अवैध निर्माणों पर कोर्ट नाराज, पूछा- दागी अफसरों पर क्या एक्शन हुआ

लखनऊ विकास प्राधिकरण से कार्रवाई की लिस्ट मांगी

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी में एलडीए के अफसरों की मिलीभगत से अवैध इमारतें बन जाने पर सख्त रूप अपनाया है। कोर्ट ने एलडीए से पूछा है कि ऐसे अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगते हुए एलडीए से ऐसे अफसरों की सूची भी मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी। यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल एवं जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने रिटायर्ड लेप्टिनेंट कर्नल अशोक कुमार की ओर से 10 साल पहले दाखिल एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में शहर के अवैध निर्माणों का मुद्दा उठाया गया है। कहा गया है कि अवैध निर्माण के समय एलडीए के अफसर चुप्पी साधे रखते हैं और आंख बंद कर लेते हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ऐसे दागी अफसरों के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है, जिससे उनके हौंसले बुलंद रहते हैं। एलडीए के वकील ने 2012 में ही बेंच को आश्वासन दिया था कि दागी अफसरों पर कार्यवाही की जा रही है। लेकिन पत्रावली के अवलोकन से पीठ ने शुक्रवार को पाया कि आज तक एलडीए ने कार्रवाई की कोई रिपोर्ट नहीं दाखिल किया है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए अगली तारीख पर कृत कार्यवाही की रिपोर्ट तलब किया है। बता दें कि बीते दिनों अवैध निर्माणों पर की गयी कार्रवाई में कई अवैध बिल्डिंगों को सील कर दिया गया था जिसे खोलने के लिए लगातार आवेदन आ रहे हैं।

नक्शे के विपरीत निर्माण कार्य पर हो कार्रवाई
बेंच ने अपने आदेश में कहा कि एलडीए अफसरों की यह भी जिम्मेदारी है कि नक्शा पास होने के बाद भी वे यह देखें कि निर्माण उसके विपरीत नहीं होने पाए। कोर्ट ने ऐसे में एलडीए से रिपोर्ट मांगी है कि कितने निर्माण अवैध पाए गए हैं। कितने अवैध निर्माण के मामलों में समन किया गया है।

अवैध निर्माणों की सील खोलने को कमेटी गठित
अवैध निर्माणों के विरुद्ध की गई सीलिंग की कार्रवाई के बाद सील खोलने के लिए अब एलडीए की 4 सदस्यीय कमेटी फैसले करेगी। एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने इस मामले को लेकर सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में सचिव अध्यक्षग् अपर सचिवग् संबंधित जोन के विहित प्राधिकारी व चीफ टाउन प्लानर को सदस्य बनाया गया है।

गुजरात के डीजीपी व चीफ सेके्रटरी तलब

नई दिल्ली। भारतीय चुनाव आयोग ने गुजरात के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब किया है। दरअसल आयोग के निर्देशानुसार राज्य में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर रिपोर्ट जमा करानी थी जो नहीं हुई। इसके लिए ही आयोग ने आदेश दिया है कि ये रिपोर्ट तुरंत पेश की जाए। आयोग ने दोनों राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि गृह जिलाओं में कार्यरत और पिछले चार सालों में जो अधिकारी लगातार एक जिला में तीन साल तक रहे हैं उनका तबादला किया जाए। विधानसभा चुनावों के पहले अधिकारियों की ट्रांसफर व पोस्टिंग को लेकर रिपोर्ट नहीं भेजने को लेकर चुनाव आयोग ने गुजरात सरकार के अधिकारियों को तलब किया है। चुनाव आयोग ने राज्य मुख्य सचिव व डीजीपी से इस पर जवाब मांगा है। सूत्रों के अनुसार अनेक रिमांडर के बावजूद मुख्य सचिव और डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस की ओर से कुछ वर्गों के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर रिपोर्ट नहीं जमा कराई गई। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार इन्हें इस संदर्भ में रिपोर्ट तुरंत जमा कराने को कहा गया है साथ ही यह भी पूछा गया है कि समय पर रिपोर्ट को क्यों नहीं जमा कराया गया। अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर पत्रों को हिमाचल प्रदेश और गुजरात भेजा गया है। हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान है वहीं गुजरात के लिए तारीखों का ऐलान फिलहाल नहीं हुआ है।

आजम खां मामले में 27 अक्टूबर को आ सकता है फैसला

लखनऊ। भड़काऊ भाषण देने के मामले में सपा नेता आजम खां के खिलाफ दर्ज मुकदमे में हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई। इस मामले में 27 अक्टूबर को कोर्ट का फैसला आ सकता है। आजम खां के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिलक कोतवाली क्षेत्र के खातानगरिया गांव में जनसभा को संबोधित किया था। आरोप है कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिया था, जिससे दो वर्गों में नफरत फैल सकती थी, जिसका वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से मामले की रिपोर्ट मिलक कोतवाली में दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने विवेचना करते हुए चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) निशांत मान की कोर्ट चल रही है।

जयराम के गृह जिले में बीजेपी की टेंशन बढ़ाएंगे बागी

शिमला। हिमाचल प्रदेश में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में टिकटों के बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी में टिकट बंटवारे से नाखुश कई नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की। भाजपा ने इस बार अपने चार मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं, जिनमें – जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के अलावा विधायक हीरा लाल (करसोग), जवाहर ठाकुर (दारंग) और कर्नल इंदर सिंह (सरकाघाट) को टिकट नहीं दिया गया है। टिकट न मिलने से निराश इन नेताओं में जल शक्ति मंत्री की बेटी वंदना गुलेरिया भी हैं, जिन्होंने टिकट बंटवारे पर खुलकर नाराजगी जताई है। पार्टी ने मंत्री के बेटे और वंदना गुलेरिया के भाई रजत ठाकुर को उनकी जगह धर्मपुर से चुनावी मैदान में उतारा है, जिसके बाद गुलेरिया को राज्य भारतीय महिला मोर्चा की महासचिव पद से इस्तीफा देना पड़ा है। गुलेरिया ने कहा कि वह मंगलवार को अपने भाई के खिलाफ निर्दलीय के तौर पर पर्चा दाखिल करेंगी। वंदना गुलेरिया ने कहा कि उन्होंने भाजपा की महिला इकाई के महासचिव पद से इस्तीफा दिया है न कि पार्टी से। भाजपा नेताओं द्वारा उन्हें मनाने और शांत करने के प्रयास के बारे में उन्होंने कहा कि अगले एक-दो दिन में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। वहीं, करसोग और दारंग सीटों के बागियों ने भी भाजपा के मौजूदा विधायकों की मदद से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया है। भाजपा के बागी चंदर मोहन, जिन्हें बीजेपी के मौजूदा विधायक कर्नल इंदर सुंग का समर्थन मिल रहा है, उन्होंने सरकाघाट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

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