दिल्ली की हवा सबसे खराब श्रेणी में, देश में तीसरा सबसे प्रदूषित शहर

शनिवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस वर्ष की सबसे खराब श्रेणी में दर्ज की गई। खराब हवा के कारण राजधानी देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में तीसरे स्थान पर पहुंच गई। सुबह से ही शहर में धुंध छाई रही और दिनभर आसमान में स्मॉग की मोटी परत बनी रही,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शनिवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस वर्ष की सबसे खराब श्रेणी में दर्ज की गई। खराब हवा के कारण राजधानी देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में तीसरे स्थान पर पहुंच गई। सुबह से ही शहर में धुंध छाई रही और दिनभर आसमान में स्मॉग की मोटी परत बनी रही, जिससे दृश्यता काफी कम हो गई। बढ़ते प्रदूषण
के चलते लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा और कई लोग एहतियातन मास्क पहनकर बाहर निकलते दिखाई दिए।

दिल्ली में शनिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) इस साल अब तक के सबसे खराब स्तर 431 पर पहुंच गया जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, 24 घंटे का औसत एक्यूआई 431 रहा, जबकि वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने आज भी एक्यूआई के ‘गंभीर’ बने रहने का अनुमान जताया है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि शनिवार को इस साल की अब तक की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई जो 11 नवंबर को दर्ज किए गए पिछले उच्चतम स्तर 428 को भी पार कर गई.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 431 रहा, जबकि वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने अनुमान जताया है कि आज भी एक्यूआई गंभीर श्रेणी में रहेगा.

जहरीले कोहरे की एक मोटी परत छाई
बता दें कि शनिवार के दिन की शुरुआत में दिल्ली पर जहरीले कोहरे की एक मोटी परत छाई रही क्योंकि सुबह नौ बजे दिल्ली का समग्र एक्यूआई 397 था. सीपीसीबी के अनुसार, सुबह के समय 21 निगरानी स्टेशनों में से 21 में वायु गुणवत्ता गंभीर’ श्रेणी में थी, जिनमें एक्यूआई 400 से ऊपर थी. वजीरपुर (445) में सबसे अधिक वायु प्रदूषण दर्ज किया गया, उसके बाद विवेक विहार (444) और जहांगीरपुरी (442) का स्थान रहा. आनंद विहार (439), अशोक विहार (437) और रोहिणी (437) में भी गंभीर वायु प्रदूषण की सूचना मिली.

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बीच प्रदूषण के स्तर में तेजी से वृद्धि होने के बाद शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर प्रतिबंध सहित अपनी वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के सबसे सख्त ग्रैप के चौथे चरण को लागू कर दिया. ग्रैप के चौथे चरण में दिल्ली-एनसीआर में सबसे सख्त प्रतिबंध लागू किए गए हैं.

दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश प्रतिबंधित
इस चरण के तहत, आवश्यक वस्तुओं या आवश्यक सेवाओं को ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर, दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश प्रतिबंधित होंगी. हालांकि, सीएनजी, एलएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 डीजल ट्रकों को अनुमति होगी. दिल्ली में पंजीकृत डीजल भारी मालवाहक वाहनों (बीएस-4 और उससे नीचे) के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया हैं. हालांकि इसमें केवल आवश्यक सेवाओं के लिए ही छूट दी गई है.

सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसमें राजमार्ग, सड़कें, फ्लाईओवर, बिजली पारेषण लाइनें, पाइपलाइनें और दूरसंचार कार्य जैसी रैखिक सार्वजनिक परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिन्हें निचले चरणों में अन्यथा अनुमति दी जाती है.

वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी
एक आधिकारिक आदेश में, सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्ष नियमित रूप से कार्यालय में उपस्थित रहें, लेकिन कर्मचारियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक ना हो. आदेश में कहा गया है, शेष 50 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करेंगे, हालांकि प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्ष आवश्यक और आपातकालीन सार्वजनिक सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकतानुसार अधिकारियों और कर्मचारियों को कार्यालय में बुला सकते हैं.

नियमों का सख्ती से पालन
इसी प्रकार, आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में संचालित सभी निजी कार्यालय 50 प्रतिशत से अधिक कर्मचारियों की उपस्थिति के बिना कार्य करेंगे. इसमें कहा गया है, शेष कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से घर से काम करना होगा. आदेश में सभी निजी संस्थाओं से आग्रह किया गया है कि जहां तक संभव हो, वे कार्य का अलग-अलग समय लागू करें. इसके अलावा, निजी कार्यालयों को घर से काम करने के नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने और कार्यालय आने-जाने से संबंधित वाहनों की आवाजाही को कम करने का निर्देश दिया गया है.

आदेश में कहा गया है, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक-निजी स्वास्थ्य संस्थान, अग्निशमन सेवाएं, जेल, सार्वजनिक परिवहन, बिजली, पानी, स्वच्छता और संबंधित नगरपालिका सेवाएं, आपदा प्रबंधन और संबंधित सेवाएं, वायु प्रदूषण नियंत्रण, निगरानी और प्रवर्तन गतिविधियों में लगे वन और पर्यावरण विभाग/एजेंसियां (जैसे बायोमास जलाने पर रोक लगाने, धूल नियंत्रण, ग्रेप उपायों आदि के लिए तैनात टीमें) और अन्य आवश्यक, आपातकालीन सेवाएं इन निर्देशों से मुक्त रहेंगी.

दिल्ली-एनसीआर में प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इससे पहले ग्रेप के तहत चरण-तीन प्रतिबंध लागू किए थे, जिसमें निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के अलावा कक्षा पांच तक की कक्षाओं को हाइब्रिड मोड में चलाना शामिल था.

हाइब्रिड कक्षाएं शुरू करने का आदेश
दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर सभी स्कूलों को कक्षा नौवीं और 11वीं तक के विद्यार्थियों के लिए हाइब्रिड मोड में कक्षाएं चलाने का निर्देश दिया है. हाइब्रिड मोड से आशय ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्रकार से कक्षाएं संचालित करने से है.

यह निर्णय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी एक आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर को और बिगड़ने से रोकने के लिए क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रेप) के तहत चरण-चार की कार्रवाई तत्काल प्रभाव से लागू की गई है.

इस संबंध में 13 दिसंबर के परिपत्र के अनुसार, शिक्षा निदेशालय, एनडीएमसी, एमसीडी और दिल्ली छावनी बोर्ड के अंतर्गत आने वाले सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और गैर-सरकारी मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को अगले आदेश तक जहां भी संभव हो, ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्रकार की कक्षाएं संचालित करने का निर्देश दिया गया है.

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