देश के चर्चित IAS को मिली राहत, वघेल सरकार ने की थी साजिश
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे.... अमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.... देखिए खास रिपोर्ट...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे…. अमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है…. बता दें छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बंद कर दिया है…. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रधान सचिव रहे अमन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का कोई मामला नहीं बनने के बाद…. रायपुर की एक निचली अदालत ने ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है…. जिसमें पाया गया कि अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का कोई मामला नहीं बनाया जा सकता है….
बघेल सरकार में दर्ज की गई थी FIR
बता दें कि एक आरटीआई कार्यकर्ता के दावे के आधार पर… दो हजार बीस में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार राज्य की में सत्ता में थी…. तब एफआईआर संख्या नौ/ दो हजार बीस दर्ज की गई थी…. अदालत के आदेश के अनुसार राज्य ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा तीन साल की जांच… अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को साबित करने में विफल रही…. वहीं वर्तमान में भाजपा सरकार के सत्ता में आने से पहले पिछले साल दिसंबर में राज्य सरकार की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई थी….
भाजपा सरकार में एक शक्तिशाली नौकरशाह थे सिंह
आपको बता दें कि भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी अमन सिंह, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में एक शक्तिशाली नौकरशाह…. और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव थे…. और उन्होंने सेवा से इस्तीफा दे दिया…. और नवंबर दो हजार बाईस में अदानी समूह में शामिल हो गए…. जिसके बाद मौजूदा सरकार ने उनके खिलाफ एक्शन लेने के लिए एक आरटीआई का सहारा लिया था… जिसके बाद फरवरी दो हजार बीस में छत्तीसगढ़ की ईओडब्ल्यू ने कथित आय से अधिक संपत्ति के मामले में अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की….
उच्च न्यायालय ने दो साल पहले एफआईआर को कर दिया था रद्द
वहीं बिलासपुर उच्च न्यायालय ने दो साल पहले एफआईआर को रद्द कर दिया था…. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मार्च दो हजार तेईस में बिलासपुर उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया… और कहा कि यह वांछनीय है कि उच्च न्यायालय जांच के चरण में भ्रष्टाचार के मामले की एफआईआर को रद्द न करें…. भले ही संदेह हो कि पिछली सरकार के अफसरों पर नई सरकार ने केस दर्ज कराया है…. और अब ट्रायल कोर्ट ने ईओडब्ल्यू द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है…. और एफआईआर को रद्द कर दिया है….
परीक्षण-क्लेश के बाद सच्चाई की जीत हुई- वकील
आपको बता दें कि सिंह परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रसिद्ध आपराधिक वकील…. और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के तहत एफआईआर का इस्तेमाल…. एक ईमानदार अधिकारी अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह, एक प्रसिद्ध कलाकार को गलत तरीके से निशाना बनाने के लिए किया गया था…. जिससे उन्हें सजा भुगतनी पड़ी…. कई वर्षों तक परीक्षण और क्लेश के बाद आज सच्चाई की जीत हुई है… और सभी आरोपो को कोर्ट के द्वारा खारिज कर दिया गया है….
कांग्रेस और भाजपा दोनों मुख्यमंत्रियों के साथ किया है काम
इसी भावना को व्यक्त करते हुए, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुमार ने शासन और लोक सेवकों के मनोबल पर राजनीतिक उत्पीड़न के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में बात की…. बता दें कि सुनील कुमार ने कांग्रेस और भाजपा दोनों मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया है…. और उन्होंने कहा कि राजनीतिक विचारों के लिए ईमानदार अधिकारियों को निशाना बनाया जाना हतोत्साहित करने वाला है… क्योंकि हर कोई सार्वजनिक सेवा में ईमानदारी की व्यक्तिगत लागत का सामना नहीं कर सकता है… वहीं यह दावा करने के बावजूद कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे…. उसके बाद भी अमन सिंह ने जांच में पूरा सहयोग किया… जिससे अंततः उन्हें… और उनकी पत्नी को दोष सिद्ध नहीं हुआ… क्योंकि आय से अधिक संपत्ति का कोई मामला नहीं बना….
बघेल के आदेश पर सिंह के खिलाफ दर्ज की गई थी प्राथमिकी
आपको बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता उचित शर्मा के दावों के आधार पर पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी…. जिसमें दंपति पर बेहिसाब संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगाया गया था…. वहीं तीन वर्षों में विस्तृत जांच के बावजूद, एफआईआर टिकने में विफल रही…. क्योंकि ईओडब्ल्यू को दावों का समर्थन करने वाला कोई सबूत नहीं मिला…. जिसके कारण क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई…. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में मौजूदा बीजेपी सरकार के शपथ लेने से पहले पिछले साल दिसंबर में ईओडब्ल्यू ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी…. बता दें कि सिंह परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रसिद्ध आपराधिक वकील… और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने एफआईआर के पीछे के उद्देश्यों की खुले तौर पर आलोचना की है…. और इसे न्याय के बजाय राजनीतिक प्रतिशोध का एक उपकरण बताया है….
ईमानदार अधिकारी अमन सिंह को बनाया निशाना
आपको बता दें कि भूपेश बघेल की सरकार इस देश में अब तक देखी गई सबसे भ्रष्ट… और प्रतिशोधी सरकारों में से एक थी…. औऱ उन्होंने एक ईमानदार अधिकारी अमन सिंह और एक प्रसिद्ध कलाकार, उनकी पत्नी यास्मीन सिंह को गलत तरीके से निशाना बनाने के लिए एफआईआर को हथियार बनाया…. जिससे उन्हें परीक्षणों और कठिनाइयों से गुजरना पड़ा…. कई वर्षों तक एक अधिकारी की पत्नी को निशाना बनाना एक नया निम्न स्तर था…. यहां तक कि भूपेश बघेल के मानकों के अनुसार, अंततः अदालत द्वारा उन्हें बरी कर दिया गया….
मामले की विभिन्न स्तरों पर हुई न्यायिक जांच
वहीं मामले की विभिन्न स्तरों पर न्यायिक जांच भी हुई है…. जिसमें एक उल्लेखनीय क्षण भी शामिल है जब बिलासपुर उच्च न्यायालय ने ठोस सबूतों की कमी का हवाला देते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया था…. हालाँकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की बघेल सरकार की अपील पर एफआईआर को पुनर्जीवित करते हुए कहा कि गहन जांच जनता के विश्वास… और जवाबदेही को बनाए रखने के लिए बेहतर काम करेगी….
भाजपा सरकार के शपथ लेने से पहले दायर की गई थी क्लोजर रिपोर्ट
वहीं मामले में ईओडब्ल्यू द्वारा पिछले साल दिसंबर में, छत्तीसगढ़ में वर्तमान विष्णु देव साई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शपथ लेने से पहले क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई थी…. जिसमें कहा गया था कि कानूनी हलकों ने नौकरशाही की अखंडता… और कानूनी जवाबदेही पर मामले के निहितार्थ को ध्यान में रखते हुए…. कार्यवाही की बारीकी से निगरानी की है….
‘छत्तीसगढ़ के परिवर्तनकारी विकास में बहुत योगदान दिया’
जिसको लेकर कुमार ने कहा कि यह दुखद है कि एक अधिकारी जिसने छत्तीसगढ़ के परिवर्तनकारी विकास में बहुत योगदान दिया…. उसे बेबुनियाद आरोपों का सामना करना पड़ा…. राजनीतिक विचारों के लिए ईमानदार अधिकारियों को निशाना बनाया जाना हतोत्साहित करने वाला है…. क्योंकि हर कोई सार्वजनिक सेवा में ईमानदारी की व्यक्तिगत लागत का सामना नहीं कर सकता… जैसा अमन करने में सक्षम है…. मैं अमन सिंह और उनकी पत्नी के लिए खुश हूं कि सच्चाई की जीत हुई है….. वहीं मामले की विभिन्न स्तरों पर न्यायिक जांच भी हुई है…. जिसमें एक उल्लेखनीय क्षण भी शामिल है जब बिलासपुर उच्च न्यायालय ने ठोस सबूतों की कमी का हवाला देते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया था….
सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर को पुनर्जीवित किया
हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार की अपील पर एफआईआर को पुनर्जीवित करते हुए कहा कि गहन जांच जनता के विश्वास… और जवाबदेही को बनाए रखने के लिए बेहतर काम करेगी…. वहीं शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस बात की सराहना करते हैं कि ऐसे मामले हो सकते हैं जब निर्दोष लोक सेवक प्रेरित शिकायतों के कारण जांच में फंस जाते हैं…. और इसके परिणामस्वरूप उन्हें मानसिक पीड़ा, भावनात्मक दर्द… और सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है…. लेकिन इसकी छोटी सी कीमत चुकानी पड़ती है…. यदि कोई समाज कानून के शासन द्वारा शासित होना है… तो भुगतान किया जाना चाहिए… क्लोजर रिपोर्ट के साथ शिकायतकर्ता की सहमति सहित सभी दृष्टिकोणों को सुनने के बाद ट्रायल कोर्ट द्वारा मामले को बंद करने से एक हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाई का अंत होता है….
अमन सिंह का और बढ़ गया कद
आपको बता दें कि IAS अमन सिंह का कद और बढ़ गया है…. और अडानी ग्रुप ने अमन सिंह को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है… बता दें कि अमन सिंह 1 मई से अडानी ग्रुप में प्रेसिडेंट स्ट्रेटजी की जिम्मेदारी देखेंगे…. जिसकी जानकारी एक अनाउंसमेंट में ग्रुप की तरफ से दी गई…. भोपाल के रहने वाले अमन सिंह छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के मुख्यमंत्री काल में प्रभावशाली अफ़सर रहे हैं…. बता दें अमन सिंह साल दो हजार बाईस के नवंबर महीने में अडानी ग्रुप से सीबीसी के हेड… और एपेक्स सदस्य के रुप में जुड़े थे… पेशे से सिविल सर्वेंट रहे अमन सिंह के कार्यकाल में भारत… और विदेश में ब्रांड को बढ़ावा मिलने की बात कही जाती है…. और उन्होंने हाल ही में भोपाल के एमसीएटी से पढ़ाई की है…. वहीं अडानी ग्रुप में नई पोजीशन पर उनका काम एक मई दो हजार चौबीस से प्रभावी होगा….
अडानी ग्रुप में मिली बहुत बड़ी जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिह के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह को अडानी ग्रुप में बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली है… अमन सिंह एक मई से अडानी ग्रुप में प्रेसिडेंट स्ट्रेटजी एंड चेयरमेंस ऑफिस का पद संभालेंगे… अडानी ग्रुप ने ऑफिसियल अनाउंसमेंट कर इसकी जानकारी दी है…. आपको बता दें कि अमन सिंह भोपाल के ही रहने वाले हैं… और उन्होंने MACT से पढ़ाई की थी… उत्कृष्ट कार्यो के लिए उन्हें हो हजार पंद्रह में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है….
प्रेसिडेंट स्ट्रेटजी एंड चेयरमेंस ऑफिस बनाए जाने पर खुशी जताई
वहीं अडानी ग्रुप ने अमन सिंह को प्रेसिडेंट स्ट्रेटजी एंड चेयरमेंस ऑफिस बनाए जाने पर खुशी जताई…. साथ ही कहा है कि ग्रुप का विश्वास है कि उनका सर्वश्रेष्ठ अभी बाकी है…. अमन सिंह के जिम्मेदारी संभालने के बाद ग्रुप की सर्वोच्च संस्था एपेक्स मुख्य भूमिका निभाएगी… अमन एक बेहतरीन कॉर्डिनेटर के रूप में इसे उंचाइयों पर ले जाएंगे….
2022 में अडानी ग्रुप से जुड़े अमन सिंह
बता दें कि अमन सिंह नवंबर दो हजार बाइस में CBC के समूह प्रमुख और एपेक्स सदस्य के रूप में अडानी ग्रुप से जुड़े थे…. और बहुत कम समय में ही उन्होंने अडानी ग्रुप में एक अमिट छाप छोड़ी है…. वहीं उनके कार्यकाल के दौरान भारत और विदेश में ब्रांड को बढ़ावा मिला… अमन सिंह एक प्रसिद्ध सिविल सर्वेंट रहे हैं… उनका करियर शानदार रहा है….
सिविल सेवक रहे हैं अमन कुमार सिंह
अमन कुमार सिंह भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी और सिविल सेवक रहे हैं… और उन्होंने चौदह वर्षों से अधिक समय तक छत्तीसगढ़ सरकार की सेवा की…. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के प्रमुख सचिव का पद संभाला…. इस भूमिका में उनका कार्यकाल किसी भी मुख्यमंत्री सचिवालय के इतिहास में सबसे लंबा माना जाता है…. उन्नीस सौ पन्चानबे में वे भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए थे… बाद में प्रतिनियुक्ति पर छत्तीसगढ़ में तैनात हुए और दो हजार चौदह में अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला किया था… दो हजार तेरह की बीओआई पॉवर लिस्ट के अनुसार अमन कुमार सिंह भारत के पांचवें सबसे शक्तिशाली नौकरशाह थे…. अमन कुमार ने अप्रैल दो हजार नौ से दिसंबर दो हजार तेरह तक भारतीय प्रौद्योगि की संस्थान कानपुर में और जुलाई दो हजार तेरह से दिसंबर दो हजार अट्ठारह तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में पद संभाला है….