पेड़ों की कटाई पर एलजी-सरकार में तकरार
- मंत्रियों की समिति कर रही जांच
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। रिज क्षेत्र में 1100 पेड़ों की कटाई मामले में उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच तकरार बढ़ सकती है। इस मामले में दिल्ली सरकार के मंत्रियों की फैक्ट फाइंडिंग समिति उपराज्यपाल की भूमिका की जांच कर रही है। वहीं, अधिकारियों ने समिति पर ही सवाल उठा दिए हैं। 29 जून को दिल्ली सरकार के मंत्रियों की बैठक में सर्वसम्मति से मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन की समिति में शामिल किया गया था। पर्यावरण एवं वन विभाग के प्रमुख सचिव ने दावा किया है कि समिति बनाना नियमों का उल्लंघन है।
साथ ही इससे सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना होगी। इस मामले में प्रमुख सचिव अनिल कुमार सिंह ने सोमवार को पत्र लिखा। इसमें कहा कि मंत्रियों की समिति का गठन जिस मामले में किया गया है वह सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन कर दिया है। इसमें भारतीय वन सर्वेक्षण के अधिकारी और अन्य निष्पक्ष विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। इसके अलावा, पत्र में दावा किया गया है कि समिति का गठन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार की कार्य संचालन भूमिका (टीओबीआर) 1993 के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
शिक्षकों के तबादले का फैसला वापस लें : आतिशी
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों का एक स्कूल में दस वर्ष से अधिक समय होने पर स्थानांतरण नहीं होगा। शिक्षा मंत्री आतिशी ने शिक्षा सचिव को पत्र जारी कर इस फैसले को वापस लेने को कहा है। पत्र में उन्होंने शिक्षा सचिव को कहा कि इस तरह के निर्णय जिससे कि शिक्षक के मनोबल या कामकाजी स्थिति प्रभावित हो उनकी सहमति के बिना नहीं लिए जाए। उन्होंने इस मामले को लेकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सात दिनों के भीतर मांगी है। इस मामले पर शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री से मुलाकात की थी। शिक्षा निदेशालय ने बीते जून की शुरुआत में ऑनलाइन ट्रांसफर लिंक ओपन कर दिया था। इसके तहत एक ही स्कूल में 10 साल से अधिक समय तक सेवा करने वाले सभी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से ट्रांसफर के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया गया था। ऐसा ना करने पर उन्हें शिक्षा निदेशालय द्वारा किसी भी स्कूल में स्थानांतरित करने की बात कही गई थी। निदेशालय के इस फैसले से शिक्षकों में काफी अफरा-तफरी थी।