कारगिल युद्ध के पूर्व सैनिक के परिवार से नागरिकता साबित करने की मांग, आधी रात को घर पर छापा

पुणे में कारगिल युद्ध के एक पूर्व सैनिक के परिवार ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर किया गया।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: पुणे में कारगिल युद्ध के एक पूर्व सैनिक के परिवार ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर किया गया। यह घटना शनिवार रात को पूर्वी पुणे के चंदन नगर इलाके में हुई। 1999 के कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके रिटायर्ड सैनिक हकीमुद्दीन शेख के परिवार ने आरोप लगाया कि देर रात 30 से 40 लोगों का एक समूह पुलिस केसाथ उनके घर में घुस आया।

इस दौरान परिवार के सदस्यों से दस्तावेज दिखाने की मांग की गई और आधी रात को घर के पुरूष सदस्यों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया। परिवार का कहना है कि उनके साथ असंवेदनशील और अपमानजनक व्यवहार किया गया,जबकि वे इस देश की सेवा कर चुके हैं। परिवार ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक पूर्व सैनिक के परिवार को इस तरह अपनी नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि अपमानजनक भी है। घटना को लेकर प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मामले की जांच की मांग अब तेज हो गई है और स्थानीय नेताओं ने भी घटना की निंदा की है।

‘रोहिंग्या घोषित करने की दी गई चेतावनी’
पूर्व सैनिक के परिवार के एक सदस्य ने आरोप लगाते हुए कहा, “हमें सुबह 3 बजे तक इंतजार करने के लिए कहा गया और चेतावनी दी गई कि अगर हम अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, तो हमें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित कर दिया जाएगा.”

पुलिस ने भी रखा अपना पक्ष
वहीं, डीसीपी सोमय मुंडे ने कहा कि पुलिस ने संदिग्ध अवैध प्रवासियों के बारे में सूचना मिलने पर कार्रवाई की. डीसीपी ने कहा, “हमारी टीम ने दस्तावेज मांगे. जब यह स्पष्ट हो गया कि वे भारतीय हैं, तो हमने उन्हें जाने दिया. पुलिस टीम के साथ कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था. हमारे पास वीडियो फुटेज हैं.”

58 वर्षीय हकीमुद्दीन ने 1984 से 2000 तक सेना की 269 इंजीनियर रेजिमेंट में 16 साल सेवा की. उन्होंने कहा, “मैंने कारगिल में इस देश के लिए लड़ाई लड़ी थी. मेरा पूरा परिवार इस देश का है. हमें यह साबित करने के लिए क्यों कहा जा रहा है?” मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का रहने वाला यह परिवार 1960 से पुणे में रह रहा है. हालांकि हकीमुद्दीन 2013 में अपने गृहनगर लौट आए थे, लेकिन उनके भाई, भतीजे और उनके परिवार पुणे में ही हैं.

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