बिजली कंपनियों की स्थिति सुधारने के लिए दर वृद्धि आवश्यक है…… हालांकि यह कदम जनता के बीच सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है…….. खासकर तब जब विपक्ष इसे “मुनाफाखोर कंपनियों” को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा रहा है…… उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक बिजली उपभोक्ताओं वाला राज्य है……. जहां लगभग 3.45 करोड़ उपभोक्ता हैं……. बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन, बिजली चोरी, कुप्रबंधन, और कोयले की कमी जैसे मुद्दों ने इस संकट को और गहरा किया है…… इसके अलावा राज्य में बेरोजगारी और महंगाई पहले से ही जनता के लिए चुनौती बनी हुई है……..