अमीराती विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए Digital training platform शुरू
जैसा की आप जानते हैं यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जो तेजी से तरक्की कर रहा है। यहां की सरकार हमेशा युवाओं को मजबूत बनाने पर ध्यान देती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: जैसा की आप जानते हैं यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात एक ऐसा देश है जो तेजी से तरक्की कर रहा है। यहां की सरकार हमेशा युवाओं को मजबूत बनाने पर ध्यान देती है। हाल ही में, यूएई की मानव संसाधन और अमीरातीकरण मंत्रालय ने एक नया डिजिटल प्रशिक्षण मंच शुरू किया है।
यह मंच खासतौर पर अमीराती विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए बनाया गया है। इसका नाम है ‘राष्ट्रीय व्यावहारिक प्रशिक्षण मंच’। यह नाफिस प्रोग्राम का हिस्सा है, जो अमीराती प्रतिभा प्रतिस्पर्धा परिषद द्वारा चलाया जाता है। आसान अल्फ़ाज़ों में कहें तो यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जहां छात्र आसानी से ट्रेनिंग के मौके ढूंढ सकते हैं और कंपनियां भी युवाओं को अपनी जरूरत के हिसाब से चुन सकती हैं। यह मंच छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ असली दुनिया के काम का अनुभव देने में मदद करता है। यूएई की सरकार का मानना है कि युवा अगर अच्छी ट्रेनिंग लें तो देश की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। इस मंच को शुरू करने से छात्रों को नौकरी पाने में आसानी होगी और कंपनियों को कुशल अमीराती युवा मिलेंगे। यह कदम ‘वी द यूएई 2031’ विजन और यूएई सेंटेनियल 2071 प्लान का हिस्सा है, जो देश को 2031 तक और मजबूत बनाने का लक्ष्य रखता है।
यह डिजिटल मंच कैसे काम करता है, आइए समझते हैं। छात्रों को सबसे पहले नाफिस वेबसाइट nafis.gov.ae पर जाना पड़ता है। वहां रजिस्ट्रेशन करना होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद छात्र अपनी डिटेल्स भरते हैं, जैसे कि उनका कोर्स, स्किल्स और इंटरेस्ट। फिर प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध ट्रेनिंग के मौके दिखते हैं। ये मौके सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के होते हैं। छात्र आवेदन कर सकते हैं और चुने जाने पर ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। कंपनियां भी इसी प्लेटफॉर्म पर अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम पोस्ट करती हैं।
वे छात्रों की प्रोफाइल देखकर सही कैंडिडेट चुनती हैं। यह सब डिजिटल तरीके से होता है, इसलिए कागजी काम कम है और प्रोसेस तेज है। मंत्रालय का कहना है कि यह मंच थ्योरी और प्रैक्टिस को जोड़ता है। मतलब, जो छात्र क्लास में पढ़ते हैं, वह किताबी ज्ञान असली काम में कैसे लगे, यह ट्रेनिंग सिखाती है। उदाहरण के लिए, अगर कोई छात्र इंजीनियरिंग पढ़ रहा है, तो वह फैक्ट्री में मशीन चलाने की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ले सकता है। इसी तरह, बिजनेस स्टूडेंट मार्केटिंग या फाइनेंस की ट्रेनिंग पा सकता है। यह मंच एक नेशनल डेटाबेस भी बनाता है, जहां सभी छात्रों की जानकारी सुरक्षित रहती है। इससे भविष्य में नौकरी के लिए भी मदद मिलेगी।
नाफिस प्रोग्राम के बारे में थोड़ा और जानते हैं। नाफिस का पूरा नाम है अमीराती टैलेंट कॉम्पिटिटिवनेस काउंसिल। यह 2021 में शुरू हुआ था। इसका मकसद है अमीराती युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा नौकरियां दिलाना। यूएई में बहुत सारे विदेशी काम करते हैं, लेकिन सरकार चाहती है कि अमीराती लोग भी आगे आएं। नाफिस ने अब तक हजारों युवाओं को ट्रेनिंग दी है। इस नए मंच को नाफिस के साथ जोड़ा गया है, ताकि सब कुछ एक जगह हो। नाफिस के सेक्रेटरी जनरल घन्नम बुट्टी अल मजरुई का कहना है कि यह प्रोग्राम कंपनियों को भी फायदा देगा। वे जल्दी से कुशल अमीराती युवाओं से जुड़ सकेंगी। अल मजरुई ने यह भी बताया कि यूएई का बिजनेस इकोसिस्टम अब स्थिर टैलेंट सप्लाई पाएगा। मतलब, कंपनियों को हमेशा अच्छे वर्कर्स मिलते रहेंगे। यह मंच उच्च शिक्षा मंत्रालय और वैज्ञानिक रिसर्च के साथ मिलकर बनाया गया है।
अब बात करते हैं कि यह मंच क्यों जरूरी है। यूएई एक मॉडर्न देश है, जहां टेक्नोलॉजी और बिजनेस तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन छात्रों को सिर्फ डिग्री से काम नहीं चलता। उन्हें प्रैक्टिकल स्किल्स चाहिए। पुराने तरीके से ट्रेनिंग ढूंढना मुश्किल था। कभी कंपनियां छात्रों तक पहुंच ही नहीं पातीं। कभी छात्रों को मौके के बारे में पता नहीं चलता। यह डिजिटल मंच इन समस्याओं को हल करता है। यह छात्रों को हाई-क्वालिटी ट्रेनिंग देता है, जो लेबर मार्केट की जरूरतों से मैच करता है। खलील खूरी, जो अंडरसेक्रेटरी हैं, उनका कहना है कि यह प्लेटफॉर्म छात्रों को स्किल्स सुधारने और अकादमिक अचीवमेंट को पूरा करने में मदद करेगा।
यूएई में अमीराती युवाओं की संख्या बढ़ रही है। 2031 तक देश को 1 मिलियन नई जॉब्स चाहिए। अगर युवा तैयार न हों तो समस्या हो सकती है। यह मंच ठीक यही करता है। यह छात्रों को कॉन्फिडेंस देता है और नौकरी पाने के चांस बढ़ाता है। कंपनियों के लिए भी आसान है। वे अपनी जरूरत के स्किल्स वाले छात्र चुन सकती हैं। इससे बिजनेस बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
इस मंच को लॉन्च करने के पीछे यूएई की बड़ी योजनाएं हैं। ‘वी द यूएई 2031’ विजन कहता है कि देश को खुशहाल और इनोवेटिव बनाना है। इसमें युवाओं को मुख्य भूमिका दी गई है। इसी तरह, सेंटेनियल 2071 प्लान 2071 तक यूएई को दुनिया का सबसे अमीर और खुशहाल देश बनाने का लक्ष्य रखता है। शिक्षा और ट्रेनिंग इन प्लान्स का बड़ा हिस्सा हैं। यूएई पहले से ही डिजिटल एजुकेशन में आगे है। जैसे, मदरसा प्लेटफॉर्म जो 2018 में लॉन्च हुआ था। वह स्कूल छात्रों के लिए फ्री वीडियोज देता है।
या फिर ‘द डिजिटल स्कूल’ जो रिफ्यूजी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई देता है। लेकिन यह नया मंच यूनिवर्सिटी लेवल पर फोकस करता है। यह प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर जोर देता है। सरकार ने कई वर्कशॉप्स भी प्लान किए हैं। विभिन्न यूनिवर्सिटीज और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में अवेयरनेस सेशन्स होंगे। छात्रों को बताया जाएगा कि मंच कैसे यूज करें। इससे ज्यादा से ज्यादा छात्र जुड़ेंगे।
अब देखते हैं कि छात्रों को इससे क्या फायदे मिलेंगे। सबसे बड़ा फायदा है आसान एक्सेस। घर बैठे मोबाइल या कंप्यूटर से ट्रेनिंग अप्लाई कर सकते हैं। समय बचता है और खर्चा कम होता है। दूसरा, क्वालिटी ट्रेनिंग। सिर्फ कोई भी मौका नहीं, बल्कि हाई-स्टैंडर्ड वाले प्रोग्राम। तीसरा, स्किल डेवलपमेंट। छात्र नई स्किल्स सीखेंगे, जैसे डिजिटल टूल्स, टीम वर्क या प्रॉब्लम सॉल्विंग। इससे रिज्यूमे मजबूत बनेगा।
चौथा, नेटवर्किंग। ट्रेनिंग के दौरान कंपनियों से कनेक्ट होंगे, जो फ्यूचर जॉब्स के लिए अच्छा है। फर्ज करें एक छात्र आईटी में पढ़ रहा है। वह सॉफ्टवेयर कंपनी में ट्रेनिंग लेगा और कोडिंग प्रैक्टिस करेगा। इससे उसे असली प्रोजेक्ट्स का आइडिया मिलेगा। लड़कियां भी फायदा लेंगी। यूएई में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए खास प्रोग्राम हैं। यह मंच सभी के लिए ओपन है। छात्रों को सिर्फ रजिस्टर करना है। अगर कोई समस्या हो तो हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, यह मंच छात्रों का फ्यूचर ब्राइट बनाएगा।कंपनियों के नजरिए से भी यह मंच कमाल का है। प्राइवेट सेक्टर में अमीराती युवाओं को हायर करने का कोटा है। लेकिन अच्छे कैंडिडेट्स ढूंढना मुश्किल होता है। अब प्लेटफॉर्म पर डेटाबेस है। कंपनियां अपनी रिक्वायरमेंट्स पोस्ट करेंगी, जैसे ‘मार्केटिंग ट्रेनी चाहिए, 6 महीने का प्रोग्राम’। फिर मैचिंग प्रोफाइल्स दिखेंगी। वे इंटरव्यू ले सकती हैं। इससे टाइम बचता है। यूएई के बिजनेस को लॉन्ग-टर्म टैलेंट मिलेगा। सरकारी कंपनियां भी इसमें शामिल होंगी। जैसे, ऑयल कंपनियां या बैंक। इससे प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप मजबूत होगी। कंपनियों को टैक्स बेनिफिट्स भी मिल सकते हैं अगर वे अमीराती ट्रेनीज हायर करें। कुल मिलाकर, यह मंच बिजनेस को ग्रो करने में मदद करेगा।
जैसा की आप जानते हैं यूएई की शिक्षा सिस्टम पहले से ही वर्ल्ड क्लास है। यहां 70 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज हैं। अमीराती छात्रों को स्कॉलरशिप्स मिलती हैं। लेकिन ट्रेनिंग का गैप था। यह मंच उसे भरता है। उच्च शिक्षा मंत्रालय ने भी सपोर्ट किया है। वे यूनिवर्सिटीज को इंस्ट्रक्शन्स देंगे कि छात्रों को मंच के बारे में बताएं। अवेयरनेस वर्कशॉप्स में एक्सपर्ट्स आएंगे। छात्र सवाल पूछ सकेंगे। इससे पार्टिसिपेशन बढ़ेगा। यूएई में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन तेज है। 5जी नेटवर्क हर जगह है। मोबाइल ऐप्स से सब कुछ होता है।
यह मंच भी यूजर-फ्रेंडली है। सिंपल इंटरफेस, हिंदी या अरबी में गाइड। छात्र आसानी से नेविगेट कर सकेंगे। फ्यूचर में इसमें और फीचर्स ऐड हो सकते हैं, जैसे वर्चुअल इंटरव्यूज या सर्टिफिकेट ट्रैकिंग।अब थोड़ा इतिहास देखें। यूएई ने 1971 में आजादी ली। तब से शिक्षा पर फोकस है। शेख जायद ने स्कूल्स बनवाए। अब शेख मोहम्मद बिन राशिद जैसे लीडर्स डिजिटल एजुकेशन ला रहे हैं।
2017 में ‘वन मिलियन अरब कोडर्स’ लॉन्च हुआ। वह फ्री कोडिंग कोर्स देता है। 2018 में मदरसा आया, जो 5000 वीडियोज का खजाना है। कोविड-19 में डिस्टेंस लर्निंग बढ़ी। अब यह मंच नेक्स्ट स्टेप है। यह प्रैक्टिकल फोकस्ड है। ग्लोबल चैलेंजेस जैसे जॉब मार्केट चेंजेस को हैंडल करता है। एआई और ग्रीन एनर्जी जैसे सेक्टर्स में ट्रेनिंग होगी। छात्र ग्लोबल कॉम्पिटिटिव बनेंगे।चुनौतियां भी हैं। कुछ छात्रों को डिजिटल टूल्स यूज करने में दिक्कत हो सकती है। लेकिन वर्कशॉप्स से सॉल्व होगा। प्राइवेट कंपनियां अगर कम पोस्ट करें तो प्रॉब्लम। लेकिन इंसेंटिव्स से बढ़ेगा। सिक्योरिटी इंपॉर्टेंट है। डेटा प्रोटेक्शन लॉज हैं।
यूएई जीडीपीआर जैसा सिस्टम फॉलो करता है। कुल मिलाकर, पॉजिटिव आउटलुक है। यह मंच यूएई के युवाओं के लिए गेम चेंजर है। यह न सिर्फ ट्रेनिंग देगा, बल्कि कॉन्फिडेंस भी। देश की तरक्की में योगदान देगा। अगर आप अमीराती छात्र हैं, तो nafis.gov.ae चेक करें। रजिस्टर करें और अपना फ्यूचर शेप करें। यह स्टोरी यूएई की इनोवेटिव स्पिरिट दिखाती है। युवा शक्ति है, और यह मंच उन्हें पंख दे रहा है।



