कश्मीर की डेमोग्राफी बदलने की साजिश: महबूबा
- बोलीं-बाहरी लोगों को प्रदेश में बसाने की हो रही साजिश
- भाजपा के इशारे पर एनसीपी में हुआ विद्रोह
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में बेघर लोगों को जमीन देने के बहाने यहां की डेमोग्राफी को बदलने की साजिश रची जा रही है। बाहरी लोगों को प्रदेश में बसाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने घोषणा की थी कि प्रदेश में बेघर लोगों को 5-5 मरला जमीन दी जाएगी, ताकि हर वंचित को रहने के आवास नसीब हो सके।
इस घोषणा के बाद ही महबूबा मुफ्ती का ये बयान आया है। इससे पहले पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के कार्यों पर सवाल उठाए हैं। आरोप लगाया कि ईसीआई में निष्पक्षता और तटस्थता का अभाव है। सत्तासीन भाजपा मीडिया सहित लोकतंत्र की अन्य संस्थाओं को नुकसान पहुंचा रही है। इससे देश में खतरे की स्थिति पैदा हो गई है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ईसीआई वास्तव में निष्पक्ष या तटस्थ नहीं है। ईडी भी निष्पक्ष नही है। उन्होंने महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर कहा कि भाजपा के इशारे पर राकांपा के अजीत पवार और आठ विधायकों ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया और शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए। कहा कि विपक्ष को न केवल भाजपा से बल्कि ईडी, सीबीआई और चुनाव आयोग जैसी विभिन्न सरकारी एजेंसियों की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह देश के लिए अच्छा नहीं है। भाजपा पार्टियों को तोडऩे और विधायकों को खरीदने के लिए धनबल का इस्तेमाल करती है, जबकि वह भ्रष्टाचार से लडऩे के बड़े-बड़े दावे करती है।
कल होगी प्रदेश में विस चुनाव की मांग वाली याचिका पर सुनवाई
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रणाली की बहाली के लिए जल्द विधानसभा चुनाव की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में वीरवार को सुनवाई होगी। पैंथर्स पार्टी नेता और पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने याचिका दर्ज कर शीर्ष अदालत का रुख किया था, ताकि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली हो। जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से चुनाव नहीं हुए है। 2018 में प्रदेश में राज्यपाल शासन लगाया गया। 2019 जून को जम्मू-कश्मीर को बिना चुनी हुई सरकार के पांच साल का समय भी पूरा हुआ। पांच साल से प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रणाली ठप पड़ी और चुनी हुई सरकार की बजाय अफसरशाही है। हर्ष देव सिंह ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा जारी कॉज लिस्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ द्वारा की जाएगी। जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली ये एक मात्र उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 को हटाया गया और जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने के मुद्दे पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने असहज चुप्पी बनाई है।