‘विचारशील पोस्ट’ और अपने नाम की वजह से हुए गिरफ्तार- प्रोफेसर महमूदाबाद को लेकर BJP पर भड़की कांग्रेस

एक प्रोफेसर की गिरफ्तारी को लेकर देश में सियासत जोर पकड़ चुकी है. कांग्रेस ने सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला करते हुए कहा कि हिंसा के खिलाफ ‘विचारशील’ पोस्ट के लिए एक शिक्षाविद को गिरफ्तार किया जाना और सशस्त्र बलों को ‘अपमानित’ करने वाले बीजेपी के मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना नरेंद्र मोदी सरकार के “दोहरे मानदंडों” को सामने लाता है.
मुख्य विपक्षी पार्टी की यह तीखी टिप्पणी हरियाणा पुलिस की ओर से अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को उनके ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर की गई टिप्पणी के लिए गिरफ्तार किए जाने के बाद आई है. कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने निशाना साधते हुए कहा, “उनकी एकमात्र गलती यह है कि उन्होंने यह पोस्ट लिखी. और उनकी दूसरी गलती उनका नाम है.”
खेड़ा ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा, “यह मोदी सरकार के तहत नए भारत की स्थिति है.” प्रोफेसर महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद रविवार को गिरफ्तार किया गया था.
उन्होंने X पर अपने लंबे पोस्ट में कहा, “एक इतिहासकार और शिक्षाविद को हिंसा भड़काने के लिए नहीं बल्कि इसके खिलाफ वकालत करने के आरोप में जेल भेजा गया है. उनका अपराध क्या है? सत्ता के सामने सच बोलने की हिम्मत करना, बीजेपी के सांप्रदायिक आख्यान को सामने लाना और छाती पीटने वाले राष्ट्रवाद के पाखंड को उजागर करना.”
अपने बयानों के लिए बीजेपी के नेताओं पर कोई एक्शन नहीं लिए जाने का जिक्र करते हुए पवन खेड़ा ने कहा, “इस बीच, बीजेपी के मंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री को सशस्त्र बलों का खुलेआम अपमान करने को लेकर उन्हें किसी तरह की कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा. कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई. कोई गिरफ्तारी भी नहीं. यह मोदी के शासन का दोहरा मापदंड है.”
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह और राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की ओर से की गई उन कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे. कांग्रेस की ओर से दावा किया गया कि देवड़ा ने कहा था कि भारतीय सेना और बहादुर सैनिक पीएम मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं. वहीं विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी जिसके लिए उन्होंने माफी मांग ली, लेकिन पार्टी ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया.
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए खेड़ा ने कहा, “यह किसी एक शख्स के बारे में नहीं है. यह अभिव्यक्ति की आजादी के धीमे-धीमे दम घोंटने, असहमति के अपराधीकरण और बीजेपी के मनगढ़ंत बातों को चुनौती देने वाले बुद्धिजीवियों को चुप कराने के लिए राज्य मशीनरी के इस्तेमाल के बारे में है.” उन्होंने यह भी दावा किया कि मौजूदा सरकार सवालों से, अपने ही लोगों से डरती है.”

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